सूर्यवंशी की ‘पोल-खोल’

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“गौरक्षक की पोल खोल” के नाम से मैं यह मैसेज लिख रहा हूँ आशा है आप ध्यान पूर्वक पढ़ेगे । एक निर्भीक लेखक होने के नाते मैं आपको पत्रकारिता की भाषा में ही आपको समझाने का प्रयास करुंगा ।

आप सब जानते ही हैं कि शराब के ठेकों के लिए लाईसैंस लेने की आवश्यकता है ।

यदि आपको शराब बेचनी है तो लाईसैंस लेना पड़ेगा तो फिर आबकारी अधिनियम (EXISE ACT) क्या है ?

क्या आबकारी अधिनियम के तहत शराब बेचने वालों पर पुलिस कार्यवाही कर सकती है? जवाब होगा नहीं….

तो फिर यह आबकारी अधिनियम बनाया ही क्यों गया ? यह उन लोगों के लिए है जो अवैध शराब बेचते हैं ।

इसमें शराब ठेकेदारों का एरिया निश्चित होता है इसलिए ठेकेदार अपने पास 5/7 नौजवान रख लेते हैं जिनके माध्यम से वह निगरानी करते हैं कि उनके एरिया में अवैध शराब न बिके। अपनी भाषा में कहें तो आउट की दारु ना बिके । अवैध शराब की बिक्री पर रोक के लिए शराब ठेकेदार खुद भी रात को नाका लगाते हैं व पुलिस की भी मदद लेते हैं ।

इसी तरह से गायों की बिक्री के लिए है। जिन लोगों ने गाय को काटने के लिए लाईसैंस लिए हुए हैं उन लोगों को सरकार प्रोटेक्शन देती है और उन पर गौवंश सरंक्षण अधिनियम लागू नहीं होता तो फिर यह अधिनियम बनाया ही क्यों गया है?

यह अधिनियम उन लोगों के लिए बना है जो बिना लाईसैंस के गायों को काटते हैं । अब यहाँ यह बात समझने वाली है कि ऐसा क्यों ? जो लोग गायों को काटने के लिए लाईसैंस लिए हुए हैं यदि बिना लाईसैंस गाय कटेगी तो उनको सीधा नुक्सान होगा जैसे आउट की या बिना लाईसैंस की दारु/शराब बिकने से शराब के ठेकेदार को होता है ।

अब समस्या यह है कि यदि गाय अवैध रुप से काटी जाएगी तो उन लोगों को नुक्सान होगा जो लाईसैंस लेकर गाय काटते हैं ।

अब लाईसैंस धारक अवैध गाय के मास की बिक्री को रोकने के लिए यदि नाकाबंदी करेंगे तो बहुत बड़ा बजट लगाना पड़ेगा । अब समस्या आई कि करें तो करें क्या ?

गाय काटने के ज्यादातर लाईसैंस किन लोगों के पास हैं यह बताने की जरुरत नहीं है आप नेट से सर्च कर लेना ।

अब उनको गाय के मास की अवैध बिक्री को रोकना था तो इसके लिए उन्होने आमजन की भावना का यूज किया और गाय को धर्म से जोड़ दिया ।

गौरक्षा के नाम पर संगठन खड़े किए गए । इससे एक तो फायदा यह हुआ कि गाय के माँस के निर्यातकों को फ्री में नौजवान मिल गए जो अवैध गौमांस को रोक सके, दुसरा इसको धर्म से जोड़कर इसका राजनीतिक लाभ प्राप्त किया जा सके । एक ही तीर से दो निशाने लगाए गए और दोनों सही लगे । आम लोगों को क्या मिला ? उन नौजवानों को क्या मिला जो दिन-रात गौरक्षा के नाम पर कुर्बान हो रहे हैं ।

अब यहाँ गौरक्षा का ढ़िढ़ोरा पिटने वालों से सवाल है कि क्या गौवंश संरक्षण अधिनियम के तहत उन लोगों पर भी कार्यवाही होती है जो लाईसैंस लेकर गाय काटते हैं ? क्या लाईसैंस व बिना लाईसैंस के कटने वाली गायों में फर्क है? क्या उन गायों की भी रक्षा करनी चाहिए जो लाईसैंस लेकर काटी जाती है ? क्या गाय को काटने का लाईसैंस सरकार देती है? कौन सी सरकारों ने गाय काटने के सबसे ज्यादा लाईसैंस दिए हैं? क्या लाईसैंस लेकर गाय काटने वालों को सरकार सब्सिडी देती है ? अगर देती है तो कितनी देती है? क्या गाय का माँस विदेशों में भी निर्यात होता है ? यदि हाँ,तो क्या सरकारों को इसका पता है ? यदि इन सवालों के जवाब हाँ में है तो फिर गौरक्षा के नाम पर हमारे बाळकों को क्यों मरवाया जा रहा है? क्यों उनका भविष्य बर्बाद किया जा रहा है ? क्यों गाय के नाम पर दंगे करके माहौल को खराब किया जा रहा है ? क्या सिर्फ उन व्यापारियों के लिए जो लाईसैंस लेकर गाय काटते हैं व दुनिया के सबसे बड़े गौमांस निर्यातक हैं ताकि उनके व्यापार में घाटा ना हो ? गौरक्षकों को मेरा चैलेंज है कि दम है तो उन बूचड़खानों को बंद कराओ जो लाईसैंसशुदा है ताकि हमें भी पता चले कि तुम वास्तव में गौरक्षक हो और गाय के प्रति तुम्हारे दिल में सच्चा प्यार है । नहीं तो बंद करो दुसरे के लिए यूज होना ।

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