बिना गुनाह ये खंजर घोंपते देख रखे हैं मैंने..कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल
हाव -भाव
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लोगों के कई हाव -भाव देख रखे हैं मैंने,
करतब इनके बड़े चाव से देख रखे हैं मैंने,
मेरे सामने मेरे ही कसीदे बुनते हैं ये लोग,
इन्हें दूसरों के घाव कुदेरते देख रखे हैं मैंने।
बिना गुनाह ये खंजर घोंपते देख रखे हैं…
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