नई दिल्ली: कोविड काल में कुछ जरूरी दवाओं और सामानों की जरूरत इतनी बढ़ गई कि बाजार में उसकी किल्लत तक हो गई। कोरोना की दोनों लहर के दौरान विटामिन सी की दवाओं से लेकर, थर्मामीटर, वजन मापने की मशीन और लैपटॉप की मांग में भारी इजाफा देखा गया है।
कोरोना महामारी के दौरान लोग अपने घरों में कैद थे, जिसका सीधा असर उनकी खरीदारी पर नजर आया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2020-21 के आयात आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक वर्ष के दौरान कुछ खास वस्तुओं की मांग में खासा बदलाव दखने में आया है। पिछले साल जहां लोगों के आफिस बंद थे और आवाजाही के साधनों पर रोक लगी हुई थी। वहीं स्कूल और कॉलेज के छात्र भी अपनी ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे। ऐसे में लैपटॉप सहित बैटरी चार्जर की मांग में खासी तेजी देखी गई। जबकि खिलौनों की मांग बिल्कुल कम हो गई है।
कोविड संक्रमण के दौरान से ही सभी स्थानों, यहां तक कि सभी कार्यालयों में प्रवेश से पहले भी शरीर का तापमान मापा जाने लगा। जिसकी वजह से डिजिटल थर्मामीटर की मांग बढ़ गई हैं। इसके आयात 2,410 फीसदी बढ़ गया है। इनमें लगभग तीन चौथाई हिस्सा चीन से आया है। वहीं महामारी के दौरान विटामिन की दवाओं की मांग में अचानक तेज इजाफा देखा गया हैं। रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए डॉक्टर अक्सर लोगों का विटामिन सी की गोली खाने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे में इस दवाई की मांग भी बढ़ गई है। इसका आयात भी 450 फीसदी बढ़ गया है।
लोगों की मांग में हुए बदलाव पर अर्थशास्त्री रेखा शर्मा ने कहा कि कोविड 19 एक कठिन दौर था। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यमवर्गीय परिवारों के बजट पर देखने को मिला है। इस दौर में सैकड़ों लोगों ने अपनी नौकरियां भी गंवाई हैं। वहीं कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की सैलेरी भी कट की है। ऐसे में लोग केवल जरूरत की वस्तुओं का प्रयोग कर रहे हैं। इसलिए तमाम गैर जरूरी वस्तुओं के मांग में कमी है, वहीं जरूरी और स्वास्थ्य संबंधी वस्तुओं पर लोगों ने खर्च किया है।