सेवा, सिमरन, सत्संग में ध्यान दें

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*धोबी की कपड़ों से दुश्मनी नहीं होती वो कपड़ों को पत्थर पे पटकता है, डंडा भी मारता है, गरम पानी में डुबोता है, साफ होने के बाद सुखाने के लिए तेज धूप में भी टांगता है, फिर उसकी सिल्वट निकालने के लिए गर्म प्रेस भी घुमाता है, फिर उसके मालिक के हवाले करता है |
सतगुरु भी जब किसी जीव को नाम दान देते हैं, तो उसे सेवा, सिमरन, सत्संग भी बख्शते हैं, जीव को थोड़े बहुत कष्ट होते हैं, लेकिन उसकी आत्मा को निर्मल करके फिर उसके निजधाम ले जाते हैं | इसलिए थोड़ी थोड़ी तकलीफ़ से घबराए नहीं आपकी सफाई हो रही है, सेवा, सिमरन, सत्संग में ध्यान दें..!!*

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