नई दिल्ली: संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोमावार को कहा कि अगर भारत सरकार ने ऐसा किया है तो यह बहुत बुरा है। अगर किसी ने अनधिकृत रूप से ऐसा किया है, तो यह और भी बुरा है। यदि कोई विदेशी सरकार कहती है कि चीन या पाकिस्तान ने ऐसा किया है, तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से हमारी सरकार जांच करानी चाहिए और इसलिए एक स्वतंत्र जांच नितांत आवश्यक है।
थरूर ने कहा कि राहुल गांधी और प्रशांत किशोर क्या सोच रहे हैं या राजनेताओं का साक्षात्कार करते समय पत्रकार क्या सोच रहे हैं, इसका राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने सवाल किया अगर सरकार ने इसके लिए किसी को अधिकृत नहीं किया और ना ही करना चाहती है, तो ये किसने किया? पेगासस निर्माता एनएसओ ग्रुप का कहना है कि वे इसे केवल सरकारों को बेचते हैं, और सॉफ्टवेयर के लिए इसकी लागत लगभग 70 लाख अमेरिकी डॉलर है। जाहिर है इस तरह का पैसा सिर्फ सरकारें ही खर्च कर पाएंगी।
जानिए क्या है मामला
गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी साफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों।
यह रिपोर्ट रविवार को सामने आई है। सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कहा कि इसका कोई ठोस आधार नहीं है या इससे जुड़ी कोई सच्चाई नहीं है।