कोहरे से बचाव के लिए पौधों पर पानी का करें छिड़काव

कोहरे के प्रभाव से फल खराब हो जाता है व फूल झड़ने लगते हैं

0

कोहरे से बचाव के लिए पौधों पर पानी का करें छिड़काव

INDIA REPORTER TODAY
DHARAMSHALA : ARVIND SHARMA

उप निदेशक, बागवानी आर.एस.नेगी ने ज़िला के बागवानों को जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि कोहरे के कारण होने वाले नुक्सान से बचने के लिए पौधों पर पानी का छिड़काव किया जाए। उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में मैदानी क्षेत्रों में कोहरा पड़ना आम बात है लेकिन कोहरे की बजह से पौधों पर पड़ने वाले प्रभाव को रोकना आवश्यक होता है। कोहरे का प्रभाव बेहतर प्रबन्धन से कम किया जा सकता है जिसमें पौधों को पहुंचने वाले नुक्सान को कम किया जा सके। ज़िला कांगड़ा में आम, पपीता, नीम्बू प्रजाति के फलों इत्यादि पर कोहरे के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

सर्दी के मौसम में कोहरे के चलते हवा में विद्यमान नमी बर्फ के कण बन जाते हैं और कम तापमान की बजह से पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं। कोहरे के प्रभाव से फल खराब हो जाता है व फूल झड़ने लगते हैं। कई बार आने वाले वर्षों में भी फलदार पौधे कम पैदावार देते हैं। पपीता, आम आदि में पौधों पर कोहरे का प्रभाव अधिक पाया जाता है। सब्जियों पर भी इसका असर पड़ता है, जिससे कभी-कभी शत-प्रतिशत सब्जी की फसल नष्ट हो जाती है।

उन्होंने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में जैसे-जैसे रात के समय भूमि की सतह ठण्डी होती जाती है, वैसे-वैसे ठण्डी हवा निम्न क्षेत्र या घाटी की तरफ चलती जाती है और गर्म हवा ऊपर उठती जाती है। इस प्रकार के कोहरे से मैदानी क्षेत्र ठण्डे कोहरे की चादर से ढक जाते हैं। उन्होंने बताया कि फल पौधों मुख्यतः आम, पपीता व नीम्बू कोहरे से ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में न लगाएं। कोहरे वाले क्षेत्रों में अनार, अमरूद, पीकान इत्यादि के पौधे लगाने चाहिएं।

उन्होंने बताया कि छोटे पौधों को घास या सरकण्डें से ढक देना चाहिए तथा दक्षिण-पश्चिम दिशा में धूप के लिए खुला रखना चाहिए। पौधों में पोटाश खाद देने से उसकी कोहरा सहने की क्षमता बढ़ती है तथा सर्दियों से पहले या सर्दियों के दिनों में पौधों में नाइट्रोजन खाद न डालें तथा फल पौधों की नर्सरियों को कोहरे से बचाने के लिए घास या छायादार जाली से ढक देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि नए बागीचों की स्थापना के लिए अपने नजदीकी विषय विवाद विशेषज्ञ, उद्यान विकास अधिकारी अथवा उद्यान विस्तार अधिकारी से सलाह लें। इसके साथ ही सरकार द्वारा चलाई जा रही पुनः गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत अपने फल-पौधों का बीमा करवाएं ताकि बागवानों का उपज में होने वाली सम्भावित क्षति से होने वाले आर्थिक नुक्सान की भरपाई की जा सके।

Leave A Reply

Your email address will not be published.