दिल के अरमां आंसुओं में बह गए….सेंट पॉल्स स्कूल का शताब्दी समारोह टाएँ टाएँ फिस्स, सालों से बड़ी आस लगाए बैठे थे ओल्ड स्टूडेंट्स लेकिन स्कूल की बदइंतजामी के चलते सब कुछ मिट्टी में मिल गया, सोचा था क्या और क्या हो गया, स्कूल पर लटक रही माननीय न्यायालय की Execution की तलवार,

0
Dr. Swati Katoch Sood, & Dr. Anubhav Sood, Gems of Dental Radiance
DENTAL RADIANCE
DENTAL RADIANCE HOSPITAL PALAMPUR TOUCHING SKY
DENTAL RADIANCE HOSPITAL, PALAMPUR
Advt

सेंट पॉल्स स्कूल का शताब्दी समारोह टाएँ टाएँ फिस्स

सालों से बड़ी आस लगाए बैठे थे ओल्ड स्टूडेंट्स लेकिन स्कूल की बदइंतजामी के चलते सब कुछ मिट्टी में मिल गया,
सोचा था क्या और क्या हो गया,
स्कूल पर लटक रही माननीय न्यायालय की execution की तलवार,

RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-chief, HR  MEDIA NETWORK, Chairman; Mission Against Corruption Bureau, HP. Mobile : 9418130904
INDIA REPORTER TODAY (IRT)

सेंट पॉल्स सीनियर सेकंडरी स्कूल की स्थापना अंग्रेज़ों द्वारा मिशनरी स्पिरिट के साथ सन 1923 में जन जन में शिक्षा की अलख जगाने हेतु की गई थी।

तब क्षेत्र में मात्र यही स्कूल शिक्षा का एकमात्र विकल्प हुआ करता था। तत्पश्चात लगभग 50-60 वर्ष तक सेंट पॉल्स का एकछत्र राज रहा।

उसके बाद समय बीतने के साथ धीरे-धीरे पालमपुर में डीएवी स्कूल और तब मिशनरी स्पिरिट से अभिभूत चांद पब्लिक स्कूल ने ज़ोरदार एंट्री मारी व सेंट पॉल्स स्कूल का एकाधिकार यानि मोनोपोली धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ने लगी।

प्रिंसीपल सैमुएल सर और मिसिज़ प्रवीण गोल्डस्मिथ और विंग कमांडर आई.ए.विलिअम्स तक स्कूल ने समाज में अपनी विशेष छवि और नियंत्रण कायम रखा।

लेकिन जैसे ही विंग कमांडर आई.ए विलिअम्स का दुःखद निधन हुआ तो यूपी के वीपी सिंह ने प्रिंसिपल की कमान संभाली। बस इसके साथ न जाने ऐसा क्या हुआ कि सन 2012 के बाद सेंट पॉल्स स्कूल की छवि में उतार शुरू हो गया और एक दिन ऐसा भी आया जब प्रिंसिपल और अभिभावकों के बीच खींचतान चरम सीमा पर पहुंच गई।

लोग इस बात से नाराज़ थे कि उनसे नियमों को ताक पर रख कर मनमाने चार्जेज वसूले जाने लगे और स्कूल की भूकंप रोधी बिल्डिंग को नेस्तनाबूद करके आधुनिक ढांचे का निर्माण करने हेतु करोड़ों रूपए फूँक डाले गए। फिर भी बिल्डिंग उतनी सुरक्षित नहीं बन पाई जितनी अंग्रेज़ों ने भूकंपरोधी बनाई थी ताकि बच्चे व स्टाफ सुरक्षित रहें।

पुराने छायादार पेड़ों की छाती पर कुल्हाड़ियाँ चलीं। पर्यावरण का अभूतपूर्व नुकसान हुआ लेकिन सब खामोश बैठे सब कुछ देखते रहे। जो बोले उनके मुंह बंद करने के प्रयास किये गए।
अभिभावकों के करोड़ों रुपए का अपव्यय करने के बाद भी नतीजा यह निकला कि ICSE विंग और HPBSE विंग के 500-600 बच्चे स्कूल के प्रिंसिपल से तकरार के चलते स्कूल छोड़ कर आसपास के स्कूलों में स्थानांतरित हो गए। स्कूल को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ और छवि पर बट्टा लगा अलग से।
स्कूल आज भी अपने वर्चस्व को वचाने के लिए न्यायालयों के चक्कर काट रहा है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के चलते चर्च ऑफ़ नार्थ इंडिया diocese of अमृतसर के हाथों से मालकियत की चाबी छूट कर एंग्लिकन चर्च के राहनुमायों के हाथों में जा पहुंची है और हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और जम्मूकश्मीर की 26 प्रॉपर्टीज का मालिकाना हक अब सीधे एंग्लिकन चर्च के हाथों में जाता प्रतीत हो रहा है और सेंट पॉल्स स्कूल उन प्रॉपर्टीज में से एक है जिस पर एंग्लिकन चर्च का अख्तियार होना विचारणीय है।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार Execution का मामला माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में लंबित है।
इस बात की किसी को कानोकान ख़बर इसलिए नहीं होने दी गई ताकि कोई खलल न पड़े और जैसे-तैसे स्कूल के सौ साला फंक्शन (Centenary) को एक आम वार्षिक समारोह में बदलने की नोबत आन पड़ी और खाली कुर्सियां आयोजकों को मुंह चिढाती रहीं।

