सूर्यवंशी ने विधायकों से चुनाव खर्च वसूलने की मांग दोहराई, प्रदेश की जनता बहुत नाराज है उनसे
सूर्यवंशी ने हिमाचल प्रदेश में बागी विधायकों से चुनाव खर्च वसूलने की मांग दोहराई, जानबूझकर प्रदेश को चुनाव में झोंकने वाले ही उठाएं चुनाव का भारी भरकम खर्च, जनता में नाराजगी
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाले 6 बागी और 3 निर्दलीय ल विधायकों पर अब चुनाव आयोग और सरकार को सख्ती दिखानी चाहिए क्योंकि इन बागी विधायकों की वजह से राज्य सरकार गिरने की कगार पर पहुंची और उपचुनाव करवाने पड़े, चुनाव आयोग को उनसे चुनाव का सारा खर्च वसूलना चाहिए क्योंकि यह नियमित चुनाव नहीं है और बिकाऊ विधायकों की स्वार्थसिद्धि की वजह से मजबूरन करवाने पड़ रहे हैं। वास्तव में इनका कोई औचित्य नहीं है।
इस कदम को उठाए जाने की वास्तविक मांग के पीछे करदाताओं की खून-पसीने की कमाई की सुरक्षा और जनता के कीमती समय को बर्बाद होने से बचाने की भावना है।
मतदाताओं ने पूरे 5 साल के लिए 9 विधायकों को चुन कर विधानसभा में भेजा था, लेकिन ये विधायक कथित रूप से बिकने के बाद पलटी मार गए और 14 महीने बाद ही अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए विधायकी छोड़कर भाग गए। उस जनता को एक बार भी पूछना गंवारा नहीं समझा जिसने उन्हें भारी मतों से चुनकर विधानसभा में इलाके की बेहतरी के लिए भेजा था।
उन्होंने मतदाताओं के साथ गद्दारी की और इसी कारण उपचुनाव करवाने पड़े, जिसमें भारी धनराशि खर्च हुई और हो रही है।
जनता का मानना है कि इस पूरे प्रकरण में धनराशि का दुरुपयोग हुआ है, जो विकास कार्यों में लगाई जा सकती थी।
सोसाइटी फॉर ह्यूमन वेलफेयर एंड मिशन अगेंस्ट करप्शन के राष्ट्रीय चेयरमैन राजेश सूर्यवंशी ने चुनाव आयोग और सरकार से मांग की है कि चुनाव का सारा खर्च उन सभी बागी विधायकों की जेब से वसूला जाए, जिनके कारण बेवजह उपचुनाव हुए हैं। सूर्यवंशी का कहना है कि इस कदम से न केवल विधायकों में जवाबदेही का भाव जागेगा, बल्कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सकेगा।
विभिन्न राजनीतिक दलों और समाजसेवियों ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे राज्य की राजनीति में पारदर्शिता बढ़ेगी और जनता का विश्वास बहाल होगा। हिमाचल प्रदेश में यह निर्णय एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जो न केवल राज्य की राजनीति को नई दिशा देगा, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसा उदाहरण पेश करेगा। यह कदम राज्य में राजनीतिक स्थिरता और विकास की राह में बाधा डालने वालों के खिलाफ एक कड़ा संदेश है।