सूत्रधार कला संगम 1977 से कर रहा उभरती हुई प्रतिभाओं को विकसित करने का प्रयास

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Munish Koundal, Chief Editor
MUNISH KOUNDAL
CHIEF EDITOR

अपने स्थापना वर्ष 1977 से लेकर आज तक सूत्रधार कला संगम कुल्लू द्वारा निरंतर यह प्रयास रहा है कि उभरती हुई प्रतिभाओं को विकसित करने के साथ-साथ कला तथा संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन का किया जाना अति आवश्यक है | इसी प्रयास के अंतर्गत संस्था द्वारा वर्ष भर में गीत-संगीत, लोककला, नाटक तथा आधुनिक नृत्य व समाज सेवा के क्षेत्र में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करवाया जाता रहता है | इसी के फलस्वरूप इस वर्ष पहली बार होने जा रहे कुल्लू कार्निवाल में आयोजन समिति द्वारा विशेष रूप से सूत्रधार कला संगम को लोक नाट्य हौरन व कुल्लवी लोक नृत्य को प्रस्तुत करने का मौका दिया गया | सूत्रधार कला संगम द्वारा कुल्लू कार्निवाल के दौरान होने वाले रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के द्वितीय सांस्कृतिक संध्या 22 मार्च मंगलवार को लोक नाट्य हौरन व कुल्लवी लोकनृत्य की बेहतरीन प्रस्तुति दी जायेगी | इस हेतु संस्था के कलाकारों ने कमर कस ली है और बड़ी जोरो-शोरो व उत्साह से तैयारियों में जुटे हुए है | गौरतलब है कि सूत्रधार के कलाकारों द्वारा अनेकों बार राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया जा चूका है | इसके अलावा सूत्रधार कला संगम कुल्लू द्वारा “राज्य युवा उत्सव” में 13 बार विभिन्न विधाओं में प्रदेश स्तर पर विजेता होने के उपरांत “राष्ट्रीय युवा उत्सव” में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है और साथ ही सूत्रधार के लिए गर्व की बात है कि संस्था ने राष्ट्रीय युवा उत्सव 2008 चेन्नई में हारमोनियम विधा में कांस्य पदक तथा राष्ट्रीय युवा उत्सव 2016 छत्तीसगढ़ में हिमाचल प्रदेश के लिए लोक गीत विद्या में स्वर्ण पदक जीत कर प्रदेश का मान बढ़ाया है | संस्था अध्यक्ष दिनेश सेन ने कहा कि संस्था के कलाकारों द्वारा पहली बार होने जा रहे कुल्लू कार्निवाल के सांस्कृतिक कार्यक्रम में 22 मार्च मंगलवार को लोक नाट्य हौरन तथा कुल्लवी लोक नृत्य की प्रस्तुति दी जायेगी | इस कार्यक्रम हेतु संस्था अध्यक्ष दिनेश सेन ने कुल्लू कार्निवाल की आयोजन समिति के सभी सदस्यों का धन्यवाद व आभार प्रकट किया है |
जारीकर्ता:- राजेश शानू
(प्रैस सचिव सूत्रधार कला संगम कुल्लू)

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