परविंदर भाटिया करोड़ों रुपए की लागत से निर्माण करेंगे विशाल शनि मंदिर और मुफ़्त वृद्ध आश्रम का, शनि सेवा सदन: सेवा, अविरल प्रवाह, श्रद्धा और समर्पण की बहती धारा
"मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया"
शनि सेवा सदन: एक अमर सेवा यात्रा और निष्ठा का प्रतीक
Palampur : Varinder Narang
वह सौभाग्यशाली दिवस था जनवरी 10, 2004 का, जब पालमपुर में बहुचर्चित, बहुआयामी शनि सेवा सदन की स्थापना पंजाबी मूल के एक साधारण व्यक्तित्व के मालिक श्री परविंदर भाटिया द्वारा विधिवत रूप से की गई थी। परविंदर भाटिया के किरदार पर ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं….
“मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया”
उनका उद्देश्य स्पष्ट था “मानव सेवा-माधव सेवा”। वह चले तो अकेले थे मगर कारवां बनता गया।
समाज में सेवा के भाव को और विशाल रूप देने के लिए बने इस सदन की यात्रा उस समय से ही निरंतर जारी है।
प्रारंभिक दौर में शहर के प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्तित्व, सरदार हवेला सिंह जी और कृष्ण लाल साहनी साहब, ने शनि सेवा सदन को अपना आशीर्वाद दिया था।
उनके आशीर्वाद और प्रेरणा ने शनि सेवा सदन को एक मजबूत आधार दिया, जिस पर आज भी यह संस्था टिकी हुई है और समाज की सेवा में अपना योगदान दे रही है।
सेवा की असीमितता में सीमित साधनों का अद्वितीय योगदान
शनि सेवा सदन ने अपने सीमित साधनों के बावजूद समाज में जितना संभव हो सकता है, उतनी सेवा की है।
संस्था का यह मानना है कि सेवा की कोई सीमा नहीं होती, परंतु सीमित संसाधनों के साथ जो भी सेवा संभव हो सकती है, उसे करना ही सच्ची सेवा है।
सेवा के इस पथ पर चलते हुए शनि सेवा सदन के सदस्यों ने कभी हार नहीं मानी।
अपने काम के प्रति निष्ठा और समाज के प्रति समर्पण ने उन्हें हर कठिनाई से लड़ने की शक्ति दी है।
भविष्य में भी शनि सेवा सदन इसी प्रकार से समाज की सेवा करने के लिए कटिबद्ध है और इसके लिए समाज से निरंतर समर्थन और आशीर्वाद की आशा करता है।
महान विभूतियों का आशीर्वाद और प्रेरणा
Joy Restaurant पालमपुर के सरदार हवेला सिंह जी और साहनी साहब जैसे महान व्यक्तियों ने न केवल संस्था को आशीर्वाद दिया, बल्कि इसके कार्यकर्ताओं को प्रेरित भी किया। उन्होंने संस्थापक सदस्यों से कहा था, “सेवा करते रहो, कभी पीछे मुड़कर मत देखना। लोगों के कहने-सुनने पर ध्यान मत देना, सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना।” यह संदेश आज भी संस्था के हर सदस्य के दिल में बसा हुआ है। साहनी साहब ने भी शनि सेवा सदन के कार्यकर्ताओं को यह विश्वास दिलाया था कि, “हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा। तुम इस मिशन में जरूर कामयाब होंगे।” इन महान हस्तियों के शब्द न केवल आशीर्वाद बने, बल्कि सेवा के इस कठिन मार्ग पर चलते रहने की प्रेरणा भी प्रदान की।
अमर विरासत: उनकी अनुपस्थिति में भी उनके आदर्शों का अनुसरण
आज, यह दोनों महान हस्तियां इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके आशीर्वाद और आदर्श शनि सेवा सदन के लिए अमूल्य धरोहर बने हुए हैं। शनि सेवा सदन के कार्यकर्ता मानते हैं कि प्रसिद्ध जॉय रेस्टोरेंट के सरदार हवेला सिंह जी और स्व. कृष्ण लाल साहनी साहब, स्वर्ग में बैठे हुए भी उनकी सेवा की यात्रा को देख रहे हैं और अपनी कृपा उन पर बनाए हुए हैं। उनके प्रति आदर व्यक्त करते हुए, संस्था के सदस्यों का कहना है कि वे सदैव उनके सिद्धांतों और प्रेरणाओं का पालन करते रहेंगे।
शनि सेवा सदन के संस्थापक श्री परविंदर भाटिया जी का यह विश्वास है कि “असली श्रद्धांजलि सेवा कार्य को निरंतर और निष्कपट रूप से जारी रखना है।” इस भावना से प्रेरित होकर, संस्था के सदस्य इस कार्य को भविष्य में भी निष्ठा से निभाते रहने की प्रतिज्ञा करते हैं।
यह संस्था समाज में एकता, प्रेम और सेवा का संदेश फैलाने का प्रयास करती है, और इसके लिए हर सदस्य को समाज का सहयोग और समर्थन प्राप्त होने की उम्मीद है।
प्रार्थना और प्रतिबद्धता का संकल्प
संस्था के सदस्य ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि सरदार हवेला सिंह जी और साहनी साहब को स्वर्ग में स्थान मिले और उनका आशीर्वाद हमेशा शनि सेवा सदन पर बना रहे।
उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए, शनि सेवा सदन के कार्यकर्ता समाज की सेवा में लगे रहेंगे और यह उम्मीद करते हैं कि उनका यह प्रयास एक सकारात्मक बदलाव का वाहक बनेगा।
शनि सेवा सदन की यह यात्रा इस संकल्प के साथ जारी रहेगी कि समाज में सेवा का कार्य कभी थमेगा नहीं।
संस्था का यह नारा है कि “सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है,” और इसी नारे के साथ वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहेंगे।
शनि सेवा सदन पालमपुर के संस्थापक परविंदर भाटिया की भावना और निष्ठा ने संगठन को एक मजबूत आधार प्रदान किया। उनका मानना था कि सेवा की कोई सीमा नहीं होती और सीमित संसाधनों के साथ भी जो भी सेवा संभव हो सकती है, उसे करना ही सच्ची सेवा है। उनकी प्रेरणा और समर्पण ने संगठन को समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद की। परविंदर भाटिया की विरासत आज भी शनि सेवा सदन के सदस्यों को प्रेरित करती है और उनकी सेवा की भावना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
शनि सेवा सदन का मोक्ष वाहन जनता के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। यह सेवा लोगों को बहुत राहत प्रदान कर रही है। इसके अलावा, टांडा पालमपुर में करोड़ों रुपये की लागत से शनि मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, जो क्षेत्र के लिए एक बड़ा उपलब्धि होगी। परविंदर भाटिया की यह परियोजना पालमपुर के लिए इतिहास बन जाएगी। वृद्ध आश्रम के निर्माण से भी यहां के लोगों को बहुत लाभ होगा, जहां सभी सुविधाएं मुफ्त होंगी।