50 लाख सब्सिडी बाली परियोजनाएं भेड़ पालन व्यवसाय में एक क्रांतिकारी कदम हैं- त्रिलोक कपूर

6 करोड रुपए का प्रावधान

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50 लाख सब्सिडी बाली परियोजनाएं भेड़ पालन व्यवसाय में एक क्रांतिकारी कदम हैं- त्रिलोक कपूर

50 लाख सब्सिडी बाली परियोजनाएं भेड़ पालन व्यवसाय में एक क्रांतिकारी कदम है, उक्त शब्द भाजपा के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने पालमपुर में आयोजित भेड़ पालन प्रशिक्षण शिविर में एकत्रित भेड़ पालकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ सुजीत दत्ता सयुंक्त आयुक्त पशुपालन विभाग भारत सरकार, डॉ प्रदीप शर्मा निदेशक पशुपालन, विजय ठाकुर प्रबंध निदेशक वूल फेडरेशन, डॉक्टर रवि प्रसाद सयुंक्त निदेशक, डॉ आर एस मनहास परियोजना अधिकारी, डॉक्टर कामना डायरेक्टर सीपीडीओ चंडीगढ़, डॉक्टर प्रियंक यादव फार्म मैनेजर सीडीपीओ चंडीगढ़, डॉक्टर विवेक लांबा सहायक निदेशक, डॉ संदीप मिश्रा सहायक निदेशक, डॉ विक्रम सिंह विशिष्ट, वूल फेडरेशन के डायरेक्टर गुरमुख सिंह, एसटी मोर्चा के मंडल अध्यक्ष ओम प्रकाश सहित सैकड़ों भेड़ पालक व उनके परिवार के सदस्य इस मौके पर मौजूद थे।


