हम पर, हमारे कर्मों पर, हर समय ईश्वर की पैनी नज़र है, अब तो संभल जाइए!
*ईश्वर*
*एक दिन सुबह सुबह दरवाजे की घंटी बजी । दरवाजा खोला तो देखा एक आकर्षक कद- काठी का व्यक्ति चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान लिए खड़ा है ।*
*मैंने कहा, "जी कहिए.."*
*तो उसने कहा,*
*अच्छा जी, आप तो रोज़ हमारी ही गुहार लगाते थे,*…
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