कहीं आप बाजार की चीजों में थूक, मूत्र और मानव मल के साथ बिमारियां तो नहीं खा रहे.

थूक, मूत, जिहाद

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*थूक, मूत, जिहाद*
एक जनाब तंदूरी रोटी थूक लगाकर सेंक रहे हैं।
एक जनाब बिरयानी में गर्भनिरोधक गोलियां, नपुंसक बनाने वाली दवाई मिला रहे हैं।
एक जनाब थूक लगाकर सेविंग क्रीम लगा रहे हैं।
एक पार्टी में पानी के गिलासों को थूक से भरकर पानी पिलाया जा रहा है।
एक जनाब सर्विंग प्लेट्स को जीभ से चाटता जा रहा है।
एक जनाब चाय में थूककर मेहमाननवाजी कर रहा है।
एक जनाब आईस्क्रीम चाटकर सर्व कर रहा है।
एक जनाब फलों पर थूक लगाकर बेच रहा है।
एक जनाब गन्दे नाले का पानी सब्जियों में डालकर बेच रहा है।
एक जनाब दूध के केन में थूक रहा है।

सबसे अल्टीमेट तो लंदन के एक रेस्तरां में एक डिश में मानव मल मिलाकर गर्मागर्म परोसा जा रहा है।।

सोचिए ये कैसी इमान वाली जाति है। और सिक्यूलरपंती में तुम सेवइयां खाए जा रहे हो…।।

और ये तो वो घटनाए हैं जो कैमरे में रिकॉर्ड हो गई…. और गिनती के #मलेच्छों का भांडा फूट गया….

बाकि तो कितने करोड़ लोग प्रतिदिन #हलालियों के दूषित बिरयानी, मुसल्लम और हलीम ,इत्यादि के चटखारे ले रहे हैं…
और यह सब देख सुन हंसना चाहिए या रोना समझ नहीं आ रहा….
अरे भाई अब तो सतर्क हो जाओ, प्रोडक्ट के निर्माता कौन हैं, देखभाल कर ही खरीदो।

#मजहबी_प्रेरणा

*ध्यान से पढिए…*
भारत ही नहीं इंग्लैंड की सत्य घटनाओं से जानिए
*कहीं आप बाजार की चीजों में थूक, मूत्र और मानव मल के साथ बिमारियां तो नहीं खा रहे..*
काफिर और दीन में बंटी दुनिया में दीन यही कर रहा है..
*आपको बहुत पढा-लिखा, उच्च पद पर बैठा और सम्मानित दिखने वाला मुस्लिम पहले अपने दीन के अनुसार काफिर का ईमान खराब करके अपना मजहबी कर्तव्य पूरा करता है…*

पद्मश्री से सम्मानित, सो कॉल्ड महान, लिबरल और फेमेनिस्ट्स की आँखों की तारा रहीं उर्दू लेखिका इस्मत चुगतई का जन्म उत्तर प्रदेश के बदायूँ जनपद में 1915 में व उनकी मृत्यु 1991 में हुई।

वे अपनी ऑटो बायोग्राफी *’कागजी है पैरहन’ में लिखती है कि जब भी जन्माष्टमी आती है, वह अपनी हिन्दू मित्र एक लाला जी की बेटी को चुपके, चोरी व धोखे से गोश्त खिला देती थी!*

इस कृत्य से उसे बहुत आत्मसंतोष व न जाने कौनसा जज्बा तसल्ली पाता था। आगे लिखती हैं कि इस्लाम में बुतशिकनी (मूर्ति तोड़ना) जायज व बुत परस्ती (मूर्ति पूजा) हराम है। *इसलिए जन्माष्टमी में कृष्ण मूर्ति को देखकर मुझे बहुत पीड़ा होती थी, इसलिए मैं मुर्ति को चुरा लेती थी?…*

सोचिए, एक लेखक जो समाज के लिए पथ प्रदर्शक होता है, यदि वह अपनी उन्मादी कट्टरपंथी जिहादी सोच को कलम में उतारता है तो समाज ओर देश के लिए कितने खतरनाक हो सकता है।

आप कैसे अपने किसी मित्र का विश्वास तोड़ सकते हैं, जो आपके यहां आप पर विश्वास करके खाना खा लेता था यह जानकर भी कि आप गोश्त खाते हैं। उसकी कितनी निर्मल, पवित्र व प्रबल दोस्ती की भावना होगी, और एक आप हैं कि आपका जज़्बा उसके विश्वास को खंडित करके सुकून पाता था!

