गली-सड़ी बदबूदार लावारिस लाश का अंतिम संस्कार किया शनि सेवा सदन प्रमुख परविंदर भाटिया ने, कभी किसी ने नहीं जाना इस सच्चे जनसेवक की मुस्कुराहट के पीछे छुपा दर्द
आज हम आपको अत्यन्त दुखद किस्सा सुनाने जा रहे हैं जिससे आप का भी कलेजा भी मुंह को आ जायेगा।
आज तक हम सबने शनि सेवा सदन के प्रमुख परविंदर भाटिया के जनसेवा के जज़्बे को ही देखा है, उनकी खूब सराहना भी की है लेकिन इस सेवा के पीछे छिपे दर्द को हम देख नहीं पाते और न ही भाटिया जी अपने दिल के दर्द को किसी के आगे प्रकट होने देते हैं।
हुआ यूं कि शनि सेवा सदन को कल प्रशासन द्वारा फोन किया गया कि एक लावारिस शख्स की लाश का अंतिम संस्कार करना है।
इस शख्स की शायद दो-तीन दिन पहले मृत्यु हो गई थी और इसे शव गृह में रखा गया था परंतु इस शख्स का शव इतनी बुरी तरह से सड़-गल चुका था कि इसके पास एक क्षण के लिये भी खड़े रहना नामुमकिन था।
शनि सेवा सदन ने दो मजदूरों को दिहाड़ी पर लिया ताकि दाह संस्कार करवा दिया जाए परंतु जब वे लोग इस शव के पास गए तो उन्होंने इस शव को हाथ लगाने से मना कर दिया और कहा कि आप ₹2000 -2000 भी दोगे तो भी हम उस को हाथ नहीं लगाएंगे क्योंकि इसमें बहुत बदबू है। यह शरीर बुरी तरह सड़ चुका है अगर हमने इसमें हाथ लगाया तो हमें इंफेक्शन हो जाएगा।
भाटिया जी ने हिम्मत नहीं हारी और बड़ी मुश्किल से, मन को काबू में करके उन लोगों को जैसे-तैसे मनाया तथा बहुत मुश्किल से शव उठाया। शव वाहन में डालकर श्मशान घाट ले जाया गया ।
केवल तीन आदमी थे उस लावारिस का अंतिम संस्कार करने के लिए और वह भी गली-सड़ी हालत में। सारे शमशानघाट में बदबू ही बदबू फैल गई।
शव वाहन में भी बदबू फैल गई, न जाने कितनी मुश्किलों बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया।
परंतु शनि सेवा सदन को अपनी कर्तव्य से कभी मुख नहीं मोड़ना है इसलिए कल इतनी बुरी हालत में भी, उस आदमी का, जिसका शायद अपने रिश्तेदार भी अंतिम संस्कार न कर पाते, वह अंतिम संस्कार करवाया गया।
परिणामस्वरूप भाटिया जी इतने थक गए थे कि कल दो गायों के लिए फोन आए कि वह चोटिल हैं परंतु थकान की वजह से वहां पर नहीं पहुंच पाए जिसका उन्हें भारी खेद है।
शनि सेवा सदन उन दो भाइयों का तहे दिल से शुक्रगुजार हैं जिन्होंने इस बुरी तरह से सड़े-गले शव का अंतिम संस्कार करवाया, उन्हें बहुत-बहुत साधुवाद!
