डायरैक्टर डाॅ. सुधीर सल्होत्रा के मार्गदर्शन में पूरे नाॅर्थ इंडिया की शान बन चुका है रोटरी आई हाॅस्पिटल मारंडा

डाॅ. शिव कुमार द्वारा रोटरी आई हाॅस्पिटल के रूप में रोपित पौधा आज फलते-फूलते विशाल वृक्ष का रूप ले चुका है

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डाॅ. सुधीर सल्होत्रा, डायरैक्टर के मार्गदर्शन में पूरे नाॅर्थ इंडिया की शान बन चुका है रोटरी आई हाॅस्पिटल मारंडा

भारत के टाॅप टैन RETINA SURGEONS में अपना नाम बना चुके हैं डाॅ. सुधीर सल्होत्रा

डाॅ. शिव कुमार द्वारा रोटरी आई हाॅस्पिटल के रूप में रोपित पौधा आज फलते-फूलते विशाल वृक्ष का रूप ले चुका है

INDIA REPORTER TODAY

RAJESH SURYAVANSHI

EDITOR-IN-CHIEF cum PUBLISHER

धौलाधार पर्वतों की गोद में बसे पालमपुर के मारण्डा नगर में स्थापित एमएमएस रोटरी आई हाॅस्पिटल पिछले लगभग 37 वर्षों से नेत्र चिकित्सा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अग्रिम श्रेणी में आ खड़ा हुआ है। आज तक लाखों लोगों को नेत्र ज्योति प्रदान कर उनके जीवन से अंधकार दूर करने वाला यह अस्पताल आज उत्तरी भारत के अग्रणी अस्पतालों में अपनी साख बना चुका है। अस्पताल का भव्य भवन, डाॅक्टरों व उनकी टीम की काबिलियत और रोगियों व उनके परिजनों का उपचार करवाने उपरान्त हंसते-हंसते संतुष्ट होकर घर वापिस लौटना अपनी सफलता की कहानी खुद बयान करता है। पूर्व विधायक, विख्यात् चिकित्सक एवं समाज सेवा में अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त डाॅ. शिव कुमार ने रोटरी आई हाॅस्पिटल के रूप में अपनी दूरदृष्टि का प्रयोग करते हुए जो नन्हा सा पौधा लगाया था आज खूब फलफूल रहा है और लोगों के जीवन से अंधकार मिटाने हेतु अत्याधुनिक और एडवांस्ड सेवाएं प्रदान कर रहा है जोकि मात्र इसी अस्पताल में, एक ही छत के नीचे उपलब्ध हैं।
डाॅ. शिव कुमार की अध्यक्षता में सीनियर रेटिना सर्जन एवं हाॅस्पिटल के डायरैक्टर डाॅ. सुधीर सल्होत्रा के दिषा-निर्देश में और GENERAL MANAGER राघव शर्मा के कुशल मार्गदर्शन में, दी पालमपुर रोटरी आई फ़ाउंडेशन के तत्वाधान में संचालित रोटरी आई हाॅस्पिटल मारण्डा आज अपनी काबिलियत के बल पर उन्नति के आकाश को स्पर्श कर नित नये आयाम स्थापित कर रहा है।

आईये, आज हम आपकी मुलाकात करवाते हैं रोटरी आई हाॅस्पिटल के डायरैक्टर डाॅ. सुधीर सल्होत्रा से जोकि दिन-रात परिश्रम करके पूरी कर्तव्यनिष्ठा ंऔर ईमानदारी का परिचय देते हुए अस्पताल में अत्याधुनिक मशीनें स्थापित करके सर्वश्रेष्ठ बनाने में प्रयासरत् हैं।
आपको संक्षेप में हम यह बताना उचित समझते हैं कि डाॅ. सुधीर सल्होत्रा भारतवर्ष के चुनिन्दा रेटिना सर्जन्ज़ में टाॅप टैन में अपना स्थान बना चुके हैं। डाॅ. सुधीर सल्होत्रा पंजाब के ज़िला गुरदासपुर से एक साधन-सम्पन्न परिवार से सम्बन्ध रखते हैं।
डाॅ. सुधीर ने इस हाॅस्पिटल को 2007 में ज्वाईन किया था। उस समय पूरे हिमाचल प्रदेश में रेटिना डीपार्टमैंट कहीं नहीं था। डाॅ. सुधीर सल्होत्रा पूरे हिमाचल प्रदेश में पहले ऐसे डाॅक्टर हैं जिन्हांेने प्रदेश में प्रथम रेटिना डीपार्टमैंट रोटरी आई हाॅस्पिटल मारण्डा में स्थापित किया और आज वह यह बात बताने में फ़क्र महसूस करते हैं कि वर्तमान में उनका रेटिना सैन्टर पूरे नार्थ इण्डिया में लीडिंग सैन्टर्ज़ में गिना जाता है। रोटरी आई हाॅस्पिटल में इस समय सभी आई केयर की अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।

