पर्दाफाश.. अत्याचार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुखर हो रहे जनता के स्वर, बहुत भारी पड़ सकता है सरकार पर चुनावी वर्ष में आयुक्त का पद रिक्त रखना, आयुक्त राजीव कुमार की अचानक ट्रांसफर करने से लटक गई निगम के ज़रूरी कार्य
आयुक्त का पद रिक्त होने से विकास कार्य हो रहे प्रभावित, चुनावी वर्ष में आयुक्त का पद रिक्त रखना कहीं सरकार पर भारी न पड़ जाए
नगर निगम सोलन कार्यालय के सभी कार्यों को पेपरलैस बनाने की योजना एक बार फिर ठंडे बस्ते में चली गई है। इसकी बड़ी वजह यह है कि नगर निगम के कामकाज को ई ऑफिस से जोड़ने वाले आयुक्त का प्रदेश सरकार ने तबादला कर दिया है। हैरानी इस बात की है कि नगर निगम सोलन के स्थायी आयुक्त को यहां से स्थानांतरित किए करीब एक माह का समय हो चुका है, लेकिन सरकार द्वारा अभी तक नए आयुक्त की यहां पर तैनाती नहीं की गई है। इसके चलते नगर निगम सोलन में विकास कार्यों का पहिया रुक गया है। वर्षों के संघर्ष के बाद सोलन नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा तो मिल गया है, लेकिन सरकार ने निगम को एक किस्म से वेंटिलेटर पर ही छोड़ दिया हैं। शुरूआती दौर में निगम को अस्थायी आयुक्त के जरिये चलाने का प्रयास किया गया। कुछ समय प्रदेश सरकार ने जनता के दबाव में आकर यहां पर राजीव कुमार के रूप में स्थायी आयुक्त की तैनाती की थी, लेकिन कुछ माह बाद उनका तबादला कर दिया गया।
आयुक्त रहते हुए राजीव कुमार ने सोलन नगर निगम का कामकाज ई-ऑफिस के माध्यम से करने का बीड़ा उठाया लेकिन उनकी यह महत्वकांक्षी योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। जबकि नगर निगम को ई-ऑफिस से जोड़ने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए हैं।
राजीव कुमार का यहां से स्थानांतरण होने के बाद यह महत्वकांक्षी योजना अधर में ही लटक गई है।
हैरानी इस बात की है कि नगर निगम सोलन से आयुक्त को स्थानांतरित किए करीब एक महीने का समय हो चुका है, लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा स्थायी आयुक्त की तैनाती नहीं की गई है।
इससे नगर निगम सोलन के विकास कार्यों का पहिया थम सा गया है। ऐसे में सरकार तथा प्रशासन को जनता के प्रति जवाबदेह पर सवाल खड़े होना लाजिमी है।
हम आपको बताते चलें कि स्थानांतरित हुए आयुक्त राजीव कुमार के मार्गदर्शन में ई-ऑफिस की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थी। पेपरलेस वर्क के लिए कंप्यूटर और इन्वर्टर खरीदे गए हैं। इसके तहत निगम का सारा रिकॉर्ड कंप्यूटर में अपलोड करने का कार्य किया गया ताकि आने वाले समय में पेपरलेस वर्क को बढ़ावा मिल सके। इस कार्य के लिए आईटी सहायकों की ड्यूटी सुनिश्चित की गई थी।
15 कंप्यूटर और इतने ही स्कैनर खरीदे गए हैं परंतु आयुक्त का तबादला हो जाने से अब यह कार्य लंबित हो गया। यदि उनका स्थानांतरण न होता तो सोलन नगर निगम हिमाचल प्रदेश की पहली पेपरलैस वर्क करने वाली निगम बन जाती।
स्थानीय विधायक एवं पूर्व मंत्री डा. धनीराम शांडिल ने विधानसभा सत्र के दौरान भी नगर निगम सोलन में खाली चल रहे आयुक्त के पद का मुद्दा उठाया था। यही नहीं भाजपा के कई पार्षदगण भी मुख्यमंत्री से नगर निगम सोलन में स्थायी आयुक्त तैनात करने की फरियाद लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा सोलन नगर निगम में आयुक्त की तैनाती नहीं की गई है। इस चुनावी वर्ष में नगर निगम में आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पद को खाली रखना सरकार के लिए भारी पड़ सकता है। नगर निगम में रोजाना काम करवाने के लिए जाने वाले लोगों को जब आयुक्त की कुर्सी खाली दिखाई देती है तो वह सरकार को कोसना शुरू कर देते है। हालांकि आतरिक्त उपायुक्त की आयुक्त नगर निगम का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है, लेकिन स्थायी आयुक्त न मिलने से शहरवासियों में प्रदेश सरकार के प्रति रोष बढ़ता ही जा रहा है।
अब देखना यह होगा कि प्रदेश सरकार को नगर निगम सोलन में स्थायी आयुक्त का पद भरने में और कितना समय लगता है। आमतौर पर नगर निगम में भवनों के नक्शे, भवन की एनओसी, लाइसेंस, पानी कनेक्शन, भवन निर्माण का स्टेटस, प्रोपेर्टी टैक्स, पानी बिल, किराया और अवैध निर्माण की शिकायतों का रिवॉर्ड मेंटेन किया जाता है। ऐसे में कई फाइलें दबी रहती है। यानी समय रहते कार्यवाही नहीं होती।
देखिए, क्या कहते हैं…राजीव कौड़ा, कार्यकारी मेयर नगर निगम सोलन…
नगर निगम सोलन को ई-ऑफिस बनाने के लिए आयुक्त राजीव कुमार ने बेहतरीन कार्य किया।
इससे पहले कि ई ऑफिस और अन्य महत्वपूर्ण कार्य सिरे चढ़ते सरकार ने आयुक्त की ट्रांसफर कर दी।
लोगों को पारदर्शी व त्वरित सेवाएं देने के लिए ई ऑफिस के कार्य को सिरे चढ़ाने की कोशिश की जा रही है। स्थायी आयुक्त न होने से निगम के कार्य प्रभावित होना स्वाभाविक है।