नगर निगम पालमपुर बनी सफेद हाथी, मेयर के खिलाफ भारी रोष, राधा सूद की कार्यशैली की जनता को आ रही याद
नगर निगम पालमपुर का निकला दिवाला, मेयर के हाथों टूट रही पालमपुर के सुन्दर मोतियों की माला मेयर हर मोर्चे पर नाकाम साबित, राधा सूद प्रेजिडेंट की कार्यप्रणाली को याद कर रहे लोग
वरुण शर्मा
SPECIAL CORRESPONDENT
आज पालमपुर के वाशिन्दे उस दौर को याद करके निरुत्साहित हो रहे हैं जब पालमपुर नगर परिषद की प्रेज़िडेंट हुआ करती थीं राधा सूद जी।
लोग उन्हें क्यों याद कर रहे हैं इसका एक बड़ा कारण यह है कि उनके कार्यकाल में पालमपुर नगर परिषद सीमित संसाधनों बावजूद एक करोड़ रुपये का सरकारी पुरस्कार जीतने में कामयाब रही थी।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती राधा सूद के समय पालमपुर में अनुकरणीय विकास कार्य हुए।
वह खुद विकास कार्यों का जायज़ा लेकर सबको संतुष्ट करती नज़र आती थीं। उच्च शिक्षा प्राप्त और कार्यकुशल थीं वह। लोगों की समस्याओं का निदान करने का एक जज़्बा था उन्हें। उनकी कमी आज बहुत खल रही है लोगों को। एक वीडियो उनके समय का, प्रस्तुत है आपकी सेवा में…….
राधा सूद का यादगार भाषण…….
जब से नगर निगम पालमपुर का गठन हुआ है तब से पूरे क्षेत्र के विकास को ग्रहण लग गया है।
खासकर नए मेयर के आने के बाद तो स्थिति विकराल रूप धारण कर चुकी है। निगम आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने के बावजूद निष्क्रिय दिखाई दे रही है।
ऐसा हम इसलिए लिखने को मजबूर हुए हैं कि तमाम हो-हल्ला होने के बावजूद प्रोग्रेस वही “ढाक के तीन पात”।
वर्तमान में पालमपुर में जो दो मुख्य सनस्याएँ अंगड़ाइयां ले रही हैं वे हैं गंदगी और आवारा पशुओं की सनस्या।
वार्ड नंबर 10मारंडा को छोड़कर बाकी सभी वार्डों से कूड़ा नियमित रूप से न उठाए जाने की शिकायतें अक्सर देखने-सुनने को मिलती रहती हैं।
वार्डों में जगह-जगह घरों के बाहर कई-कई दिनों तक गंदगी के ढेर लोगों को मुंह चिढाते रहते हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं। नगर निगम प्रशासन व मेयर लंबी ताने सोते रहते हैं।
लोगों की सनस्याओं की ओर ज़रा ध्यान नहीं देते। गंदगी की वजह से सफाई व्यवस्था सिसकियां भरती नज़र आती है। प्रचण्ड गर्मी के मौसम में घातक बीमारी फैकने का डर जस का तस बना हुआ है।
आजकल चौकी खलेट में भी गंदगी के अंबार लगे हुए हैं जोकि बीमारियों को न्योता दे रहे हैं। यहां कई दिन से कूड़ा उठाने वाले नहीं आए। घोड़े की ढेर हर रोज सफाई कर्मचारियों का मुंह ताकते रहते हैं लेकिन कोई नहीं आता।