घर से बाहर निकलने को खुद के लिए बनाए नियम, मास्क व सैनिटाइजर को बनाया हथियार
कोविड वायरस के बीच में साल भर दी ड्यूटी, फिर से वायरस के संक्रमण से रहे दूर
ऊना (महेश गौतम)11 मई – साल भर कोविड-19 वायरस के बीच में ड्यूटी देने वाले कई डॉक्टर खुद के लिए बनाए नियमों का अनुशासनपूर्वक पालन कर संक्रमण से दूर रहने में कामयाब हो पाए। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमण कुमार शर्मा, जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. अजय अत्री ऐसे ही हेल्थ कयेर वर्कर्स हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमण कुमार शर्मा कहते हैं “सुबह ही ड्यूटी के लिए कार्यालय पहुंचता हूं। कई बार कोविड सेंटरों में जाता हूं, लेकिन कभी भी कोरोना वायरस से संक्रमण की चपेट में नहीं आया। कार्यालय में बार-बार हाथों को धोना अब आदत बन गई है। परिवार के सदस्यों को कोविड-19 वायरस से बचाने के लिए शाम को घर पर पहुंचते ही कपड़े बदलता हूं और नहाने के बाद ही अपने परिवार के अन्य सदस्यों से मिलता हूं। भाप लेना भी रोज की दिनचर्या में शामिल है। कभी-कभी गरारे भी करता हूं। जब अनुमति थी, तो पारिवारिक कार्यक्रमों में भी शामिल हुआ, लेकिन फोटो खिंचवाने के लिए कभी मास्क नहीं उतारा। सावधानियों को आदत में शामिल करेंगे तो कोरोना वायरस से बच सकते हैं।”
वहीं जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. अजय अत्री कहते हैं “जिला ऊना में सबसे पहले गगरेट उपमंडल में कोविड-19 वायरस के मामले सामने आने थे और तभी से लगातार में अपना कार्य कर रहा हूं। जब भी सैंपल लेने के लिए गया पूरी सावधानियां बरतीं। अपने काम में कभी भी कोविड नियमों की अवेहलना की। मास्क और सैनिटाइटर को हथियार बनाकर ही कोविड वायरस से बच पाए हैं। काम से घर लौटने के बाद कपड़े बदलकर तथा हाथ-मुंह धोकर ही घर में प्रवेश करता हूं। कड़े अनुशासन व कोविड नियमों की पालना से ही कोविड वायरस से बच पाया हूं।”
डॉ. रमण शर्मा व डॉ. अजय अत्री दोनों ही कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके हैं। उनका कहना है कि कोविड वायरस से बचाव के लिए वैक्सीनेशन एक कारगर हथियार है तथा सभी को अपनी बारी आने पर टीकाकरण करवाना चाहिए। यह सुरक्षित भी है और असरदार भी। जिला में ऐसे कई डॉक्टर व हेल्थ केयर वर्कर्स हैं, जिन्होंने अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर कोरोना का सामना किया, मरीजों को बचाया और खुद भी सुरक्षित रहे।