SURENDER
Palampur
12-15 साल पहले श्रीलंका बहुत अमीर और विकसित नहीं परंतु एक ठीक ठाक प्रोग्रेसिव राष्ट्र था.. फिर एक राष्ट्रपति आये महिंदा राजपक्षे… फ्री बिजली पानी, फ्री दवा राशन का प्रबंध करवाया… ज़बरदस्ती कोलंबो पोर्ट की बजाय चीन से कर्ज़ लेकर और चाइनीज़ कंपनी से ही अपने गृह नगर हम्बनटोटा में देश के सबसे बड़े पोर्ट का निर्माण कराया… जिसपर आज कोई ट्रैफिक नहीं है..
चीन के कर्ज़े तले दबे कर और मुफ्तखोरी में सारा धन लुटा कर आज हालात ये है कि पेट्रोल पंप पर सेना लगी है, पूरे देश मे 3 से 4 घंटे बिजली आ रही है, महँगाई सबसे अधिक लेवल पर है और राशन ख़तम हो चुका है, लोग भुखमरी का शिकार हो कर दम तोड़ रहे हैं…
श्रीलंका पहला उदाहरण नहीं है मुफ्तखोरी और कर्ज़ों की वजह से बर्बाद होने का… वेनेजुएला(जिसके पास विश्व का सबसे अधिक तेल भंडार करीब 75%) है, कई लैटिन अमेरिकी देश इसके उदाहरण है…
मुफ्तखोरी के समर्थकों को समझ आज नहीं आता है… लेकिन जब तक समझ आता है उनका जीवन और देश ‘श्रीलंका’ हो चुका होता है…
सावधान रहिये
फ्री का लालच देनेवालों से.. वोट मांगने वाले नेताओं से