These days One IAS officer of Tripura is in lime light and it is grabbing all the y news channels . In Tripura he all of sudden stopped and visited the marriage vanue where marriage function was going on after 10.00pm and gathering was more than the permitted limit, although there was permission from his office for this marriage,but timing and guests numbers were not as per permission.He visited the vanue and when saw violation of rules during this pandemic period ,he over reacted which became a national news.his whole action video is viral in news channels and in social media too. There is unconfined news that he has been suspended and someMLA of Tripura has written to chief secretary against his miss behaviour in the marriage party the matter has also been seems to be politicised
Everybody is blaming the IAS officer but we are of the view that
was b truth, its wrong decision by the government and निसन्देह wrong action by the officer {DM} at that particular time.
कर्तव्य निर्वहन में कुछ कोताही भी हो जाती हैं परंतु इसका मतलब यह नहीं कि कर्तव्य निर्वहन करने वाले ऑफिसर्स को सजा मिले डीसी का एक्शन बहुत एग्रेसिव था जो नहीं होना चाहिए था परंतु था तो genral public के इंटरेस्ट में ही ना! उसे वार्निंग देकर छोड़ना चाहिए था।
वरना डीसी को क्या पड़ी है कि वह रात को 11:00 बजे किसी की शादी में जाकर हंगामा करें क्योंकि उसे जनता की फिक्र थी कि बीमारी ना फैले इसलिए वह गया वरना 11:00 आराम से पेग लगाकर अपने घर में सो रहा होता उसे क्या लेना देना था!!
उसने वहां भी कहा कि हम सारा दिन अनाउंसमेंट कर रहे हैं और आप उसी की धज्जियां उड़ा रहे हैं क्योंकि डीसी को बहुत मेहनत करनी पड़ती है अपना कर्तव्य निर्वहन करने के लिए और उस पर बहुत ज्यादा प्रेशर भी होता है जनता का और शासकों का! शासक सबसे अधिक pressure डालते हैं उनसे उल्टा सीधा काम करवाने के लिए!
डीसी बेचारा क्या करें नेताओं के पास जनता जाती है तो कुछ गलत शिकायतें करके गलत मांगे मनवाने की कोशिश करते हैं और शासक फिर DC को कहते हैं कि है यह काम कीजिए ।
जब डीसी उन्हें कहता है कि सर यह नही हो सकता यह गलत हो जाएगा ,तो शायद जवाब होता होगा कि गलत को सही करना आपका काम है मेरा नहीं !!
आप देखिए इसे कैसे करना है! अगर वह काम आराम से निकल गया और किसी ने उस पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया फिर तो ठीक है, और अगर किसी ने प्रश्नचिन्ह लगा दिया या विपक्ष ने में मुद्दा उठा दिया तो शासक लोग झट से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और कहते हैं कि यह तो DC को ही देखना था, कि सही है क्या है ,तर्कसंगत क्या है ,!और यह कार्य होना चाहिए था या नहीं होना चाहिए था !उसे तनख्वाह इसी बात की मिलती है ।अब आप बताइए अगर वह कार्य करता है तो फंसता है नहीं करता है तो फ़सता है। उसका जीवन तो एक दोहरी धार वाली तलवार पे चलने जैसा है। अगर इसी शादी का उदाहरण लें तो अगर विपक्ष के लोग इस शादी में कोरोना के s.o.p. के उल्लंघन का आरोप लगाते तो सत्ता पक्ष के लोग कहते कि यह DC निकम्मा है इसे सस्पेंड करो ।अगर DC रात को 11:00 बजे अपनी नींद खराब करके छापेमारी करता है तो सत्ता पक्ष के लोग उसे सस्पेंड करने को कह रहे हैं ।हालांकि DC का बोलने का और व्यवहार करने का तरीका ठीक नहीं था फिर भी आप ही सोचिए आप DC होते तो आपके दिल पर क्या बीतती।
या आप क्या करते ।
हमारा एक छोटा सा चालान हो जाए हम उसी बात को इतना तूल देते हैं जबकि गलती भी हमारी ही होती है तो यह तो DC साहब थे इनको अगर गुस्सा आ गया जो नहीं आना चाहिए था ,तो इसे एक माननीय स्वभाव के तत्वरित प्रतिक्रिया के रूप में लेना चाहिए था। और वह भी इस महामारी के दौर में।
एमएलए लोगों को उन शादी वालों को समझाना चाहिए था कि कोई बात नहीं जो हो गया सो हो गया गलती आपकी भी थी गलती उनकी भी थी जो एक त्वरित प्रतिक्रिया के रूप में उजागर हो गई और इसे दुःस्वप्न समझकर भूल जाइए।
परन्तु राजनीति तो वोट बैंक की है और लोकप्रियता की भी है।