मंच को प्रणाम
आवाज
सच्चे दिल की आवाज
भगवान सुनते हैँ जरूर,
औऱ भक्तों को बचाने
पहुँच जाते हैँ दूर दूर.
भक्त प्रेहलाद को पिता ने
पर्वत से गिराया था,
उसकी आवाज सुनी तो
आके उसे बचाया था
सच्चे दिल…….
सरोवर मैं गज ज़ब
मौत के आगे खड़ा था
उसकी आवाज को सुन
भगवान का रथ खड़ा था
सच्चे दिल……
द्रोपदी को ज़ब दुशाशन
भरी सभा मे खींच लाया
कौन था जो उसको बचाने
साड़ी के चीर बढ़ाने आया
सच्चे दिल की……।