कोरोना से ज्यादा जानलेवा है टीवी, मृत्यु दर 7 प्रतिशत, उपायुक्त कांगड़ा, डॉ निपुण जिंदल अध्यक्षता मे जिला क्षय रोग निवारण समिति की बैठक
उपायुक्त कांगड़ा, डॉ निपुण जिंदल अध्यक्षता मे जिला क्षय रोग निवारण समिति की बैठक
कोरोना से ज्यादा जानलेवा है टीवी, मृत्यु दर 7 प्रतिशत
सब नेशनल टीबी सर्टिफिकेशन जिला कांगड़ा में 21 फरवरी से आरंभ
जिला क्षय रोग निवारण समिति की बैठक का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा के सभागार कक्ष मे दिनांक 18.2.2022 को उपायुक्त जिला कांगड़ा, डॉ निपुण जिंदल अध्यक्षता में हुआ।
इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश सूद ने बताया की टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का लक्ष्य टीबी के कारण होने वाली मृत्यु दर और बीमारी को कम करना और टीबी के संक्रमण के फैलने से रोकना है । टीबी उन्मूलन की जिला रणनीतिक योजना चार स्तंभों टीबी उन्मूलन की रणनीति – टीबी की खोज: इलाज: बचाव प्रणालियों का निर्माण और मजबूती शामिल है। डॉ सूद ने बताया कि जिला कांगड़ा में 41 स्वास्थ्य केंद्रों पर बलगम की जांच मुफ्त में की जाती है वह जिला कांगड़ा के अंदर बिगड़ी हुई टीबी की जांच के लिए 16 अत्याधुनिक मशीनें जिला में अलग-अलग जगहों पर उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि जिला कांगड़ा में टीबी रोगियों की मृत्यु दर 7 प्रतिशत है जबकि कोरोना मरीजों की मृत्यु दर 2 प्रतिशत है।
उपायुक्त कांगड़ा डॉक्टर निपुण जिंदल ने टीबी के कारण हो रही मृत्यु पर गंभीर चिंता जताई और उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को भविष्य में उचित कदम उठाने के निर्देश दिए ताकि जिला कांगड़ा में टीबी के रोगियो की मृत्यु दर को कम किया जा सके। उपायुक्त डॉ जिंदल ने आयुर्वेदा विभाग को आदेश दिए की बलगम जांच के लिए भेजे गए मरीजों का ब्यौरा सप्ताहिक तौर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के साथ सांझा करें सांझा करें ताकि जो लोग टेस्ट करवाने नहीं पहुंचे उन्हें आशा के माध्यम से खोजा जा सके। उपायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि टीबी से होने वाली मौतों का खंड चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से डेथ ऑडिट 2 सप्ताह के अंदर करवाया जाए वहीं उन्होंने कांटेक्ट की टेस्टिंग पर बल दिया ताकि जो लोग टीबी के खतरे में है उनके स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।
इस अवसर पर कांगड़ा के सीएमओ डॉ गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि सालाना 1 करोड़ नए टीबी मामलों में से 26 प्रतिशत भारत में हैं। जिला कांगड़ा ने 2021 में 2878 टीबी मामलों को अधिसूचित किया, जो लक्ष्य का 99.9% था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में टीबी कार्यक्रम का प्रदर्शन की परफारमेंस इंडिकेटर्स के 9 मानकों के आधार पर 95% था,जबकि 80 से ऊपर के स्कोर को बहुत अच्छा माना जाता है। डॉ गुप्ता ने बताया कि की 94% टीबी के रोगी वर्ष 2018 से 21 तक निक्षय पोषण योजना के तहत लाभान्वित हुए है। बिगड़ी हुई टीबी के रोगियों को सरकार द्वारा 1500 रुपए प्रतिमाह व पोषण के लिए न्यूट्री मिक्स दी जा रही है। 24% टीबी रोगी तंबाकू उपयोगकर्ता हैं, जबकि 15% मधुमेह रोगी हैं; अन्य 1.2% भी एचआईवी पॉजिटिव हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक जोनल हॉस्पिटल धर्मशाला राजेश गुलेरी ने इस अवसर पर आह्वान किया एक जन जागरण अभियान चलाना चाहिए की टीबी होना शर्म की बात नहीं टीबी के लक्षण आने पर अपनी जांच कराएं और इसका जांच और इलाज बिल्कुल मुफ्त है। उन्होंने कहा इसमें समाज की महत्वपूर्ण भूमिका है कि वह टीबी के मरीज को बापू भरपूर सहयोग करें कि वह अपना इलाज पूरा कर सकें वह संपर्क में आए हुए परिवारजनों की भी जांच सुनिश्चित करें।
डिपार्टमेंट ऑफ कंमुनिटी मेडिसन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर डॉक्टर आदित्य सूद ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कोविड-19 कलंक और भेदभाव की वजह से लोगों ने समय पर टेस्ट नहीं करवाया और जान का जोखिम उठाया जबकि समय पर जांच से जान बच सकती है।
इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर विक्रम कटोच, चिकित्सा अधीक्षक क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला डॉ राजेश गुलेरी, डॉक्टर आदित्य सूद डिपार्टमेंट ऑफ कंमुनिटी मेडिसन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर, राजेश शर्मा मेंबर ऑफ फार्मा काउंसिल हिमाचल प्रदेश, श्री राकेश कायस्था अध्यक्ष फार्मा डिस्ट्रीब्यूशन कांगड़ा, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी, जिला एलिमेंट्री एजुकेशन अधिकारी, जिला कांगड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर , आई सी डी सी खंड, शिक्षा अधिकारी तियारा, जिला पंचायत अधिकारी, हेल्थ एजुकेटर धर्मशाला, गुंजन संस्था के प्रतिनिधि वह अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
Box- वर्ष 2015 के बाद टीबी के रोगियों में कितनी कमी आई है इसके लिए सब नेशनल टीबी सर्टिफिकेशन जिला कांगड़ा में 21 फरवरी से आरंभ होगा जिसके लिए सारी तैयारियां कर ली गई है । इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के आंकड़ों की समीक्षा और निजी क्षेत्र में दवा की बिक्री निजी चिकित्सकों और दवा विक्रेताओं के साथ साक्षात्कार और फोकस समूह चर्चा और सर्वेक्षण किया जाएगा । भारत सरकार द्वारा यह सर्वे जिला कांगड़ा के अंदर किया जा रहा है। यह सर्वे जिला कांगड़ा मे भारत सरकार द्वारा कुछ चयनित गांवों व शहरों में होगा। इस सर्वे के लिए जिला में 15 टीमों का गठन किया गया है। इन द्वारा अपने क्षेत्र में घर घर जाकर संभावित टीबी के लक्षणों वाले व्यक्तियों की पहचान की जाएगी तथा उनका बलगम जांच के लिए लैब में भेजेगी।