डाॅ. सल्होत्रा INDIA REPORTER TODAY से संक्षिप्त वार्तालाप में पूर्ण गर्व अनुभव करते हुए कहते हैं कि इस समय हमारा पूरा फ़ोकस सुपर स्पैशियलिटी आई केयर की दिशा में अग्रसर है। आज तक हम सिर्फ़ कैटरैक्ट की तरफ़ ही फ़ोकस करते रहे जबकि आज कैटरैक्ट सर्जरी लगभग हर आई केयर सैन्टर में की जा रही है। अब हमारा विज़न सुपर स्पैशियलिटी आई केयर हाॅस्पिटल की फुल फलैज्ड डिवैल्पमैंट  की ओर है। इसके अलावा 2018 में हमने कोर्निया डीपार्टमैंट शुरू किया था जिसमें हम 20-25 कोर्निया ट्रांसप्लान्ट कर भी चुके हैं। मेरे अन्दाज़े से यह पूरे स्टेट में मैक्सिमम नम्बर होगा आज तक का, कोर्निया ट्रान्स्पलांट करने का।
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा हमारे पास पीडिऐट्रिक  (PAEDIATRIC) का डीपार्टमैंट है जिसे पीडियेट्रिक आपथैल्मोलाॅजी (PAEDIATRIC OPHTHALMOLOGY) कहते है, वह डीपार्टमैंट चल रहा है। ग्लूकोमा यानि काले मोतिया का डीपार्टमैंट भी चल रहा है। इसके अतिरिक्त OCULOPLASTY का डीपार्टमैंट भी सफलतापूर्वक चल रहा है। लगभग सारे सुपर स्पैशिऐलिटी के डीपार्टमैंट आज हमारे पास एक ही छत के नीचे मौजूद हैं।
आई आप्रेशन के लिए जो इक्विपमैंट इस्तेमाल होता है वह हिमाचल प्रदेश तो क्या नाॅर्थ इंडिया में बहुत कम हाॅस्पिटल्ज़ के पास है। हमारे पार्स मपेे के 4 हाई एण्ड माईक्रोस्कोप हैं। आप यह समझ के चलिये कि 80 लाख से 1 करोड़ तक एक माईक्रोस्कोप की कीमत होगी। इसी तरह जो फ़ैको मशीन है, जो कैटरैक्ट के लिए हाई एण्ड मशीनें हैं वे हमारे पास हैं। रैटिना सर्जरी के लिए हाईएण्ड मशीनें व सुदृढ़ इन्फ़्रास्ट्रक्चर जो हमारे पास है वह पूरे स्टेट में किसी के पास नहीं हैं।
डाॅ. सुधीर सल्होत्रा आगे बताते हैं कि आई सर्जरी अब प्रिमिटिव (PRIMITIVE) आई सर्जरी नहीं रही। जैसे पहले टांके लगते थे। बड़े चीरे लगते थे, अब वे बातें नहीं रहीं। अब टैक्नोलाॅजी में काफ़ी डिवैल्पमैंट है इसलिए हमें स्वयं को अपडेट रखने के लिए हर साल कोई न कोई अत्याधुनिक इक्विपमैंट खरीदना पड़ता है इस इन्स्टीट्यूशन में, तभी हम आगे बढ़ते हैं। इन सब चीज़ों के साथ हम तेज़ गति से आगे बढ़ रहे हैं।

आपके ज्ञानवर्द्धन के लिए अब प्रस्तुत है एक छोटी सी प्रश्नोत्तरी:-

राजेश सूर्यवंशी: वर्तमान में हिम केयर और आयुष्मान भारत में रोटरी आई हाॅस्पिटल का क्या योगदान है और कितने लोगों को इसका लाभ मिल रहा है ?

