अब होगी TB जड़ से ख़त्म, काँगड़ा जिला में टी.बी. मरीजों के कांटेक्ट में आए लोगों का टी.बी. प्रीवेंटिव थेरेपी (टी.पी.टी.) इलाज शुरू,

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  1. काँगड़ा जिला में टी.बी. मरीजों के कांटेक्ट में आए लोगों का टी.बी. प्रीवेंटिव थेरेपी (टी.पी.टी.) इलाज शुरू,

फ़ेफ़डे की टी.बी. रोगियों के 469 संपर्क की खून की इगरा जांच निशुल्क।
इससे टीबी संक्रमण होगा जड़ से खत्म

DHARAMSHALA

Dr. K.S. Sharma

Dr. K.S. SHARMA

विश्व स्तर पर. टी.बी मृत्यु के शीर्ष 10 कारणों में से एक है। पिछले वर्षों में बेशक टी.बी. में कमी आयी है, परन्तु विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रणनीति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से बहुत दूर है, जिसका उद्देश्य टीबी से होने वाली मौतों को 2035 तक 90 प्रतिशत तक कम करना है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर गुरदर्शन गुप्ता ने राष्टीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा बैठक की अधयक्षता करते हुए बताया कि विश्व स्तर पर एक चौथाई लोग लेटेंट टीबी के साथ जी रहे हैं।

लेटेंट टीबी, यानि कि, व्यक्ति में टीबी बैकटीरिया तो है पर रोग नहीं उत्पन्न कर रहा है।

अगर आपके शरीर मे लेटेंट टी.बी के जीवाणु हों तो दस में से एक की संभावना है कि भविष्य में किसी समय वह रोगाणु सक्रिय हो जाएंगे और आपको बीमार करेंगे। हालांकि साधारणतः क्षयरोग को इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है फिर भी बीमार ना पड़ना ही सबसे बेहतर है।

सौभाग्यवश, लेटेंट टीबी का भी इलाज किया जा सकता है। आपको बीमार होने से बचा कर यह आपके अपने स्वास्थ्य की रक्षा करेगा और साथ ही यह आपके परिवार और दोस्तों तक इस टीबी के रोगाणु के फैलने के जोखिम को कम करेगा।

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ विक्रम कटोच ने बताया कि जिला कांगड़ा और शिमला में टीबी उन्मूलन के बेहतरीन कार्य को देखते हुए अक्षय प्लस परियोजना में इन दो जिलों को लेटेंट टीबी के टेस्ट एंड ट्रीट टी.वी. प्रीवेंटिव थेरेपी मॉडल के अंतर्गत लिया गया है।

जिला कांगड़ा मै अक्षय प्लस प्रोजेक्ट के सहयोग से जिला के शाहपुर, नगरोटा बागवा, तियारा, फतेहपुर, इंदौरा, गंगथ व नगरोटा सूरियां मे यह गतिविध शुरू की गई है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश कुमार सूद ने बताया कि महामारी को समाप्त करने की कुंजी टीबी की घटनाओं को कम करना है। हम लेटेंट टीबी को सक्रिय होने से रोकने के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों की रक्षा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

यदि किसी के घर में टीबी का मरीज है और उसमें सिर्फ टीबी के लक्षण नहीं है, इगरा जांच में लेटेंट टी.बी. हो – टी.पी.टी. से ठीक किया जा रहा है ।इ ससे टीबी संक्रमण को जड़ से खत्म करने में सहायता मिलेगी।

इसके अंतर्गत जिला में फ़ेफ़डे की टी बी रोगियों के 469 संपर्क की खून की इगरा जांच निशुल्क की है, जिसमे 177 में लेटेंट टी बी निकली है- जो की 38 प्रतिशत दर है । सभी को टी.बी. से बचाव की दवाइयां निशुल्क दी जा रही हैं। जिला के अन्य भाग में भी यह सुविधा आगामी सप्ताह से आरंभ हो रही है।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, जैसे कि एच.आई.वी. के साथ जी रहे लोग या टी.बी. मरिजों के साथ रहने वाले, विशेष रूप से जोखिम में होते हैं।

यह थैरेपी पहले 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को दी जाती थी – नई गाइडलाइन के अनुसार टीबी रोगियों के संपर्क में आने वाले वयस्कों को भी टीपीटी ट्रीटमेंट दी जा रही है।

लेटेंट टीबी संक्रमण का इलाज करके, हम हजारों लोगों को इस बीमारी को विकसित होने से रोक सकते हैं- और अंततः जीवन बचा सकते हैं।

  1. टीबी की बीमारी दो तरह की होती है लैटेंट टीबी और ऐक्टिव टीबी। आपके शरीर में ट्यूबरक्यूलोसिस के बैक्टीरिया हो सकते हैं लेकिन आपकी इम्यूनिटी इन्हें शरीर में फैलने से रोके रहती है, इसे छिपा हुआ या लैटेंट टीबी कहते हैं। टीबी के जीवाणु हम सभी में मौजूद रहते हैं। पर अगर इम्‍यूनिटी मजबूत हो तो यह सक्रिय टीबी की बीमारी में नहीं बदल पाते।

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