कुल मिलाकर वीरेन्द्र प्रताप सिंह *सौ साल समारोह* क्या होता है इसका वास्तविक अर्थ ही नहीं समझ पाए और लेने के देने पड़ गए।भारी भरकम खर्च बेकार चला गया।

माननीय शिक्षा मंत्री श्री रोहित ठाकुर और स्थानीय विधायक एवं सीपीएस श्री आशीष बुटेल की उपस्थिति, स्टाफ की नेहबत तथा होनहार बच्चों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम समारोह की इज़्ज़त बचा गया वरना कार्यक्रम के मुख्य आयोजकों ने तो बदइंतजामी की सारी हदें पार कर दीं, ऐसा उपस्थितजनों का कहना था।

उपस्थित अभिभावकों ने बताया कि कार्यक्रम में अभिभावकों व बच्चों के बैठने का तो उचित इंतेज़ाम था लेकिन कुछ पत्रकार इग्नोर हुए। प्रेस दीर्घा भी समुचित नहीं थी।
बच्चों के लिये जाते समय स्नैक्स के डिब्बे सजा कर रखे गए थे लेकिन अव्यवस्था के चलते अधिकांश भूख से त्रस्त वच्चे निराश होकर चले गए लेकिन डिस्ट्रीब्यूशन प्रोपरली नहीं हो सकी जिससे बच्चों और अभिभावकों में भारी रोष था।
लोग सबसे अधिक इस बात को लेकर हैरान-परेशान और नाराज़ दिखे कि स्कूल ने यह कैसा शताब्दी समारोह बनाया की दोपहर का भोजन तो छोड़ो किसी ने एक प्याला चाय का भी नहीं पिलाया

अब आपको बताते चलें कि तमाम ओल्ड स्टूडेंट्स पिछले कई वर्षों से एक सपना देख रहे थे कि वह अपने प्रिय स्कूल की जहां उन्होंने अपना प्यारा बचपन बिताया था, वह उसके सौ साला समारोह को खूब एन्जॉय करेंगे, पुराने साथियों से मिलकर दिल की वातें शेयर करेंगे लेकिन उनके सारे सपने तब चूर-चूर हो गए जब उन्हें (चंद लोगों को छोड़ कर) आमंत्रित करने तक की ज़हमत माननीय प्रिंसिपल वीरेंद्र प्रताप सिंह ने नहीं उठाई। दिल के अरमां आंसुओं में बह गए। इस बात का दुःख उन्हें ताउम्र रहेगा। अब बीता वक्त कभी लौट कर नहीं आएगा।
लोगों ने इस बदइंतज़ामी की खवर छापने का पुरजोर आग्रह किया है इसीलिए इस खबर को स्थान दिया जा रहा है ।
जैसाकि सर्वविदित है कि माननीय प्रिंसिपल को कड़वा सच सुनने की आदत नहीं है और खवर छापने के खिलाफ वह माननीय न्यायालय में जाने की धमकी अक्सर दिया करते हैं तथा अपनी झूठी ईगो को शांत करने हेतु सदैव प्रयासरत रहते हैं लेकिन इन धमकियों से सच को दबाया नहीं जा सकता। लोकतंत्र का गला नहीं घोंटा जा सकता।
अंत में लोगों ने आशा व्यक्त की है कि जैसे ही स्कूल की मैनेजमेंट बदलेगी तो हालातों में आशातीत बदलाव होगा तथा सेंट पॉल्स स्कूल एक बार फिर से बुलंदियों को छुएगा।

हालांकि इंडिया रिपोर्टर टुडे ने माननीय प्रिंसिपल महोदय को अपना पक्ष रखने, स्पष्टीकरण देने तथा कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त करने हेतु उचित समय दिया लेकिन न तो उन्होंने दो बार फोन उठाया और ना ही कोई प्रतिक्रिया देने उचित समझी। इसलिए इस समाचार को जस का तस प्रकाशित किया जा रहा है।

यदि माननीय प्रिंसिपल श्री वीरेंद्र प्रताप सिंह भविष्य में भी इस समाचार के संदर्भ में कोई प्रतिक्रिया देना चाहे तो उनका स्वागत है।

– संपादक

AIM ITI, TIPTOP
THAKURDWARA

Leave A Reply

Your email address will not be published.