*ऐसा ही एक प्रकरण ग्रेट ब्रिटेन के एक प्रसिद्ध रेस्टोरेंट व्यवसायी अरबपति मोहम्मद अब्दुल बासित और अमजद भट्टी का प्रकाश में आया है, जो गैर-मुस्लिमों के भोजन में मानव मल मिलाकर खाना परोसते थे, अब वे जेल में बंद हैं, इसपर डेली मेल की विस्तृत रिपोर्ट -*

भारत में थूक और पेशाब वाली सब्ज़ियों का वीडियो काफी वायरल हुआ थे, पर ब्रिटेन में तो हद ही हो गई। यहां एक रेस्टोरेंट के मालिक मोहम्मद अब्दुल बासित और अमजद भट्टी गैर-मुसलमानों को इंसानी मल मिलाकर खाना खिला रहे थे।

मोहम्मद अब्दुल बासित और अमजद भट्टी लम्बे समय से ब्रिटेन के नॉटिंघम में होटल चला रहे थे। इस रेस्टोरेंट में लोग बैठकर भी खाना खाते थे और पैक करके घर भी ले जाते थे।

डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, इनके लगभग 50 ग्राहकों ने अलग-अलग तरह के इन्फेक्शन की बात डाक्टरों से कही, जब जांच की गयी तो पता चला की सबको Food Poisoning है, जांच में खुलासा हुआ कि जो खाना इन लोगो ने खाया था, उसमे इंसानी मल था। एक 13 साल की लड़की को तो ऐसा इन्फेक्शन हो गया की उसे आईसीयू में एडमिट करवाना पड़ा, डाक्टरों ने बड़ी मशक्कत कर उसकी जान बचाई।

जांच में पता चला कि सभी बीमार लोगों में एक ही चीज़ कॉमन है और वह यह कि इन सभी ने ब्रिटेन के नॉटिंघम में खैबर पास कबाब शॉप से खाना ख़रीदा था। फिर जांच टीम अचानक इस होटल में भी पहुँच गयी और बने हुए खाने को जब्त किया गया तो पता चला की उसमें भी इंसानी मल मिला हुआ है।

यह भी जानकारी मिली है कि होटल में दो अलग-अलग जगह पर खाना बन रहा था, एक जगह पर स्वच्छ खाना बन रहा था व दूसरे में मानव मल वाला, ये उन्मादी अपने मजहबी को छोड़कर बाकी सभी लोगों को मानव मल वाला खाना खिलाते थे।

समझने वाली बात यह भी है कि ब्रिटेन में भी जमजमी तहजीब अपना रंग दिखा रही है। एक और बात एक बार फिर साबित हो गई कि ये लोग शरण और जीवन यापन का माध्यम प्रदान करने वाले देश का भी अहसान नहीं मानते हैं, बल्कि वहां के लोगों से घृणा करते हैं।

एक तरफ बुद्धिजीवी उच्च शिक्षा प्राप्त वर्ग की प्रतिनिधि इस्मत चुगतई और अरबपति बिटेन के होटल मालिकों मोहम्मद अब्दुल बासित और अमजद भट्टी का यह हाल है, तो दूसरी ओर गरीब व मध्यम वर्गीय मदरसा छाप वालों का क्या हाल होगा?

*इसलिए सावधान रहें*
परम् पूज्य गुरु गोविंद जी के अनुसार इस कौम पर कदापि विश्वास न करें…
फिर मर्ज़ी आपकी
🙏🙏

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