सीटू भाई गोपाल सूद जी का भी बहुत सहयोग रहा उन्हें भी साधुवाद।
अब हम देखते हैं इस किस्से का दूसरा रुख।
मोक्ष वाहन की पार्किंग के लिए प्रशासन और राजनीतिज्ञ नहीं करवा पाए छोटी सी जगह का प्रबंध
शनि सेवा सदन का मोक्ष वाहन जिसे सर्वश्री परविंदर भाटिया ने बड़ी मुश्किल से जनता की सेवा हेतु खरीदा था, आज वह पार्किंग के अभाव में बरसों से खुले आसमान के नीचे सड़ रहा है, जंग खा रहा है। कुछ असामाजिक तत्व इस वाहन के दान पात्र में से कई बार चोरी भी कर चुके हैं। वाहन को नुकसान भी पहुंचा चुके हैं। तोड़फोड़ भी कर चुके हैं।
इस मोक्ष वाहन अर्थात शव वाहन को पार्क करने के लिए अनगिनत बार स्थानीय प्रशासन व समस्त राजनीतिज्ञों से करबद्ध निवेदन किया जा चुका है। हिमाचल रिपोर्टर ने कई बार स्वयं स्थानीय राजनेताओं से इस बारे में प्रार्थना की गई, कई लेख छापे, कई बार एडिटोरियल भी लिखे लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। मात्र आश्वासनों के सहारे वे अपनी कन्नी काटते रहे। किसी को इस शव वाहन पर ज़रा सा भी तरस नहीं आया।
आज भी यह वाहन खुले आसमान के नीचे खड़े होने को मजबूर है। सबको इस वाहन की और भाटिया जी की याद तभी आती है जब उन्हें अपना शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाना होता है, चाहे पुलिस-प्रशासन हो या कोई और।
प्रशासन और राजनीतिक तबका इतना मौकापरस्त है कि जब भी कभी कोई छोटा-बड़ा कार्यक्रम होता है तो उन्हें सम्मान देना तो दूर की बात, उन्हें कार्यक्रम में बुलाना तक भूल जाते हैं। सड़ी-गली लाशों को जिनकी बदबू और बदतर हालात को देख कर जानवर भी भाग खड़े होते हैं, उनका संस्कार करना हो तो एकदम उनकी याद हो आती है। कितनी बेशर्मी की बात है। इंसानियत मानो खत्म सी हो गई है। अमानवीयता का बोलबाला है। मौकापरस्ती लोगों के सिर चढ़ कर बोल रही है।
आपको एक बात और बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं है जब ऐसी किसी लाश का अंतिम संस्कार किया हो भाटिया जी ने, पल्ले से पैसा खर्च के बल्कि यह छठी लावारिस लाश है। इससे पहले भी भाटिया जी 5 अन्य बदबूदार लावारिस लाशों को ले जाकर उनका अंतिम संस्कार करवा चुके हैं।
अब एक सवाल यहां यह खड़ा होता है कि पैसे तो छोड़ो, क्या पालमपुर पुलिस-प्रशासन के पास दो आदमी या कर्मचारी भी नहीं थे जो भाटिया जी के साथ भेजे जा सके अंतिम संस्कार के लिए?
एक तरह से एक शरीफ और भोलेभाले व्यक्ति को जो हर समय जनसेवा के लिए तत्पर रहता है उसका इतना अधिक दुरुपयोग और वह भी इतनी बेदर्दी से। 4000 रुपये भर रहे हैं परविंदर भाटिया जी, वाहन और तेल का खर्चा अलग से।
यह तो शुक्र है उन भले दानी महानुभावों का जो समय-समय पर अपनी सामर्थ्यानुसार कुछ न कुछ शनि देव के चरणों में भेंट करते रहते हैं।
पैसे तो छोड़ो अगर यह लेख पढ़ कर स्थानीय राजनीतिज्ञों और प्रशासन की आत्मा और इंसानियत ज़रा सी भी जाग जाती है तो मोक्ष वाहन की पार्किंग के लिए छोटी सी जगह का प्रबंध कर दें ताकि शनि देव की कुछ कृपा उन पर भी बनी रहे।
अब देखिए, टांडा अस्पताल का हाल
इस मामले में टांडा अस्पताल भी लापरवाही में पीछे नहीं है। जब भी पोस्टमार्टम के बाद लाश पुलिस को सुपुर्द की जाती है तो वह सड़-गल कर बदबूदार क्यों हो जाती है। साफ सी बात है कि शव के रखरखाव में भारी कोताही बरती जाती है। समय पर शव पुलिस को सुपुर्द नहीं किया जाता ह जिससे लाश से भयंकर बदबू आनी शुरू हो जाती है बाद में खामियाजा अकेले भुगतते हैं शनि सेवा सदन के प्रमुख परविंदर भाटिया जी।
जब शव को पोस्टमार्टम के बाद भाटिया जी को हैंड ओवर किया जाता है तो पूरे रास्ते शव में से खून की बूंदें शव वाहन और सारी सड़क पर बिखरती जाती हैं जिसकी कल्पना करना भी अत्यंत कठिन है।
टांडा अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों को भी इस बारे में गहनता से विचार करना होगा ताकि भविष्य में इस तरह की कोताही न हो।
अंत में मैं यही प्रार्थना करना चाहूंगा कि ईश्वर सबको सद्बुद्धि दें।
💐जय श्री कृष्णा ।💐
💐जय शनि देव।💐