जानिए, आखिर कौन हैं सत्येंद्र जैन? क्यों उन्हें बेरहमी से प्रताड़ित करना भाजपा के लिए हो गया ज़रूरी? अब और कोई चारा नहीं बचा था भाजपा के पास, उनकी लोकप्रियता छू रही थी आसमान, हाथों से सरक रहा था हिमाचल
चेहरे पर जगह-जगह मारपीट और खून के निशान
*आखिर कौन हैं सत्येंद्र जैन? क्यों उन्हें प्रताड़ित करना भाजपा के लिए जरूरी हो गया?*
ढाई साल से सत्येंद्र जैन के विभागों के काम पर शोध कर रही पत्रकार *पल्लवी रेबाप्रगदा* ने ट्वीटर पर एक खास थ्रेड शेयर किया है।
_उन्हीं की आँखों से आप भी समझें, दिल्ली के विकास में सत्येंद्र जैन का कितना बड़ा योगदान है…_
1. मैं दिल्ली विधानसभा में ढाई वर्षों से एक शोधकर्ता के रूप में सत्येंद्र जैन के विभागों पर डेटा का दस्तावेजीकरण कर रही हूं। मुझे लगता है कि हर भारतीय नागरिक को इस इंसान के बारे में कुछ बातें जरूर जाननी चाहिए, जिन पर अब तक चर्चा नहीं हुई है।
2. *सत्येंद्र और उनकी पत्नी पूनम जैन दोनों आर्किटेक्ट हैं।* पहले उनकी आर्किटेक्चरल फर्म काफी सफल और लाभदायक थी। लेकिन उसे छोड़कर वह ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ से जुड़ गए। मात्र 47 साल की उम्र में उन्होंने अब पैसे के लिए नहीं, बल्कि देश के लिए काम करने का फैसला किया।
3. दिल्ली में *’मोहल्ला क्लीनिक’* उन्हीं का आइडिया था। जटिल भूमि कानूनों वाली राजधानी के फुटपाथ में पोर्टेबल केबिन बनाकर मात्र 20 लाख रु में क्लिनिक की योजना बनाई।
स्थानीय नागरिकों की मदद से भूमि खोजने और सेवानिवृत्त डॉक्टरों की सेवा लेकर इसे लागू करने की योजना में काफी बाधा आई। लेकिन आज इस योजना का पूरे विश्व में डंका बज रहा है।
4. कांग्रेस सरकार के समय अस्पतालों की *प्रति बिस्तर लागत* (नॉन एसी) एक करोड़ रुपये थी। सत्येंद्र जैन ने इसे *घटाकर 20 लाख* से भी कम कर दिया। बिस्तरों की संख्या भी बढ़ा दी।
5. सत्येंद्र ही वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने बेहद कम लागत पर 21,000 नये क्लास रूम का निर्माण किया।
*जैन साहब ने हर प्रोजेक्ट मे दिल्ली की जनता का भरपूर पैसा बचाया।* पीडब्ल्यूडी की निर्माण परियोजनाओं से बचाया गया पैसा मुफ्त इलाज और दवाओं में काम आ गया।
6. दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक, स्कूल अस्पताल वगैरह बनाने के लिए *भूमि जुटाना* बेहद मुश्किल है। कारण? दिल्ली में भूमि केंद्र के धीन है। लेकिन जैन साहब ने प्राइवेट जगह ढूंढी, स्कूलों में जगह ढूंढी और मोहल्ला क्लीनिक बनवाए।
और हाँ, मोहल्ला क्लीनिक और अस्पतालों का दौरा करके उन्होंने रोगियों की बड़ी भीड़ की जरूरत पूरी करने के लिये खास डिज़ाइन बनाए।
7. दिल्ली में सक्षम डॉक्टरों की कमी नहीं, लेकिन *अस्पतालों के प्रबंधन* में प्रोफेशनलिज्म नहीं था। सत्येंद्र जैन ने आधुनिक एचआर सिस्टम लागू किया। अब वही अस्पताल अधिक प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं!
हर दूसरे हफ्ते, एमआरआई मशीनों और आधुनिक एनआईसीयू का उद्घाटन हो रहा है।
8. दिल्ली के *मोहल्ला क्लीनिक* देखने हार्वर्ड के प्रतिनिधि आ रहे हैं। अमर्त्य सेन, बान-की-मून ने प्रशंसा की। आईआईटी, स्टैनफोर्ड, प्रिंसटन, कैम्ब्रिज के विद्वान लोग भी इन्हें देख रहे हैं।
9. *क्या आप जानते हैं कि रोहिणी में दक्षिण एशिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी ऊर्जा भंडारण प्रणाली है??* सत्येंद्र जैन ने ही इसे शुरू किया है।
10. क्या आप जानते हैं कि उनके मार्गदर्शन में दिल्ली जलबोर्ड ने आधुनिक निकास कुओं, सीवेज उपचार संयंत्र स्थापित किए हैं?
जल निकायों को पुनर्जीवित किया जा रहा है! दिल्ली वालों को शायद यह भी नहीं पता कि ये कहां हैं!
11. कभी पल्ला या रजोकरी गए हैं? मात्र 222.10 लाख रुपये की लागत से विभाग ने रजोकरी गांव में *जल निकाय को पुनर्जीवित* किया है।
2019 में शुरू हुई तीन साल की पायलट परियोजना में मानसून के मौसम के दौरान बाढ़ के मैदानों पर उथले जलाशयों में अतिरिक्त यमुना के पानी को बनाए रखना शामिल है।
12. *आपके बिजली के बिलों में किसने कटौती की?* जैन के बिजली विभाग ने ही यह कमाल किया है।
आज बिजली ट्रांसको मुनाफे में है। शीला दीक्षित के समय यह भारी कर्ज में डूबा था।
सत्येंद्र ने सौर नीति को लागू किया और सीसीटीवी कैमरों को स्थापित किया।
13. सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को तत्काल अस्पताल पहुंचाने की *’फ़रिश्ते दिल्ली की’* योजना भी देश भर में अनोखी है।
14. प्रदूषित कोयला संयंत्रों को बंद करने से लेकर स्वच्छ, सस्ती बिजली पर ध्यान केंद्रित करने तक जैन ने दिल्ली के लिए बहुत कुछ किया है।
15. सत्येंद्र जैन ने *फ्लाईओवर परियोजना में 100 करोड़ से अधिक बचत की*। इस काम की वेंकैया नायडू ने प्रशंसा की थी। इस परियोजना के लिए शीला दीक्षित सरकार ने 247 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।
16. _वह स्मृति ईरानी की तरह नाटकीय वक्ता भले ही न हों, लेकिन इस व्यक्ति ने बहुत मेहनत की है। बहुत ईमानदारी से काम किया है। शासन में नवाचार लाया है। उनकी कहानी बहुत कम लोग जानते हैं, क्योंकि वह ‘घाघ राजनीतिक’ नहीं बल्कि ‘सुशासन’ की जिद पर काम करते हुए भारत माता के सच्चे सपूत हैं!_
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