नेताजी बोले “शहादत जैसे होते रहते हैं हादसे”… कर्नल जसवन्त सिंह चंदेल
वहां किसी की बैठी एक मां थी,
किसी की बैठी थी वहां धर्मपत्नी,
और किसी ने बस पकड़ रखी थी,
सिसकती हुई प्यारी बहन अपनी ।
खूब वहां तामझाम वहां सरकारी,
अगली पंक्ति बैठी सरकार हमारी,
एक पकड़े आ रहा खूंटा अपना,
जिसने खोया शायद बेटा अपना।…
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