Browsing Tag

ksmlesh sood

उठो मुर्दो, नामर्दो! कुछ तो शर्म करो…अब तो जागो…कब तक चुपचाप देखते रहोगे..मुझे दुःख है…

नमन मंच विधा : कविता विषय : मैं मुर्दों के शहर में रहती हूॅं ********(((***((((******* यह बात कोई मिथ्या न माने, मैं सबकुछ सच-सच कहती हूॅं। ज़िंदा हूॅं, शर्मिंदा हूॅं कि मैं मुर्दों के शहर में रहती हूॅं। लाज लूट ले कोई वहशी, देख…
Read More...