डाॅ. सुधीर सल्होत्रा : यह एक बहुत अच्छा सवाल आपने पूछा है क्योंकि ज़्यादातर हाॅस्पिटल इस स्कीम से भाग रहे हैं क्योंकि इसमें प्राॅफ़िट मार्जन नहीं है। हमारी संस्था एक चैरिटेबल संस्था है। लोगों की सेवा में हम हरदम तैयार रहते हैं और यह हमारा पहला ऐसा आई हाॅस्पिटल है पूरे स्टेट में जिसने हिमकेयर और आयुष्मान भारत की सर्विस दी है और प्रधानमंत्री मोदी जी की और स्टेट गवर्नमैंट की स्कीम को हमने इन्ट्रोड्यूस किया और इस समय अगर आप डाटे उठाएंगे तो पूरे स्टेट में हिमकेयर और आयुष्मान की सर्वाधिक सर्जरीज़ हमारे यहां हो रही हैं। हम किसी भी मरीज़ को यह सुविधा देने के लिए मना नहीं कर रहे हैं। इन स्कीमों के अन्तर्गत जो भी लाभ मरीज़ों को दिये जाने हैं वे सब हम दे रहे हैं।
मैं एक बात आपको और बताना चाहूंगा कि हमारा विज़न यह है कि हमारे इस हाॅस्पिटल से कोई मरीज़ बिना ईलाज करवाए वापिस नहीं जाये, भले ही उसके पास हिम केयर या आयुष्मान हैल्थ कार्ड है या नहीं है, पैसे हैं या नहीं हैं, ये बातें हमारे लिए कोई महत्व नहीं रखतीं। हमारा उद्देश्य किसी भी तरह मरीज़ की आंखों की रौशनी वापिस लाना है। हमारी यही कोशिश है कि जो भी हमारे हाॅस्पिटल में ईलाज करवाने आता है उसे बैस्ट ट्रीटमैंट मिले, अफ़ाॅर्डेबल ट्रीटमैंट मिले। अगर मरीज़ पैसे नहीं भी Afford करता तो उसे उपचार मिले। उसका ईलाज करने के लिए मना नहीं होगा। हमें उसे TREATMENT देनी है, हर हालत में। परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। ईशवर ने हमें आपकी सेवा हेतु ही भेजा है जिसके लिए हम पूरी तरह सजग व तैयार हैं।

राजेश सूर्यवंशी : कोविड महामारी के दौरान जब अस्पतालों ने अपने दरवाज़े बंद कर दिए थे तो क्या आपने ज़रूरतमन्द लोगों को ईलाज मुहैया करवाया?

डाॅ. सुधीर सल्होत्रा : कोविड काल हमारे लिए भी बहुत कठिन दौर था। मुझे अभी भी याद है कि 22-23 मार्च की बात है जब सरकार ने भी यह कह दिया था कि सब बंद कर दो। मोदी जी ने भी यही कहा था कि टोटल लाॅकडाउन हर जगह होना चाहिए। उस दौरान हमें भी सरकार की गाईडलाईन्स आईं। हमें भी अस्पताल बंद करने के लिए कहा गया। कुछ समय के लिए तो हमने हाॅस्पिटल बंद किया लेकिन फिर हमें दूर-दूर से ज़रूरतमंद मरीज़ों के फ़ोन आने शरू हुए जैसेकि किन्नौर, रामपुर, दूसरे राज्य पंजाब, दिल्ली, J&K आदि से रोगियों के फ़ोन आ रहे थे कि आप सर्विसीज़ बंद न करें।
यह बहुत बड़ा चैलेंज था हमारे लिए। हमें भी दुःख हो रहा था कि हम लोगों को सुविधा नहीं दे पा रहे हैं। लेकिन मैं आपको फ़क्र के साथ यह बताना चाहूंगा कि हमने यह हाॅस्पिटल मात्र दस दिन के लिए बंद रखा। उसके बाद जब हमने लोगों की तकलीफ़ें सुनीं और देखा कि हाॅस्पिटल तो यह ज़रिया है जहां हम दुखों का निवारण करेंगे। लोग हमारे पास आएंगे और हम उन्हें ज़रूरी फ़ैशिलिटी नहीं देंगे तो वे बेचारे कहां जोयेंगे। उस दौर में हमने अपने डाॅक्टर्स की एक मीटिंग काॅल की। 6 मैम्बर्स की एक कमेटी बनाई गई जिसमें दो डाॅक्टर्स थे बाकी हमारी टीम थी। इन्हें एक प्राॅपर पाॅलिसी, एक प्रौपर फ़ार्मूला बनाने के लिए बोला गया जिससे कि हम कोविड से संबंधित सभी प्रोटोकाॅल फ़ाॅलो कर सकें और अच्छे ढंग से यह हाॅस्पिटल चला सकें। उस समय हमें काफ़ी दिक्कतें पेष आईं। स्टाफ़ रिलक्टैंट (RELUCTANT) भी था कि हम नहीं आना चाहेंगे, हम नहीं करना चाहेंगे। गवर्नमैंट भी कोई ज़्यादा क्लियर नहीं थी, गाईडलाईन्स भी क्लियर नहीं आ रही थीं लेकिन हमारी निष्ठा, हमारा संकल्प क्लियर था कि हमने लोगों को सर्विसीज़ देनी हैं। उसमें हमारी टीम ने हमारा साथ दिया। बड़े अच्छे प्रोटोकाॅल्ज़ बनाए जोकि हम आज तक इम्प्लीमैंट कर रहे हैं।