इस अवसर पर डॉ सुजीत दत्ता ने भेड़ पालकों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार में भेड़ पालकों के लिए कई प्रकार की योजनाएं बन रही हैं। जिसमें नेशनल पशुधन मिशन के अंतर्गत लगभग 18 करोड रुपए का प्रावधान किया गया है। जिसमें 2000 बकरी के यूनिट देश के बीपीएल पशुपालकों को 90% केंद्रीय अनुदान व 5% राज्य अनुदान और 5% लाभार्थी भेड़ पालकों पर आवंटित किए जाएंगे। और यही नहीं इसी योजना के अंतर्गत 12 करोड रुपए की एक और दो हजार भेडों के यूनिट बीपीएल पशुपालकों को भी इसी तर्ज पर आवंटित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक करोड़ की योजना में 50 लाख रुपए की सब्सिडी का विशेष प्रावधान करना यह देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का भेड़ पालकों के प्रति अपार स्नेह दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश पहाड़ी राज्य है, इस प्रदेश की एक अलग आवश्यकता है। इसलिए अगर संभव हुआ तो 100 व 200 के प्रोजेक्ट बनाने पर भी गंभीरता पूर्वक केंद्रीय पशु पालन विभाग विचार करेगा।
इस अवसर पर पशुपालन निदेशक डॉ प्रदीप शर्मा ने कहा की कृषक बकरी पालन योजना के अंतर्गत लगभग 6 करोड रुपए का प्रावधान किया गया है जिसमें 2000 बकरी के यूनिट 10 + 1, 4 + 1, 2 + 1 के आधार पर पशुपालकों को 60% अनुदान पर आवंटित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भेड़ पालन व्यवसाय में सुधार के क्षेत्र में जो भी पशुपालन विभाग से सहयोग की अपेक्षा होगी विभाग किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रखेगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने नया दायित्व संभालते ही वर्चुअल व एक्चुअल रूप में विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा करते हुए यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के किसी भी भेड पालकों को बीमारी की दृष्टि से कोई परेशानी न आए।
इसके अतिरिक्त डॉ आर एस मिनहास परियोजना अधिकारी एफपीओ हिमाचल प्रदेश ने भी भेड़ बकरी पालन से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक पशु उत्पादकों जैसे ऊन, मीट, दूध और घी इत्यादि की ब्रांडिंग कर सहकारी व फ पी ओ के माध्यम से उपयुक्त बाजार में अच्छे दामों पर बेचने पर बल दिया।
भेड़ पालक प्रशिक्षण पर उपस्थित सैकड़ों भेड पालकों को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन के चेयरमैन त्रिलोक कपूर ने कहा कि जब जब भाजपा की सरकार केंद्र व राज्य में आती है उसमें ही भेड़ पालकों के हितों की चिंता होती है। केंद्र में जब अटल जी की सरकार आई तो नए हिमाचल के गद्दी और गुर्जरों को जनजातीय दर्जे की सौगात मिली। और यही नहीं देश के जनजातीय समाज की समुचित विकास की चिंता करने के लिए अलग से केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय का गठन किया गया। जब मोदी जी की सरकार केंद्र में बनी तो देश के पशुपालकों के लिए पहली बार अलग से केंद्र में मंत्रालय का गठन किया गया। इसी तरह जब धूमल जी और जय राम जी की सरकार सत्ता में आती है तो उसी समय भेड पालकों के लिए जगह-जगह प्रशिक्षण कैंपों का आयोजन होता है। जबकि कांग्रेस के शासनकाल में ऐसा कभी भी दिखाई नहीं दिया।
भाजपा प्रदेश महामंत्री कपूर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के भेड़ पालकों का अपने प्रदेश के लिए बहुत बड़ा योगदान है। प्रदेश का भेड पालक अपने परिवार की आर्थिक चिंता ही नहीं करता बल्कि पहाड़ी ठंडे राज्य हिमाचल प्रदेश को ऑर्गेनिक दृष्टि से दूध, मांस, ऊन, खाद की भी पूरी तरह पूर्ति करता है। इसलिए इस व्यवसाय को बचाना सबसे बड़ी चुनौती है।
कपूर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर की विशेष कृपा से पशुपालन मंत्री श्री वीरेंद्र कमर और वन मंत्री श्री राकेश पठानिया जी के सहयोग से भेड़ पालक व्यवसाय में सुधार और सुविधा के लिए कई प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं। जिसमें एकीकृत विकास परियोजना वन विभाग के अंतर्गत इस वर्ष के प्रथम चरण में भेड़ पालकों के आने-जाने के मुख्य केंद्र चिन्हित किए जा रहे हैं। जिन केंद्रों में पशुपालन विभाग द्वारा एक विशेष कैंप का आयोजन किया जाएगा, जहां पर शेयरिंग, डिपिंग, दवाई, मेडिकल किट, बड़ा टेंट, बैग, जूता, बड़ी टॉर्च, सोने के लिए स्लीपिंग बैग जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं को लेकर मूल भेड पालकों को प्रोत्साहन के रूप में यह कदम उठाया जा रहा है।
वूल फेडरेशन के चेयरमैन त्रिलोक कपूर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर व वन मंत्री श्री राकेश पठानिया जी का भेड़ पालकों की परमिट अवधि को 6 बर्ष किए जाने के लिए प्रदेश के भेड पालकों की ओर से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इससे भेड़ पालकों के बार-बार चक्कर काटने से बहुत बड़ी निजात मिलेगी ।
कपूर ने मुख्यमंत्री व पशुपालन मंत्री जी के विशेष प्रयासों से भारत सरकार को एक 90 करोड रुपए की मोबाइल वेटरनरी योजना भेजी गई है जिसके स्वीकृत होने से प्रदेश के पशुपालकों को उनके माल मवेशी के स्वास्थ्य की दृष्टि में एक बहुत बड़ा सहारा होगा।
इस अवसर पर वूल फेडरेशन के चेयरमैन त्रिलोक कपूर ने कहा कि वूल फेडरेशन के इतिहास में पहली बार प्रदेश सरकार द्वारा एक करोड़ का बजटीय प्रावधान करने पर प्रदेश के भेड पालकों की ओर से मुख्यमंत्री जी का आभार प्रकट किया है।

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