सूर्यवंशी ने वक़्फ़ बोर्ड का अस्तित्व मिटाने की गुहार की मोदी सरकार से, वन विभाग के दोषी अधिकारियों पर भी हो कानूनी कार्यवाही

पालमपुर के जंगलों में रातोंरात बना डाली मस्जिदें, कानून जाए भाड़ में, जल्द एक्शन ले वन विभाग जो गहन निद्रा में सोया प्रतीत होता है।

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भारत सरकार वक़्फ़ बोर्ड का अस्तित्व समाप्त करने हेतु सख्त कदम उठाए : राजेश सूर्यवंशी

भारत सरकार ने हाल ही में वक़्फ़ बोर्ड के अस्तित्व पर गंभीरता से विचार करते हुए सख्त कदम उठाने का संकेत दिया है।

वक़्फ़ बोर्ड, जो विभिन्न धार्मिक संस्थाओं और संपत्तियों की देखरेख करता है, लंबे समय से विवादों और आरोपों का सामना करता रहा है।

सरकार का मानना है कि वक़्फ़ बोर्ड की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी और संपत्ति के दुरुपयोग जैसी समस्याएं बड़े पैमाने पर मौजूद हैं।

मिशन अगेंस्ट करप्शन हिमाचल प्रदेश के चेयरमैन राजेश सूर्यवंशी ने मोदी सरकार से आग्रह किया है कि वक़्फ़ बोर्ड के तहत अनेक बेनामी ज़मीनों पर अवैध कब्जे हैं।

सूर्यवंशी ने कहा की पालमपुर के जंगलों में विशेष समुदाय के लोगों ने रातों-रात मस्जिद खड़ी कर दीं। कोरोना काल में तो सर्वाधिक अवैध निर्माण हुए और वन विभाग कुम्भकर्णी नींद सोता रहा। मुट्ठी भर हिन्दू संगठनो ने अपनी पुरज़ोर आवाज़ उठाई, वन विभाग में शिकायत दर्ज करवाई लेकिन नहीं हुई कोई कार्यवाही। किसी अधिकारी ने इन लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कि और आश्वासन देकर मामला खत्म कर दिया।

उन्होंने कहा, “पूरे हिमाचल प्रदेश में इनका जाल फैला हुआ है। जल्द कानून पास करके वक़्फ़ बोर्ड को जड़ से समाप्त किया जाना अनिवार्य है।”

राजेश सूर्यवंशी का मानना है कि वेशकीमती वक़्फ़ संपत्तियों का अवैध उपयोग रोकने और उन्हें सही तरीके से उपयोग में लाने के लिए यह कदम आवश्यक है।

सूत्रों के अनुसार, सरकार ने इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है, जो वक़्फ़ बोर्ड के आर्थिक मामलों, प्रबंधन और कार्यक्षमता की गहराई से जांच करेगी।

पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में वक़्फ़ संपत्तियों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं, जिससे यह विवाद और बढ़ गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कराई है, जिसमें वक़्फ़ बोर्ड की संपत्तियों का ब्योरा, उनकी आय के स्रोत और उसे खर्च करने के तरीकों की समीक्षा की गई है। सरकार का इरादा है कि यदि वक़्फ़ बोर्ड की भूमिका धार्मिक उद्देश्यों के बजाय राजनीतिक या अन्य अवैध कार्यों में पाई जाती है, तो इसे समाप्त किया जा सकता है या इसकी कार्यप्रणाली में बड़ा बदलाव किया जाएगा।

विपक्षी दलों और धार्मिक संगठनों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है, इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ एक अन्यायपूर्ण कदम बताया है। वहीं, कई सामाजिक संगठनों ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा है कि वक़्फ़ संपत्तियों का सही उपयोग होना चाहिए, और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी है।

आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी चर्चाएँ होने की संभावना है, लेकिन फिलहाल, सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले में गंभीरता से काम कर रही है और देश की जनता के हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगी।

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