











संवेदनशील हिमाचल सरकार
विधवा, बेसहारा, तलाकशुदा महिलाओं और दिव्यांग माता-पिता को बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना शुरू।

18 वर्ष की आयु से कम आयु के बच्चों की शिक्षा. स्वास्थ्य व पोषण संबंधी वर्ग के लिए 1,000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं।![]()
IIT, IIM, PhD पाठ्यक्रमों और मेडिकल कालेजों में 27 वर्ष आयु तक पढ़ाई का खर्च सरकार वहन करेगी।
भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत पात्र विधवाओं, एकल, निराश्रित और दिव्यांग महिला श्रमिकों को गृह निर्माण के लिए 3 लाख रुपये की सहायता।

सुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 400 बेटियों को 24.20 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान ।
विधता पुनर्विवाह योजना के अंतर्गत सहायता राशि 65 हजार रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये की।
बाल देखभाल संरथानों में बच्चों को आवास, शिक्षा, चिकित्सा और परामर्श सेवाएं देने के लिए 59.73 करोड़ रुपये जारी।
मुख्यमंत्री सुत-आश्रय योजना के अंतर्गत निराश्रित बच्चों के माता एवं पिता का कर्तव्य निभाते हुए 4000 बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाकर उनकी शिक्षा, जेब खर्च के साथ-साथ स्टार्ट-अप शुरू करने और घर बनाने के लिए गदद की जा रही है।
अनाथ बच्चों और बेसहारा वर्गों के लिए कानून बनाने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बना।
इंदिरा गांधी बालिका सुरक्षा योजना के तहत एक बेटी के बाद परिवार नियोजन अपनाने पर प्रोत्साहन राशि 35,000 रुपये से बढ़ाकर 2,00,000 रुपये तथा दो बेटियों के बाद 25,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये की।

जनसमस्याओं के समाधान के लिए हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन कर तकसीम और दुरुस्ती के मामलों का निपटारा 9 महीनों, निशानदेही मामलों का 3 महीने और इंतकाल मामलो का एक महीने में निपटारा किया जा रहा है।
आपदा प्रभावितों के लिए नियमों में बदलाव कर राहत राशि में 25 गुना तक वृद्धि कर घर बनाने के लिए मुआवजा राशि 1.30 लाख से 7 लाख रुपए की।
सरकार गाँव के द्वार
• प्रदेश के दूर-दराज़ इलाकों के लोगों को अपने काम करवाने के लिए ज़िला मुख्यालय या राज्य सचिवालय के चक्कर न काटने पड़े और उनके धन व समय की बचत हो, इस सोच के साथ ‘सरकार गाँव के द्वार’ कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। मैं खुद दुर्गम क्षेत्रों के गांवों में रात्रि विश्राम कर स्थानीय लोगों की समस्याओं को क़रीब से जानने व उनका समाधान करने के प्रयास कर रहा हूं। मैने मंत्रिमंडल के अपने सभी सहयोगियों से भी कहा है कि जन रामरथाओं का तेजी से रामाधान करें ताकि दुर्गम क्षेत्रों के विकारा को नया
आयाग दिया जा सके।
ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू,
मुख्यमंत्री,
हिमाचल प्रदेश.

