सनातन संस्कृति : चुनौतियां एवं समाधान
विषय पर
J.M. AWASTHY
राष्ट्रीय कार्याशाला (14 नवम्बर 2021)
संस्कृति एक वृहद अवधारणा है। यह लोकरीतियों, रूढ़ियों, परम्पराओं प्रथाओं, नियमों, कानूनों, मूल्यों विश्वासों, शिष्टाचारों, नैतिकता, कलाओं साहित्य, भाषाओं तथा ज्ञान की समग्रता है।
संस्कृति मानव समाज को आधार प्रदान करती है। मनुष्य अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर, अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसका विकास करता है तथा वह अगली पीढ़ियों को इसका हस्तांतरण करता है ।
सनातन संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है। सनातन शब्द का अर्थ है जो परंपरा से चलते आया, शाश्वत है, जो हमेशा बना रहे, जिसका न आदि है। न अन्त ।
इस प्रकार सनातन संस्कृति अनंत है, शाश्वत है। सहस्त्रों सहस्त्रों वर्षों से यह भारतीय समाज का अभिन्न अंग रही है। सनातन संस्कृति की उद्गम स्थली भारत वह दिव्य भूमि है जहां पर यह संस्कृति पुष्पित एवं पल्वित हुई।
वर्तमान समय में कई ऐसे राष्ट्र हैं जहां पर यह संस्कृति जनजन की जीवनशैली के रूप में विद्यमान है। विश्व के प्राचीनतम शास्त्र ऋग्वेद के 3-18-1 श्लोक में यह कहा गया है कि यह (वैदिक) पथ सनातन है।
समस्त देवता और मनुष्य इसी मार्ग से पैदा हुए हैं तथा प्रगति की है। हे मनुष्यो आप अपने उत्पन्न होने की आधाररूपा अपनी माता को विनष्ट न करें । वेदों में सर्वप्रथम ब्रह्म और ब्रह्मण्ड के रहस्य पर से पर्दा हटाकर ‘मोक्ष’ की धारणा को प्रतिपादित कर उसके महत्व को समझाया गया है।
मोक्ष के बिना आत्मा की कोई गति नहीं इसीलिए ऋषियों ने मोक्ष के मार्ग को ही सनातन मार्ग माना है। ॐ को सनातन धर्म का प्रतीक चिन्ह ही नहीं बल्कि सनातन परम्परा का सबसे पवित्र शब्द माना गया है।