फिर एक समय आया जब हमने आप्रेशन भी शुरू करने थे। सरकार व आल इंडिया सोसायटीज़ की गाईडलाईन्स फ़ाॅलो की गईं और मरीज़ों को देखने के साथ-साथ उनके आॅप्रेशन भी किये गए। हमने ज़्यादा देर तक इस हाॅस्पिटल में लोगों को परेशान नहीं होने दिया। हालांकि कोविड महामारी के बुलन्द दौर में जब सभी अस्पताल बंद हो गए थे। कोई मरीज़ों को एन्टरटेन नहीं कर रहा था, ऐसे में हमारा रोटरी आई हाॅस्पिटल ही पूरे हिमाचल प्रदेष में ऐसा था जिसने पूरी आई सर्विसीज़ दीं। हालांकि कुछ कोरोना संदिग्ध रोगियों को मना भी करना पड़ा ताकि प्रोटोकाॅल का पालन भी पूरी तरह से किया जा सके। 90-95 परसैंट लोगों का ईलाज किया जिसके लिए हम अपनी टीम का हार्दिक धन्यवाद करते हैं जिन्होंने कठिन समय में हमारा साथ दिया।

राजेश सूर्यवंशी : डाॅक्टरों के लिए कोविड काल कितना कठिन साबित हुआ ?

डाॅ. सुधीर सल्होत्रा : बहुत ही मुश्किल साबित हुआ। तभी तो वाॅरियर्स कहा जाता है इन्हें। विशेषकर आई ट्रीटमैंट (TREATMENT) की बात करें तो आई इग्ज़ैमिन (EXAMINE) बिल्कुल पास से किया जाता है। EYE EXAMINATION के लिए हम गाईडलाईन्स के हिसाब से डिस्टैंस मैन्टेन नहीं कर सकते। तो उस समय हमारे लिए यह बहुत बड़ा चैलेंज था कि हम मरीज़ों को कैसे देखें। तो हमने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ खा़स टैक्नीक्स बनाईं। हमने मशीनरी के बीच कुछ ऐसे बैरियर्स क्रिएट किए ताकि रोगी और डाॅक्टर के बीच में कुछ बैरियर रहे ताकि उनकी जो ड्राॅपलैट इन्फ़ैक्शन है वह डाॅक्टर्स तक न पहुंचे। As a team leader  मुझे Initiative लेना पड़ा और सबने साथ दिया और हम इस मुश्किल दौर से बाहर निकल पाये।

राजेश सूर्यवंशी : आपके हाॅस्पिटल के लगभग 70 कर्मचारियों ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई, उसके क्या असर देखने में सामने आये।

