“कहते हैं दिल बच्चा है” Journalist Soumya Verma की खूबसूरत रचना

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Soumya Verma

Journalist at ETV Bharat, Hyderabad

“कहते हैं दिल बच्चा है ”

पहाड़ों पर चढ़ता है

गिरने से भी डरता है

चाहता भी बहुत है

और खोने से भी डरता है

सुनता नहीं है किसी की

और कहने से भी डरता है

कहते हैं दिल बच्चा है

और ये बच्चा ख़ुद से लड़ता है..

झगड़ता बहुत है लोगों से

और हारने से भी डरता है

रोता नहीं है कभी

लेकिन हँसने से भी डरता है

झूठ से इसे नफ़रत है

और अपनी सच्चाई से भी डरता है कहते हैं दिल बच्चा है

और ये बच्चा ख़ुद से लड़ता है..

हाल बताता तो है अपने

लेकिन ज़ख्म दिखाने से भी डरता है भागता है हर वक़्त हर जगह से

और खो जाने से भी डरता है

मदद चाहता है कई बार

लेकिन एहसान से भी डरता है

कहते हैं दिल बच्चा है

और ये बच्चा ख़ुद से लड़ता है..

बदलाव अच्छा लगता है

लेकिन बदलने से भी डरता है

भीड़ रास नहीं आती

और अकेले रहने से भी डरता है कहानियाँ सुनाना पसंद है इसे

लेकिन बुरे अंत से भी डरता है

कहते हैं दिल बच्चा है

और यह बच्चा खुद से लड़ता है।।

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