नेताजी बोले “शहादत जैसे होते रहते हैं हादसे”… कर्नल जसवन्त सिंह चंदेल
वहां किसी की बैठी एक मां थी,
किसी की बैठी थी वहां धर्मपत्नी,
और किसी ने बस पकड़ रखी थी,
सिसकती हुई प्यारी बहन अपनी ।
खूब वहां तामझाम वहां सरकारी,
अगली पंक्ति बैठी सरकार हमारी,
एक पकड़े आ रहा खूंटा अपना,
जिसने खोया शायद बेटा अपना।
हो रहीं थी वहां लंबी लंबी तकरारें,
भरोसा दे रहीं थी वहां से सरकारें,
आज शहीदों को देश करता प्रणाम,
और आपके बेटे को हमारा सलाम।
मैं बैठा हुआ था चुपचाप वहीं पर,
सब देख और सुन रहा था वहीं पर,
सुन रहा था मैं उनके किए गए बादे,
बैठा मैं उन्हें गिन रहा था वहीं पर।
बना देंगे जी हां एक सड़क घर तक,
हैंडपंप लगाने में नहीं पड़ता है फर्क,
आज बीत चुके हैं बादों के कई वर्ष,
उनके सब बादे हो चुके हैं आज गर्क।
घर पर बैठ चुके हैं उस दिन के नेता,
जो वहां दे गए थे हमें वो सारे दलासे,
मैं भी एक दिन बस पूछ बैठा नेता से,
उतर मिला होते रहते हैं जी ऐसे हादसे।
कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल
कलोल बिलासपुर हिमाचल।
Mob.. 9418425568