डाॅ. सुधीर सल्होत्रा : हालांकि वैक्सीन के ट्रायल अभी पूरे नहीं हुए थे और मेरी टीम ने मुझे बताया कि वैक्सीन लगवाने हेतु मैसेज आना शुरू हो गए हैं तो यह मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग था। एक तरफ़ सरकार चाहती थी कि वैक्सीन लगना शुरू हो और दूसरी ओर मैं यह भी नहीं चाहता था कि मेरे इम्प्लाॅईज़  रिस्क में आएं इसलिए मैंने पीजीआई के डाॅक्टर्स, टाॅप विरोलाॅजिस्ट्स अमृतसर में, और टांडा में टाॅप डाॅक्टर्स के साथ मेरी डिस्कशन्ज़ हुईं और मैंने उसी रात को उनका ओपीनियन पूछा। तो मैंने पाया कि यह एक सुरक्षित वैक्सीन है और घबराने की कोई बात नहीं है। मैंने सबको कह दिया कि मैं वैक्सिनेशन के लिए जा रहा हूं तो सबने मुझे फ़ाॅलो किया। मेरे 99 प्रतिशत इम्प्लाॅईज़ वैक्सीन लगवा चुके हैं। कोई घबराहट नहीं हुई। मात्र थोड़ा-बहुत बाॅडी पेन, फ़ीवर आदि हुआ जोकि नाॅर्मल वायरल वैक्सिनेशन के समय भी होता है। बाकी कुछ नही। सब कुछ बिल्कुल सुरक्षित रहा। भगवान की कृपा से किसी को कोई मेजर प्राॅब्लम नहीं आई। मैं पूरे इंडिया का वैक्सिनेशन का डाटा फ़ाॅलो कर रहा हूं तो आज तक भारत के लगभग 17-18 लाख लोग वैक्सीनेट हो चुके हैं और मेजर साईड इफ़ैक्ट कोई नहीं देखा गया। इसका फ़ायदा ही है और कोवीशील्ड बहुत सेफ़ वैक्सीन है।

राजेश सूर्यवंशी : भारत के टाॅप टैन रेटिना सर्जन्ज़ (TOP TEN RETINA SURGEONS) में आपका नाम आता है, यह कैसे सम्भव हो पाया?

डाॅ. सुधीर सल्होत्रा: सबसे पहले तो मैं शुक्रगुज़ार हूं पूरी टीम का कि उनको मेरी योग्यता पर पूरा भरोसा है। ऐसा है कि यह एक बहुत लम्बा टैन्योर होता है। एक दिन में कभी भी सर्जन परफ़ैक्ट नहीं बनता। हमें यह जानना चाहिए कि यह बहुत ही लैबोरियस जाॅब है। इसमें पेषैन्ट़स की भी सैटिस्फ़ैक्शन ज़्यादा नहीं होती है। तो मुझे 18 से 20 साल हो गए इस फ़ील्ड में। तो इतना अनुभव हो गया है इस चीज़ का मुझे कि मैं इस मंज़िल तक पहुंच पाया।
साथ ही मेरे जो टीचर्स रहे हैं दिल्ली से, जो मेरे टीचर्ज़ रहे हैं जर्मनी में प्रोफ़ैसर क्लाॅस एकार्ड, वह एक WORLD RENOWNED RETINA SURGEON हैं, उन्होंने काफ़ी कुछ मुझे सिखाया। मेरे और जो इंडिया के टीचर्ज़ हैं उन्होंने मुझे काफ़ी गाईड किया। यह सारा क्रेडिट उनको जाता है। जो मेरे पेशैन्ट्स हैं, जिन्होंने मुझमें विश्वास दिखाया, उनकी वजह से आज मैं इस मंज़िल तक पहुंच पाया।

राजेश सूर्यवंशी : दी पालमपुर रोटरी आई फ़ाउंडेशन के अन्तर्गत और भी अस्पताल हैं तो उनमें ओपीडी की क्या स्थिति है?

डाॅ. सुधीर सल्होत्रा :हमारे मेन हाॅस्पिटल मारंडा में रोज़ाना ओपीडी 400 से 600 के बीच इस समय चल रही है। हमारे रोटरी आई हाॅस्पिटल परागपुर में डेली 70 से 100 तक चल रही है, हमारे रोटरी आई हाॅस्पिटल धुसाड़ा में भी ओपीडी 100 से 150 तक चल रही है। हमारे विज़न सैंटर बीड़ में 10-15 मरीज़ रोज़ के आ रहे हैं। जो हमारा रोटरी वुमैन एंड चायल्ड हाॅस्पिटल ठाकुरद्वारा है उसमें तकरीबन 50 से 60 मरीज़ रोज़ आ रहे हैं।

राजेश सूर्यवंशी : देखने में आ रहा है कि इस हाॅस्पिटल में कई नई फ़ैशिलिटीज़ ऐड (ADD) की गई हैं तो उसके बारे में ब्यौरा दें।

