छाले
छाले
मैं तो भाई अपनी मर्जी का ही फकीर हूं,
अपने दिल पर पड़े छालों की लकीर हूं,
गम देने वाले गम देते गए हम सहते रहे
क्यों दोष देता फिरूंअपनी भी जमीर है।
छोड़ कर चले गए वे तो बस चले ही गए,
हम तड़पे जरूर मगर होशोहवास में रहे,
गम देने…
Read More...
Read More...