नई दिल्ली: WHO ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि टीका लगवा चुके लोग डेल्टा वैरिएंट के वाहक बन सकते हैं और दूसरों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में ऐसे मामले मिलने लगे हैं।
WHO की वैज्ञानिक व महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. मारिया वैन केरखोवे का कहना है कि दुनिया में डेल्टा वैरिएंट का प्रसार पहले की तुलना में और अधिक तेज हो गया है। दरअसल लॉकडाउन में छूट के बाद लोगों का मिलना-जुलना बढ़ा है, भीड़ बढ़ी है जिसकी बदौलत वायरस का घातक रूप डेल्टा तेजी से अपना जाल फैला रहा है।
उन्होंने बताया कि टीका लगवा चुके लोग भी इस वैरिएंट की चपेट में आ रहे हैं, कई लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिख रहे हैं लेकिन वे वायरस का वाहक बन रहे हैं। अब तक जिन्हें टीका नहीं लगा है, वे लोग जब इनके संपर्क में आ रहे हैं तो उनमें संक्रमण के गंभीर मामले दिख रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनियाभर में 24.7 फीसदी आबादी को कम से कम टीके की एक डोज लगी है। अब तक 300 करोड़ खुराक लग चुकी है। सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि पिछड़े, गरीब और कम आय वाले देशों में टीकाकरण या तो शुरू नहीं हुआ या बहुत कम लोगों को टीका लगा है। ऐसे में ये देश महामारी के आसान शिकार बन सकते हैं। दुनिया के 104 देशों में घातक माने जा रहे डेल्टा वैरिएंट ने दस्तक दे दी है।
संगठन ने चेतावनी देते हुए कहा कि टीका लगवा चुके लोग वायरस के वाहक बन सकते हैं। ऐसे में कोरोना संबंधी कोई भी हल्की सी तकलीफ महसूस होने पर खुद को आइसोलेट करें, आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही बाहर निकलें, क्योंकि संक्रमण के कारण ऐसे लोगों में गंभीर लक्षण नहीं दिखेंगे लेकिन दूसरे लोगों के लिए ये लोग मुसीबत बन सकते हैं, खासतौर से उनके लिए जिन्हें टीका नहीं लगा है।
डॉ. मारिया का कहना है कि जिन्हें टीके की दोनों खुराक नहीं लगी है, उन्हें डेल्टा की चपेट में आने का खतरा सबसे अधिक है। भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अभी टीका नहीं लग रहा है। वहीं दूसरी ओर टीके की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले युवाओं को भी टीका नहीं लग पा रहा जिससे स्थिति बिगड़ सकती है।
येल मेडिसिन की महामारी रोग विशेषज्ञ एफ पेरी विल्सन का कहना है कि कोरोना के कारण आने वाले समय में दुनिया का सामना बड़ी चुनौती से होने वाला है। सबसे बड़ी मुश्किल उन क्षेत्रों या देशों में खड़ी होगी जहां बड़ी संख्या में लोगों को टीका नहीं लगा है। ऐसे क्षेत्रों में संक्रमण की दर तेज होगी। मौत का ग्राफ बढ़ सकता है। यही नहीं लोगों को समय पर अस्पताल और इलाज तक मिलना मुश्किल हो जाएगा।