डाॅ. सुधीर सल्होत्रा : हमने Full Fledged कोर्निया डीपार्टमैंट 2018 में Add किया उसके अन्तर्गत आज जो भी कोर्निया की प्राॅब्लम्ज़ हैं वो सैटल कर सकते हैं। जैसे कोर्निया टांस्प्लांट, सीथ्रीआर करैटोकोनस, आईसीएल्स जैसी लेटेस्ट सर्जरीज़ हैं जो आप कर सकते हैं। इसके अलावा एक माईक्रोस्कोप अभी हमने आर्डर किया है जोकि रेटिना सर्जरी के लिए है, वह तकरीबन एक करोड़ दस लाख के आसपास हैै वह भी इन्स्टाॅल हो जायेगा। इसी तरह एक और बात मैं आपको बताना चाहूंगा कि प्री-मैच्योर बेबीज़ की बहुत बड़ी प्राॅब्लम उभर कर सामने आ रही है। आज से 10 साल पहले मुझे बड़ी मुश्किल से एक बच्चा दिखता था जो प्री-मैच्योर हमारे पास ट्रीटमैंट के लिए आया हो। आज की डेट में तकरीबन 4 से 5 प्री-मैच्योर बच्चे होते हैं जोकि सिर्फ़ हिमाचल से ही नहीं बल्कि पंजाब से हमारे पास ट्रीटमैंट (TREATMENT) लेने के लिए आ रहे हैं।
टाॅप कोविड पीरियड के दौरान उन बच्चों को, उनके अभिभावकों को बहुत दिक्कतें आईं क्योंकि हमारी स्टेट गवर्नमैंट ने एन्ट्री बंद की हुई थी तो कई बार डीसी साहिब से रिक्वैस्ट करके इन लोगों ने पास बनवाए और हमसे ट्रीटमैंट लेने हमारे पास आए। हमने TREATMENT दीं।
एक और डीपार्टमैंट है ओक्लो आनकोलोजी यानि जिसे कैंसर कहते हैं वह डीपार्टमैंट जल्द मैं शुरू करने जा रहा हूं। उसके लिए मैं थोड़ी तैयारी कर रहा हूं। यही एक FACILITY रह गई है जो हम नहीं दे पा रहे हैं। आने वाले समय में मेरी कोशिश होगी कि जो आंखों के कैंसर के मरीज़ हैं वे भी यहां पर ट्रीटमैंट ले पाएं। इसके अलावा आप जितनी भी फ़ैशिलिटीज़ के नाम ले पाएं वे हमारे पास मौज़ूद हैं। पूरे हिमाचल प्रदेष में कोई भी हाॅस्पिटल ऐसा नहीं है जो इन सभी फ़ैशिलिटीज़ को एक साथ, एक ही छत के नीचे कवर कर पाए। हम लोग इसको लीड कर रहे हैं और हमारी कोशिश यही होगी कि QUALITY में, AFFORDABILITY मे, EXCELLENCE में हम आगे रहें और प्रदेश का नाम सर्वोपरि रखें।

राजेश सूर्यवंशी : DIGITALIZATION PROCESS के बारे में कुछ बताएं।

डाॅ. सुधीर सल्होत्रा : DIGITALIZATION तो बहुत ही IMPORTANT विषय है। SURGICAL PART में हमारी पूरी DIGITALIZATION हैै। RECENTLY यह सुविधा हमने अपने आप्टिकल डीपार्टमैंट में शुरू की है, फार्मेसी की DIGITALIZATION शुरू हो जायेगी। सारा हाॅस्पिटल इस समय कम्प्यूट्राईज़ेशन की ओर चल रहा है। कई FACILITIES धीरे-धीरे ADD कर रहे हैं हाॅस्पिटल में।

राजेश सूर्यवंशी : आम जनता के लिए आपका कोई संदेश?
डाॅ. सुधीर सल्होत्रा : मैं प्रिय लोगों को यही संदेश देना चाहूंगा कि आप हम पर पूर्ण विश्वास रखिए। इस हाॅस्पिटल में जहां तक ट्रीटमैंट का सवाल है तो मैं यह कहना चाहूंगा कि आप हमारे पास उम्मीद लेकर आते हैं तो हम आपको कभी निराश नहीं करेंगे। आपको बैस्ट फैशिलिटीज़ जो कम से कम दाम में हम आपको दे सकते हैं, देने का भरपूर प्रयास करेंगे। अगर आप पैसे नहीं भी दे सकते हैं तो आपको ईलाज मना नहीं होगा। हमारी यही कोशिश होगी कि आप को बैस्ट ट्रीटमैंट देकर हम यहां से भेजें। ईश्वर सर्वद का भला करें, यही हम सब की कामना और प्रार्थना है।

जय हिन्द, जय भारत

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