सूर्यवंशी : सुक्खू सरकार ने तोड़ी गरीबों की कमर, ₹10 न्यूनतम बस किराए का शाही फरमान बना कहर

Dr Shiv Kumar, Father of Rotary Eye Hospital, Internationally acclaimed Social Worker & Founder CHAIRMAN, Rotary Eye Foundation
Rotary
ROTARY EYE HOSPITAL MARANDA
Dr. Sudhir Salhotra, TOP TEN Retina Surgeon of India, Director, Rotary Eye Hospital, Maranda
Rotary Eye Hospital Maranda Palampur
ROTARY EYE HOSPITAL : THE VEST EYE HOSPITAL IN HIMACHAL PRADESH
RAGHAV SHARMA, GM, Rotary Eye Hospital, Maranda

मुख्यमंत्री सुक्खू के जनविरोधी फैसले ने तोड़ी जनता की कमर,

₹10 न्यूनतम बस किराया बना गरीबों पर कहर

INDIA REPORTER TODAY (IRT)

शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रदेश में बसों का न्यूनतम किराया ₹10 निर्धारित करने का फैसला गरीब तबके पर भारी पड़ता नजर आ रहा है।

पहले से ही महंगाई की मार झेल रही दिहाड़ी मजदूरों और घरेलू कामकाजी महिलाओं पर इस निर्णय ने अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल दिया है।

छोटी-मोटी दिहाड़ी लगाकर परिवार पालने वाले लोगों के लिए रोजाना सफर अब एक बड़ी चुनौती बन गया है।

घरेलू कामगार महिलाएं, जो मात्र ₹1000-₹1200 महीना कमाती हैं, अब उन्हें प्रतिदिन ₹20 तक बस किराए पर खर्च करने पड़ रहे हैं। यानी उनकी आधी से अधिक कमाई केवल आने-जाने में ही समाप्त हो रही है। इससे साफ है कि सरकार का यह फैसला गरीब परिवारों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने जैसा है।

सोसाइटी फॉर ह्यूमन वेलफेयर एंड मिशन अगेंस्ट करप्शन के अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी ने मुख्यमंत्री से इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है।

उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ने फैसला लेते समय गरीब जनता की हालत पर विचार करना भी जरूरी नहीं समझा। बसों में सफर करने वाला तबका अमीर नहीं, बल्कि गरीब है। यह फैसला सीधे तौर पर उन्हीं के खिलाफ है।”

सूर्यवंशी ने इसे बस ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाने की सोची-समझी रणनीति करार देते हुए कहा कि सरकार मुनाफाखोरी को बढ़ावा दे रही है जबकि गरीब आदमी के हक पर कुठाराघात कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा कि वे गरीब जनता के दर्द को समझें और इस जनविरोधी फैसले को अविलंब वापस लें।

प्रदेश भर में गरीब तबका इस फैसले के खिलाफ आक्रोशित है और सरकार से राहत की उम्मीद कर रहा है। सवाल उठना लाजमी है — क्या गरीबों का सफर करना भी अब अपराध बन गया है?

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