मुख्यमंत्री जी, आंखें खोलो! ज़िन्दगी और मौत के बीच झूल रही है सविता सूद, टांडा अस्पताल में पसरा भारी लापरवाही का आलम, आशीष बुटेल और रघुबीर बाली जैसे जनसेवकों ने भी नहीं दिया साथ,
सविता सूद को कुछ हो गया तो सरकार होगी ज़िम्मेदार
DARE TO BE TRUE
PALAMPUR
VIJAY SOOD
47 वर्षीय सविता सूद पत्नी विपन सूद निवासी जोगिन्दरनगर पिछले कल से टांडा अस्पताल में female ward Bed No 10, ICU में ज़िन्दगी और मौत से लड़ रही है लेकिन कोई पूछने वाला नहीं।
विपन सूद के भाई विजय सूद जोकि वरिष्ठ पत्रकार और जनसेवी हैं, ने बताया कि सविता सूद जोकि diabetic हैं उन्हें शाम 4 बजे OT dress पहना दी गई ताकि उन्हें उचित समय पर उपचार देकर बचाया जा सके लेकिन उसके बाद किसी डॉक्टर ने मरीज को attend करने की ज़रूरत नहीं समझी। कोई नहीं आया रात भर जबकि शुगर के मरीज को अधिक समय तक भूखा नहीं रखा जाता।
शुगर और बढ़ती गई और सुबह 6 बजे दूध का एक गिलास पिलाया गया। दिल और अधिक कमज़ोर हो गया। 4 दिन से पेशाब न होने से मरीज की हालत खराब है। सभी परमेटर्स हद पार कर चुके हैं।
Anesthesist ने भी लापरवाही बरती और कहा कि कल सुबह देखेंगे। अभी तक लापरवाही का आलम बरकरार है। यहां ज़िन्दगी की कोई कीमत नहीं। सविता सूद दर्द से तड़प रही है लेकिन कोई नहीं पूछ रहा। जब कोई अपना तड़पता है तभी इन डॉक्टरों और राजनीतिज्ञों को एहसास होता है।
सबसे बड़े दुख की बात है कि टांडा हॉस्पिटल जिसका मासिक खर्चा करोड़ों रुपए है वह सफेद हाथी बन कर रह गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह की विरासत टांडा अस्पताल उनकी आशाओं के विपरीत चल रहा है। मुख्यमंत्री समेत पूरा राजनीतिक तंत्र उथल-पुथल का शिकार है, वे स्वयं परेशान हैं सरकार बचाने के चक्कर में। कोई किसी को नहीं पूछ रहा।
रात के साढ़े नो बज रहे थे। मरता क्या न करता । पिछली रात पत्रकार विजय सूद ने रघुबीर सिंह बाली को अस्पताल से ही कई फोन किए लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। फिर CPS आशीष बुटेल को 5 फोन किए। बड़ी मुश्किल से उन्होंने एक बार फोन उठाया। उनके उदासीन रवैये ने विजय सूद को झकझोर कर रख दिया।
सूद ने सोचा कि सुक्खू राज में जब उनकी यह हालत है तो आम आदमी को कौन पूछेगा। भाग्यवान हैं वो मरीज जो यहां से सकुशल वापिस लौट कर जाते हैं।
सिक्योरिटी के कर्मचारी भी खूब बदतमीजी कर रहे हैं। किसी का कोई लिहाज नहीं।
मुख्यमंत्री जी, आंखें खोलिए और अपने करिन्दों को, जिन्हें आपने जनता की सेवा करने की शपथ दिलाई है उन पर अपना कुछ तो अंकुश रखो। प्रशासन को आपका कोई डर नहीं है। उन्हें कसम पर लगाइए। आज हिमाचल की जनता बहुत परेशान है।
राजनीतिज्ञों के खास लोग जो उनके संरक्षण में पल कर अपनी पर्सनल रंजिश निकालने के लिए निर्दोषों पर ज़ुल्म ढाह रहे हैं। सरकार खामोश है।
इंडिया रिपोर्टर टुडे व मिशन अगेंस्ट करप्शन सोसाइटी जनता की ओर से सरकार से मांग करती है कि सिस्टम को सुधारा जाए।