राजभवंन की गरिमा को खतरे में देखकर सूर्यवंशी बोले – अब संविधान चलेगा, न कि राज्यपालों की तानाशाही

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सूर्यवंशी बोले – अब संविधान चलेगा, न कि राज्यपाल की मर्जी

राजेश सूर्यवंशी, अध्यक्ष — सोसाइटी फॉर ह्यूमन वेलफेयर एंड मिशन अगेंस्ट करप्शन

RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-chief, HR  MEDIA NETWORK, Chairman; Mission Against Corruption Bureau, HP. Mobile : 9418130904

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक टिप्पणी के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के संविधान में राज्यपाल को “वीटो शक्ति” नहीं दी गई है। तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि द्वारा 10 विधेयकों को लंबे समय तक रोके रखने को अवैधानिक और मनमाना बताते हुए अदालत ने कहा कि राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत ही कार्य कर सकते हैं — यानी विधेयक को या तो मंजूरी दें या उसे लौटा दें, लेकिन उसे अनिश्चितकाल तक लटकाना लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विरुद्ध है।

इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव यह है कि अब तमिलनाडु में 13 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति और बर्खास्तगी का अधिकार राज्यपाल से हटाकर राज्य सरकार को दे दिया गया है। यद्यपि राज्यपाल अब भी कुलाधिपति बने रहेंगे, लेकिन उनकी भूमिका केवल औपचारिक और प्रतीकात्मक होगी।

यह फैसला सिर्फ तमिलनाडु के लिए नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के लिए भी दिशा-निर्देशक है, जहाँ राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव चरम पर है। पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक दो बार विधानसभा द्वारा पारित होकर भी राज्यपाल की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। पहली बार राज्यपाल ने इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया—एक ऐसा कदम जिसे राज्य सरकार ने कुलपति की नियुक्ति रोकने और अपने “करीबी व्यक्ति” को बैठाने की साज़िश बताया।

यह स्थिति न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि संविधान की भावना के विपरीत भी है।

सोसाइटी फॉर ह्यूमन वेलफेयर एंड मिशन अगेंस्ट करप्शन इस निर्णय का जोरदार स्वागत करती है और मानती है कि अब समय आ गया है जब राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों का राजनीतिक उपयोग बंद हो। विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और पारदर्शिता बहाल की जानी चाहिए। राज्यपाल को संविधान की सीमाओं में रहकर काम करना होगा, न कि किसी दल विशेष की रणनीति का हिस्सा बनकर।

🔎 संस्था की टिप्पणी:

“राज्यपाल संविधान के रक्षक हैं, किसी राजनैतिक एजेंडे के वाहक नहीं। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय लोकतंत्र की जीत है। अब देश को ऐसे पदों पर बैठे लोगों से और अधिक जिम्मेदारी की अपेक्षा है।”

— राजेश सूर्यवंशी, अध्यक्ष

सोसाइटी फॉर ह्यूमन वेलफेयर एंड मिशन अगेंस्ट करप्शन

Dr. Sushma Sood, Lead Gynaecologist
Dr. Sushma women care hospital, LOHNA PALAMPUR

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