चिंता की बात यह है कि ऐसी बीमारी से लोगों की म्रत्यु हो रही है जिसका इलाज है – मुक्य चुन्नोती इस से जुड़ा कलंक व् भेदभाव है

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सीएसआईआर- आईएचबीटी में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान पर कार्यशाला का आयोजन
निदेशक वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस.आई.आर.)-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर ने 13 जनवरी 2023 मे प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान पर एक कार्यशाला आयोजित की।

चिंता की बात यह है कि ऐसी बीमारी से लोगों की म्रत्यु हो रही है जिसका इलाज है – मुक्य चुन्नोती इस से जुड़ा कलंक व् भेदभाव है ।
डॉ. राजेश कुमार सूद, महामारी रोग विशेषज्ञ (एपिडेमियोलॉजिस्ट), ज़िला टीबी अधिकारी, कांगड़ा ने टीवी उन्मूलन के लिये “प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी रोगी को सामुदायिक सहायता” पर एक चर्चा की। उन्होंने टीबी रोग पर कुपोषण, तंबाकू के उपयोग, प्रतिरक्षा और सहरुग्णता के प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने ऐसी बीमारियों से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों के परिणामस्वरूप रोगियों को होने वाली मनोवैज्ञानिक कठिनाइयों का भी उल्लेख किया। जिस प्रकार कोविड रोग मे व्यक्ति को अकेलापन, महसूस होता है, व् उदासी का सामना करना पड़ता है, टीबी के साथ जी रहे व्यक्तियों को भी कई चुनोतियों का सामना करना पड़ता है। चर्चा में यह जानकारी भी डी गयी कि टीबी रोगी के बर्तन कमरा अलग करने की कोइ जरोरत नहीं होती क्योंकि दवा लेने के बाद रोगी संक्रामक नहीं रहता।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर राजेश सूद ने बताया कि उन्होंने कहां की इस अभियान से जुड़ने और निश्चय मित्र बनने के लिए सबसे पहले communitysupport.nikshay.in पर लॉगिन करना होगा। इसके बाद प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान पर क्लिक करें। फिर निक्षय मित्र रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कर इस अभियान से जुड़ सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद सुविधानुसार निक्षय सहायता के लिए टीबी रोगियों का चयन किया जा सकता है। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में टीबी की बीमारी से जुड़ी हर तरह की जानकारी के लिए निक्षय हेल्पलाइन नंबर 1800-11-6666 पर भी संपर्क कर सकते हैं। टीबी बीमारी कैसे होती है, टीबी कितने प्रकार की होती है, टीबी से बचाव, इलाज, दवा संबंधी सभी प्रकार की जानकारी निक्षय हेल्पलाइन नंबर पर प्राप्त कर सकते हैं। टीबी पर विजय पा चुके व्यक्ति टीवी चैम्पियन के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने टीवी अनमूलन का लक्ष्य 2025 रखा हुआ है उसी कड़ी में इस तरह का सर्वे हिमाचल प्रदेश के हर एक जिले में करवाया जा रहा है ताकि टीबी रोग मे आई कमी की दर को जाँचा जा सके। 2 सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार, वजन कम होना गांठों में सूजन की समस्या टीबी की बीमारी होने के संकेत हैं । उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति को तुरंत समीप के चिकित्सा केंद्र में जाकर परामर्श व जांच करवानी चाहिए ।
इसके साथ ही उन्होंने आधुनिक जाँच सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी जो स्वास्थ्य संस्थानों में निःशुल्क उपलब्ध हैं। सी बी नैट/ ट्रू नैट की मशीन से 2 घण्टे में ना केवल टीबी की बीमारी का पता लगता है, अपितु यह भी पता चल जाता है कि यह साधारण टीबी है या बिगड़ी हुई टीबी है। मरीज को दूर नहीं जाना पड़ता व नजदीकी अस्पताल से ही आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से जांच के नमूने भिजवाने की व्यवस्था भी की गई है जिससे मरीज खर्चे और परेशानी से बच सकता है। उन्होंने आहवान किया की 2 सप्ताह से अधिक खाँसी वाले व्यक्ति तुरन्त नजदीकी संस्थान मे सम्पर्क करें।
पदमश्री डॉ. ओमेश भारती, महामारी रोग विशेषज्ञ (एपिडेमियोलॉजिस्ट) प्रधानाचार्य और राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान, शिमला समारोह के विशिष्ट अतिथि रहे।
डॉ. ओमेश भारती ने अपने भाषण में उन्होनें श्रोताओं को क्षय रोग (टीबी) होने के करको जैसे पोषण और प्रतिरक्षा तथा इससे जुड़ी कुरीतियों के बारे में सूचित किया। अपने कुछ निजी अनुभवों का भी वर्णन किया, जिसमें एक टीबी पीड़ित का समर्थन करना और बीमारियों से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों पर काबू पाना शामिल है। उन्होने सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा किए गए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य उत्पादों के विकास के माध्यम से कुपोषण को कम करने के प्रयासों की भी प्रशंसा की।
उन्होंने बताया कि “निक्षय 2.0 सामुदायिक सहायता द्वारा क्षय रोग (टीबी) के साथ जी रहे लोगों का मनोबल बढ़ने का एक अनूठा अभियान है। सभी नागरिक सामाजिक दायित्व के तहत निक्षय मित्र योजना से जुड़कर भारत को टीबी मुक्त करने में बड़ा योगदान दे सकते हैं। इसी के साथ डॉ. भारती ने समाज से टीबी को खत्म करने में संस्थान की सहायता भी मांगी।
कार्यक्रम का समन्वय डॉ. योगेंद्र एस. पदवाड़, प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने किया। इस कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों, तकनीकी कर्मचारियों और अध्येताओं ने भाग लिया।

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