*न्याय व्यवस्था की खूबसूरती देखिए…🧐*
वर्ष 2000 में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के आतंकवादियों ने दिल्ली लालकिला में तैनात भारतीय सेना की 7-राजपूताना राइफल्स की यूनिट पर हमला किया ! अचानक हुए उस हमले में भारतीय सेना के 3 सैनिक शहीद गए थे…!🤕
दिल्ली पुलिस ने 4 दिनों में ही आतंकी हमले के मास्टरमाइंड पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ़ अश्फ़ाक को गिरफ़्तार कर लिया !
उसके बाद हमारी भारतीय न्याय व्यवस्था की खूबसूरती देखिए…🥱👇🏻
इतने संगीन मामले में दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाने में 5 साल लगा दिए (2005)…🥱
दिल्ली की ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले की पुष्टि करने में दिल्ली हाईकोर्ट को 2 साल और लगे (2007)😁
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उसी आदेश को बनाए रखने में 4 साल और लगाए (2011)😀
मोहम्मद आरिफ़ की समीक्षा याचिका ख़ारिज करने में सुप्रीम कोर्ट को 1 साल और लगा (2012)😁
उसके बाद आरिफ की क्यूरेटिव याचिका को ख़ारिज करने में सुप्रीम कोर्ट को 2 साल और लगे (2014)😆
सितंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि जिन मामलों में हाईकोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है, ऐसे मामलों को 3 जजों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए…😆
इस प्रकार, पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद आरिफ एक बार फिर अपने द्वारा दायर समीक्षा याचिका पर फिर से सुनवाई के लिए पात्र हो गया !🤣
उसके बाद सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की संविधान पीठ को मोहम्मद आरिफ़ की समीक्षा याचिका ख़ारिज करने में 8 साल और लगे (2022)😆
फिर मोहम्मद आरिफ ने राष्ट्रपति के दया याचिका दायर की, जिसे 13 जून 2024 को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया (2024)😁
इस प्रकार 3 भारतीय सैनिकों का हत्यारा पिछले 24 वर्षों से भारतीय टैक्स पेयर के पैसे से ज़िंदा है…!😎
लेकिन, अभी मामला ख़त्म नहीं हुआ है…🧐
भारत के बिकाऊ जजों और जड़ न्याय व्यवस्था को देखते हुए अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ख़ारिज करने के बाद भी आतंकी आरिफ़ की फाँसी की सजा देने में अभी कितना वक्त लगेगा…?😎
और हाँ, अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, सलमान ख़ुर्शीद और प्रशांत भूषण जैसे क़ानून विशेषज्ञों का मानना है कि आरिफ संविधान के अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचार का अधिकार) के तहत सजा में रियायत की मांग कर सकता है ! वह मौत की सजा पर अमल में अत्यधिक देरी को आधार बनाते हुए याचिका दायर कर सकता है…😁😆🤣
साभार…