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छोटी सी जिंदगी है ; हंस कर जीना सीखिए, छोड़ो गिले शिकवे ,कड़वे घूंट पीना सीखिए।

छोटी सी जिंदगी है ; हंस कर जीना सीखिए, छोड़ो गिले शिकवे ,कड़वे घूंट पीना सीखिए। हो सके तो बस ;इतनी सी मदद कर देना , कोई गिरा मिले ,उठा कर खड़ा कर देना। कब कौन और कहां पर ;पराधीन हो जाए, दुआ कर देना वहां, कोई और न हो जाए। बस दो…
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“मुझ से कभी पूछ तो लिया होता…!” Colonel Jaswant Singh Chandel

बवाल ******** बिना किसी गवाह कचेहरी ब्यान कर दिया, सब यह कह रहे हैं अपने कमाल कर दिया, मुझ से कभी पूछ तो लिया होता, बेवजह आपने एक बवाल खड़ा कर दिया। अनजाने में ही प्यार का इजहार कर दिया, मैं ख़ामोश रहा और तूने कमाल कर दिया,…
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उठो मुर्दो, नामर्दो! कुछ तो शर्म करो…अब तो जागो…कब तक चुपचाप देखते रहोगे..मुझे दुःख है…

नमन मंच विधा : कविता विषय : मैं मुर्दों के शहर में रहती हूॅं ********(((***((((******* यह बात कोई मिथ्या न माने, मैं सबकुछ सच-सच कहती हूॅं। ज़िंदा हूॅं, शर्मिंदा हूॅं कि मैं मुर्दों के शहर में रहती हूॅं। लाज लूट ले कोई वहशी, देख…
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वो ढलता पिछला जमाना जाते देख रखा है मैंने,….कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल

दातों की जटिल से जटिल समस्याओं का दर्द रहित उपचार केवल पालमपुर में विश्व स्तरीय अत्याधुनिक उपकरणों द्वारा तड़प..... ढलता पिछला जमाना जाते देख रखा है मैंने, बाप कोअंगोछा पहनें कमाते देख रखा है मैंने , मां को कहां रहती थी दिन-रात…
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बचपन याद आ गया… जब घड़ी पापा के पास होती थी और वक्त हमारे पास…अब कभी नहीं लौटेंगे वो…

बचपन याद आ गया... अपनी पुश्तैनी हवेली की, स्लेटपोश छत पर, बरसात की बूंदों की आवाजें, टप-टप छण -छण घुंघरुओं , की छणक सी आवाजें, सुनी तो बचपन याद आ गया।। नीले पत्थरों से सजे-धजे, आंगन की यादें, जहां घुटनों के बल रेंगना,…
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प्रख्यात लेखिका श्रीमती सुरेश लता अवस्थी की भावनात्मक रचना “आँगन का पेड़”

SURESH LATA AWASTHI, Chowki Khalet PALAMPUR Mob : 82787 39443 'आंगन का पेड़ मेरे आँगन में खड़ा, आम का पेड़, रोज़ देखती हूँ उसे, कैसे खड़ा है सिर उठाए, नहीं डरता किसी से, न आँधी से न तूफान से। चाहती हू मैं, इस की तरह बनू, सदा खड़ी…
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सीखा पर्वतों से मैंने…प्रख्यात कवयित्री श्रीमती सुरेश लता अवस्थी की खूबसूरत रचना

Smt. SURESH LATA AWASTHI, CHOWKI KHALET, PALAMPUR MOB : 8278739443 सीखा पर्वतों से मैंने... मैने पर्वत की ऊँचाइयों से सब सहना सीखा है, सुख- दुख दोनों में सम रह कर, मैने तो जीना सीखा है। कभी बादल देते ओलों की मार, वर्षा…
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फौजी : प्रख्यात कवयित्री सुरेश लता अवस्थी की मार्मिक रचना, भावविभोर हो जाएंगे आप फौजी और उसके परिवार…

SURESH LATA AWASTHI CHOWKI, PALAMPUR Mob : 82787 39443 फौजी कब क्या हो, कौन जाने संगीनों के साए में, बारूद के ढेर पर, सरहद पे खड़ा सीना ताने, खड़ा है फौजी घर से दूर, मिलने से मजबूर, हृदय वेदना कौन…
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