कई लुप्त होती सांस्कृतिक परम्पराएं पुनः जीवंत हो रही हैं, स्नो फ़ेस्टिवल से  जोकि सांस्कृतिक पर्यटन के लिए शुभ संकेत: पंकज राय उपायुक्त लाहौल एवं स्पिति

पंकज राय ने बताया कि हमारा प्रयास इस फेस्टिवल के  माध्यम से लुप्त हो रही परम्पराओं को पुनर्जीवित करना है

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कई लुप्त होती सांस्कृतिक परम्पराएं पुनः जीवंत हो रही हैं, स्नो फ़ेस्टिवल से  जोकि सांस्कृतिक पर्यटन के लिए शुभ संकेत: पंकज राय उपायुक्त लाहौल एवं स्पिति

आज स्नो फ़ेस्टिवल कोर कमेटी की बैठक पंकज राय की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, जिसमें ‘स्नो- फ़ेस्टिवल’ की समीक्षा सहित मार्च महीने में मनाए जाने वाले त्यौहारों पर चर्चा  की गई।

पंकज राय ने बताया कि हमारा प्रयास इस फेस्टिवल के  माध्यम से लुप्त हो रही परम्पराओं को पुनर्जीवित करना है, जिसमें  हमें सार्थक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शंगजतार लगभग 90 वर्ष के बाद,
राइंक जातर लगभग 50 साल एवं दारचा क्षेत्र का सेलु नृत्य का पुनः जीवन्त होना इस प्रयास का परिणाम है।

उन्होंने बताया कि ‘स्नो फ़ेस्टिवल’ लाहौल के पर्यटन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है। शरदकालीन खेलों व सांस्कृतिक पर्यटन की अपार संभावनाओं का उचित दोहन करने के लिए लोगों होम-स्टे योजना पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि पर्यटन का संतुलित एवं सतत  विकास  निश्चित हो सके।

‘होम-स्टे’ के साथ प्रत्येक गाँव में पुरातन धरोहर की वस्तुओं व कलाकृतियों का एक छोटा सा सामुदायिक म्यूज़ियम  बनाया जाएगा। जहां पर पर्यटकों को यहां की पुरातन व कलात्मक वस्तुओं के बारे में पर्यटकों को जानकारी मिल सके।

स्नो फ़ेस्टिवल से यहां ही संस्कृति,  नृत्य -गीत, वेशभूषा, सहित यहां के व्यंजनों को भी देश- विदेश  तक पहचान मिल रही है। लाहौल- स्पीति  को मीडिया व सोशल मीडिया पर लोग कर बेहद पसन्द  कर रहे हैं जो कि आने वाले पर्यटन व्यवसाय के लिये अच्छा संकेत है।

उपायुक्त ने आज बिलिंग में चल रहे द्विवसीय कार्यक्रम का समापन भी किया। कार्यक्रम में पारंपरिक घूरे गीत एवं अन्य प्रस्तुतियां सराहनीय रही। इस अवसर पर पुरातन धरोहर व कलाकृतियों सहित, स्थानीय व्यंजनों, हस्तशिल्प एवं थांका पेन्टिंग की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

इस अवसर पर ज़िला युवा समन्वयक राम सिंह, आर एम मंगल मनेपा सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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