पशु चिकित्सकों तथा कर्मचारियों को मिले फ्रंटलाइन वर्कर्स का दर्ज़ा,

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ऊना ( महेश गौतम)9 मई : करोना के मामलों में हो रही वृद्धि के मद्देनजर सरकार द्वारा कुछ विशेष वर्गों की सेवाओं को करोना वारीयरस के अंतर्गत रखा गया है। जिसके परिणाम स्वरूप उनकी काम के दौरान मृत्यु हो जाने पर मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। सरकार द्वारा पशु चिकित्सका विभाग के डॉक्टर तथा कर्मचारियों को इस वर्ग में नहीं रखा गया है। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अमित सामा,डा मोहित कुमार, डॉ राकेश कुमार तथा डॉ मनीष दत्ता आदि ने सरकार से मांग की है उन्हें भी फ्रंटलाइन वर्कर की कैटिगरी में रखा जाए। उन्होंने कहा कि हमें लगभग 70% पशुओं की चिकित्सा का काम घर द्वार पर ही जा कर करना पड़ रहा है। डा सामा ने बताया कि जिला ऊना के विभाग में 350 डॉक्टर तथा कर्मचारी हैं।

वसदेहडा मे 20 कर्मचारी हैं। बसदेहड़ा पशु चिकित्सालय के अंतर्गत आने वाला क्षैत्र ,दूर दराज तथा दुर्गम इलाकों मे फैला हुआ हैं। गांव चताड़ा से लेकर हंडोला ,फतेवाल तथा पश्चिम में ग्राम उदयपुर तक का क्षैत्र है। डॉक्टर सामा ने बताया कि पिछले वर्ष बसदेहड़ा चिकित्सालय द्वारा 8031 ओपीडी तथा 1605 पशुओं का घर द्वार जा कर इलाज किया गया है। जिससे विभाग के कर्मचारियों को लोगों के संपर्क में आने के कारण करोना संक्रमण की संभावनाएं वन रही है। बता दें कि कुछ समय पहले जिला सोलन में बिभाग के एक फार्मासिस्ट की करोना संक्रमण के कारण मृत्यु हो गई थी। यदि सरकार द्वारा कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर की श्रेणी में रखा होता है।तो उसके परिवार को कुछ मुआवजा मिल सकता था। इस बारे में बिभाग के उपनिदेशक डा सेन ने कहा कि बिभाग के कर्मचारियों को घर ना जाकर काम करने के आदेश दिए हैं। फ्रंट लाइन बर्कर के वर्ग में लाने के लिए विभाग के निर्देशक को लिखा गया था। उन्होंने बताया

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