डॉक्टर शिव के जाने के बाद आम जनता ही नहीं, मारंडा ही नहीं, अपितु परागपुर और धुसाड़ा के कर्मचारी भी सिसकियां भर-भर कर कर रहे हैं उन्हें याद, उन के बाद किसी ने नहीं पूछा हाल, आज तक वेतन वृद्धि की आस में भटक रहे रोटरी आई हॉस्पिटल के मेहनती कर्मचारी, आखिर किसकी नादानी से हाथों से छूटती जा रही है डोर?
क्या कुम्भकर्णी नींद से जगाने के लिए बार-बार देना होगा 440 वोल्ट का झटका,
डॉक्टर शिव के जाने के बाद आम जनता ही नहीं अपितु परागपुर और धुसाड़ा के कर्मचारी भी सिसकियां भर-भर कर कर रहे हैं उन्हें याद,
उन के बाद किसी ने नहीं पूछा हाल, आज तक वेतन वृद्धि की आस में भटक रहे रोटरी आई हॉस्पिटल के मेहनती कर्मचारी,
आखिर किसकी नादानी से हाथों से छूटती जा रही है डोर?
क्या कुम्भकर्णी नींद से जगाने के लिए बार-बार देना होगा 440 वोल्ट का झटका,
जनता व कर्मचारी सब बेसब्री से कर रहे अस्पताल के सरकारी करण का इंतजार ,
आज रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा के अत्यन्त मेहनती, अनुशासित और कर्मठ कर्मचारियों की दर्दभरी दास्तान आपके समक्ष बयान करने जा रहे हैं हम।
बात उस समय की है जब डॉ शिव कुमार-चेयरमैन, डॉ एस के शर्मा -डायरेक्टर और डॉ राम कुमार सूद-फाइनेंस ऑथोरिटी के कार्यकाल में कर्मचारियों का पे स्केल रिवाइज हुआ था। इसके बाद जबसे डॉक्टर शिव के हाथों से बागडोर छूटी, तब से कर्मचारियों के भाग्य पर भी ताला लग गया।
कर्मचारियों के बार-बार गुहार करने के बाद भी उनके पे स्केल रिवाइज नहीं किये गए । जबकि ये मजबूर कर्मचारी देर रात तक भी बिना किसी ओवरटाइम के अपना घर-परिवार छोड़ कर निःस्वार्थ ड्यूटी करते हैं और कभी उफ्फ तक नहीं करते। इसके बावजूद उन्हें उनके हक से वंचित रखा जा रहा है।
बड़ी हैरानी की बात है कि 2016 के बाद से अब जब पे स्केल रिवाइज हो जाने चाहिए थे लेकिन अफ़सोस, ऐसा नहीं हुआ।
बेचारे गरीब कर्मचारी अपने हक में खुल कर आवाज़ तक नहीं उठा पा रहे क्योंकि वे जानते हैं कि अगर किसी ने मुंह खोलने की जुर्रत भी की तो उसका पत्ता साफ करने में एक क्षण भी नहीं लगेगा। इसलिए वे मज़बूरन अपनी जुबान पर ताला लगाना ही बेहतर समझते हैं।
पाठकगण खुद ही सोचें कि 2016 और आज 2023 की महंगाई दर में ज़मीन-आसमान का अंतर आ चुका है। लगभग 70 प्रतिशत महंगाई में इज़ाफ़ा हो चुका है लेकिन इन कर्मचारियों के वेतन जस के तस हैं। उन्हें परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। कोल्हू के बैल की तरह काम करना उनकी मजबूरी बन गई है।
किसी चैरिटेबल कहलाए जाने वाले अस्पताल में कर्मचारियों का इतना बड़ा शोषण शायद ही इतिहास के पन्नों में कहीं दर्ज हो।
ये हालात केवल रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा के स्टाफ के ही नहीं बल्कि धुसाड़ा (ऊना) और परागपुर में भी हैं जहां भिन्न-भिन्न तरीकों से कुछ कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा हैं। जो कर्मचारी अपने आका की हाँ में हां नहीं मिलाता उसे परेशान करके नौकरी से त्यागपत्र देने के लिए भी मजबूर किया जा रहा है। इसके सजीव प्रमाण भी मौजूद हैं।
प्रदेश स्तरीय समाजसेवी NGO मिशन अगेंस्ट करप्शन, ने ‘दी पालमपुर रोटरी आई फॉउंडेशन मारंडा’, पालमपुर से गुजारिश की है कि जल्द से जल्द आसमान छूती महंगाई और कर्जदारी से बचाने हेतु संस्था के अंतर्गत संचालित तीनों अस्पतालों मारंडा, परागपुर और धुसाड़ा के कर्मचारियों का पे स्केल तत्काल प्रभाव से रिवाइज करके उन्हें फ़ौरी राहत प्रदान की जाए ताकि वे अपने परिवारों का भरण-पोषण सहजता से कर सकें।
इसके अतिरिक्त जो सिक्योरिटी कर्मचारी इन अस्पतालों में काम कर रहे हैं उन्हें मात्र 7-8 हज़ार रुपये देकर उनकी तसल्ली कर दी जाती है जबकि फाउंडेशन हाएर्ड सिक्योरिटी एजेंसी को लगभग 14 हज़ार रुपये देती है यानि 4-5 हज़ार बिचौलिए ठेकेदारों की जेबें भरने में बर्वाद किये जा रहे हैं। अगर अपने खासमखास बिचौलियों मित्रों को लाभ न पहुंचा कर यह तनख्वाह सीधे दिन-रात सख्त ड्यूटी दे रहे सिक्योरिटी स्टाफ को दी जाए तो उन्हें इस महंगाई से काफी राहत मिल सकती है।
चेयरमैन बेचारे कर्मचारियों की इस बात का अनुचित लाभ बिल्कुल उठाने की कोशिश न करें कि……
“कौन सुनेगा, किसको सुनाएं, इसलिए चुप रहते हैं..!
हमसे अपने रूठ न जाएं इसलिए चुप रहते हैं….।
यह बात भी काबिलेगौर है कि जो उक्त अस्पतालों में काफी संख्या में अनियमित कर्मचारी सिर्फ इस आशा को लेकर थोड़ी सी पगार में काम कर रहे हैं कि भविष्य में उन्हें रेगुलर किया जाएगा, तो ऐसा कुछ होने वाला फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है।
अतः आई फॉउंडेशन के चेयरमैन महोदय को चाहिए कि हर चीज़ से पहले कर्मचारियों का हित सर्वोपरि रख कर सोचा जाए क्योंकि कर्मचारियों की कड़ी मेहनत से ही डॉ शिव कुमार के ये विभिन्न संस्थान ज़िंदा हैं।