सुक्खू सरकार बनाम राजभवन: हिमाचल के विकास और जनहित में टकराव

0
Dr. Sushma Sood, Lead Gynaecologist
Dr. Sushma women care hospital, LOHNA PALAMPUR
DENTAL RADIANCE HOSPITAL
In DENTAL RADIANCE HOSPITAL PALmpur
DENTAL RADIANCE HOSPITAL
Dr. Swati Katoch Sood, & Dr. Anubhav Sood, Gems of Dental Radiance
DENTAL RADIANCE HOSPITAL PALAMPUR TOUCHING SKY
DENTAL RADIANCE
Dr S K Sharma
Dr. S.K. SHARMA, DIRECTOR
Dr S K Sharma

Sukhu sarkar
Two Years of Sukhu Govt

सुक्खू सरकार बनाम राजभवन: हिमाचल के विकास और जनहित में टकराव

शिमला। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार के बीच लंबे समय से जारी मतभेद अब तीव्र हो गए हैं। यह टकराव मुख्य रूप से नौतोड़ भूमि प्रावधान और यूनिवर्सिटी संशोधन बिल जैसे जनहित के मुद्दों पर केंद्रित है। सुक्खू सरकार के ऐतिहासिक फैसलों को राजभवन की मंजूरी में देरी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे जनता के हितों और प्रदेश के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

नौतोड़ भूमि प्रावधान: जनजातीय क्षेत्रों का संघर्ष

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि नौतोड़ नियम के तहत जनजातीय क्षेत्रों में 20 बीघा से कम भूमि वाले लोगों को जमीन देने का प्रस्ताव जुलाई 2023 में मंत्रिमंडल द्वारा पारित किया गया था। लेकिन यह प्रस्ताव डेढ़ साल से राजभवन में लंबित है। नेगी ने राज्यपाल से पांच बार मुलाकात कर इस प्रस्ताव को मंजूरी देने की अपील की है, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं आया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी, तो संविधान में दिए गए शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का इस्तेमाल किया जाएगा, और जरूरत पड़ी तो जनता के साथ सड़कों पर उतरने से भी परहेज नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने इस प्रस्ताव को प्रदेश के विकास और जनजातीय क्षेत्रों में पलायन रोकने के लिए महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि इससे किन्नौर, लाहौल-स्पीति और भरमौर के हजारों लोगों को लाभ मिलेगा। प्रदेश में इससे पहले तीन बार इस शक्ति का उपयोग कर पात्र लाभार्थियों को जमीन दी जा चुकी है, लेकिन इस बार राज्यपाल की देरी ने योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

यूनिवर्सिटी संशोधन बिल पर राजभवन की खामोशी

यूनिवर्सिटी संशोधन बिल भी राज्यपाल के अड़ियल रवैये की भेंट चढ़ चुका है। जुलाई 2022 में सर्वसम्मति से पारित इस बिल को राज्यपाल ने अपनी मंजूरी देने के बजाय कई बार रिजेक्ट किया। इससे प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों की स्थिति बिगड़ गई है। पालमपुर स्थित विश्वविद्यालयों की रैंकिंग लगातार गिर रही है। छात्रों और अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल की निष्क्रियता के कारण विश्वविद्यालय राजनीति और अनुशासनहीनता का अड्डा बन गए हैं।

सुक्खू सरकार की तारीफ

सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने सत्ता में आने के बाद हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री ने अपनी नीतियों में पारदर्शिता और दूरदर्शिता का परिचय देते हुए जनहित को प्राथमिकता दी है। जनजातीय क्षेत्रों के विकास, पलायन रोकने और शिक्षा में सुधार के लिए उनके प्रयास प्रशंसा के पात्र हैं। उनके नेतृत्व में न केवल सरकार ने गरीबों और वंचितों के लिए ठोस कदम उठाए हैं, बल्कि प्रदेश को एक नई दिशा देने की कोशिश की है।

सुक्खू सरकार ने जनजातीय लोगों की समस्याओं को समझने और उन्हें दूर करने के लिए नीतिगत स्तर पर काम किया है। इसके साथ ही, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और पारदर्शी प्रशासन के लिए उनका दृष्टिकोण हिमाचल को नए विकास की ओर अग्रसर कर रहा है। उनकी जनहितैषी नीतियां और मजबूत नेतृत्व प्रदेश के लिए प्रेरणा हैं।

जनता की आवाज और राजभवन का रुख

सूत्रों के अनुसार, राजभवन ने नौतोड़ प्रस्ताव पर लाभार्थियों की सूची मांगी थी, जो सरकार समय पर प्रस्तुत नहीं कर पाई। हालांकि, मंत्री नेगी ने स्पष्ट किया है कि सूची की वैरिफिकेशन प्रक्रिया जारी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने जनजातीय लोगों के साथ अन्याय किया और इस मामले में केवल एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाया।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने जनता से अपील की है कि वे सरकार के साथ खड़े रहें और जनहित में उठाए गए इन कदमों को सफल बनाने में योगदान दें। अब देखना यह है कि सरकार और राजभवन के बीच यह गतिरोध कब समाप्त होता है, लेकिन इतना तय है कि सुक्खू सरकार हिमाचल के हर नागरिक के अधिकारों के लिए मजबूती से खड़ी है।

You
जब से हिमाचल प्रदेश में ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार बनी है, राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने उनके लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। सरकार द्वारा जनहित में लाए गए कई महत्वपूर्ण बिल, जैसे नौतोड़ भूमि प्रावधान और यूनिवर्सिटी संशोधन बिल, राज्यपाल महोदय ने जानबूझकर पेंडिंग रखे हुए हैं। यह देरी न केवल विकास कार्यों को बाधित कर रही है, बल्कि सरकार की जनहितैषी योजनाओं को भी ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास है। सुक्खू सरकार के ऐतिहासिक फैसलों को अवरुद्ध कर राज्यपाल प्रदेश की जनता के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे टकराव बढ़ता जा रहा है।

Amarprem
Prem, KING OF FLEX PRINTING AWARD WINNER in H.P.
Amarprem

Leave A Reply

Your email address will not be published.