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आज एस एफ आई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने दशहरे के उपलक्ष्य पर प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार का तमाम सामाजिक बुराईयों सहित पुतला दहन किया। एस एफ आई ने नारों के माध्यम से समाज में प्रचलित कुरीतियों तथा इन कुरीतियों को राजनीतिक संरक्षण देने वाले तमाम संस्थाओं तथा लोगों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया ।
प्रदर्शन में बात रखते हुए एस एफ आई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष संतोष ने कहा कि दशहरे के दिन लोग रावण का पुतला दहन करते हैं और इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है लेकिन आज के समय में हमें समाज के असली रावणों को पहचानने की जरूरत है ।
संतोष ने कहा कि दुनिया के स्तर पर हमें देखने की जरूरत है कि साम्राज्यवाद किस तरह अपने फन फैला रहा है फिलिस्तीन – इज़राइल एवं रूस – यूक्रेन युद्ध इसके जीते जागते उदाहरण है। इसके साथ-साथ अमेरिका अपनी नव उदारवादी नीतियों के तहत किस तरह तीसरी दुनिया के देशों के संसाधनों की लूट कर रहा है यह बीते वर्षों में साम्राज्यवाद के नए स्वरूप के तौर पर उभर कर सामने आया है।
संतोष ने कहा कि आज देश के अंदर बढ़ते सांप्रदायिकता तथा हिंसा के कारण जनता के मुद्दों महंगाई,बेरोजगारी, भ्रष्टाचार तथा ग़रीबी आदि को राजनीतिक चर्चाओं से खत्म करने का काम किया गया है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बड़े मीडिया घरानों को अपने कब्जे में लेकर तथा स्वतंत्र मीडिया पर दबाव बनाकर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर करने का कार्य किया है।
संतोष ने आरएसएस पर आरोप लगाते हुए कहा कि आरएसएस अपनी सांप्रदायिक तथा पितृसत्तात्मक सोच के द्वारा देश को बांटने का कार्य कर रहा है। आज आरएसएस देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों पर अपनी विचारधारा को थोप रहा है तथा इन संस्थानों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। इसकी स्पष्ट झलक हमें केंद्र सरकार की नीतियों में भी देखने को मिलती है।
प्रदर्शन में बात रखते हुए एस एफ आई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई सचिव सनी ने कहा कि आज के समय के रावण को पहचानने तथा उसे खत्म करने का सबसे बड़ा साधन शिक्षा है । परंतु हम देखते आए हैं कि किस तरह प्रदेश तथा देश की सरकारें शिक्षा के ऊपर नीतिगत हमले कर रही हैं । एन ई पी के माध्यम से शिक्षा को आम जनमानस की पहुंच से दूर करने का कार्य किया जा रहा है। समाज के पिछड़े तबके से आ रहे छात्रों को मिलने वाली आर्थिक सहायता में निरंतर कटौती की जा रही है अथवा खत्म किया जा रहा है । एम ए एन एफ तथा एस सी, एस टी स्कॉलरशिप इसका उदाहरण है।
सनी ने कहा कि एस एफ आई पिछले लंबे समय से विश्वविद्यालय के अंदर हुए फर्जी प्रोफेसर भर्तियों तथा पीएचडी के अंदर हुई फर्जी एडमिशन के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड रही है ।
सरकार चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी की सभी ने विश्वविद्यालय को शैक्षणिक भ्रष्टाचार का अखाड़ा बना के रखा है। स्थाई रोजगार की कोई बात नहीं हो रही है तथा आउटसोर्स पर अपने लोगों को भरने का निरंतर कार्य किया जा रहा है। इआरपी के कारण आज प्रदेश का छात्र अनेकों मुश्किलों का सामना कर रहा है। रिजल्ट समय पर ना आना तथा रिजल्ट में अनियमिताएं अब आम बात हो चुकी है। छात्र इन समस्याओं को लेकर एकजुट न हो उसके लिए प्रदेश की सरकार ने विश्वविद्यालय तथा प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों से लोकतांत्रिक परिवेश को पूरी तरह खत्म करने का कार्य किया है। एस सी ए इलेक्शन को खत्म करने के पीछे की असल मंशा भी यही थी ।
एस एफ आई की स्पष्ट समझ है कि आज समाज के असल रावणों को पहचानने के साथ-साथ सबको को एकजुट करते हुए उनके खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने की जरूरत है। इस लड़ाई में विश्वविद्यालयों की भूमिका को समझते हुए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की एस एफ आई इकाई आने वाले समय में आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी। इसके लिए एस एफ आई ने प्रदेश भर के छात्र समुदायों से सहयोग की अपील भी की ।
धन्यवाद।
एस एफ आई विश्वविद्यालय इकाई।
*परिसर अध्यक्ष*
*संतोष कुमार*
8219705920
*परिसर सचिव*
*सनी सेक्टा *
8679453045