सीएसआईआर-आईएचबीटी में विश्व पर्यावरण दिवस समारोह
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान ने 6 जून 2022 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया।
विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है पहली बार 1974 मे मनाया गया था।
संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्थान समाजिक, पर्यावरणीय, औद्योगिक और अकादमिक लाभ हेतु हिमालयी जैवसंपदा से प्रक्रमों, उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की खोज, नवोन्मेष, विकास एवं प्रसार के लक्ष्य के लिए सतत प्रयासरत है।
संस्थान ने हिमालयी पर्यावरण के लाभों का दोहन करते हुए आजीविका और उत्पाद विकसित करने के लिए विशिष्ट उच्च मूल्यवान फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए अनूठी/ अभिनव पहल की है। हमारा संस्थान अपने शोध एवं विकास गतिविधियों के माध्यम से हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर रहा है। संस्थान ने खेती, जीन बैंक के माध्यम से सिनोपोडोफिलम हेक्सेंड्रम, पिक्रोराइजा कुरोआ, फ्रिटिलारिया रॉयली और ट्रिलियम गोवेनियम जैसे दुर्लभ, लुप्तप्राय और संकटग्रस्त सहित प्रति इकाई भूमि क्षेत्र में उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने और दुर्लभ, लुप्तप्राय और संकटग्रस्त पौधों की स्थिति को बदलने के लिए उनकी कृषि प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ विविधता सुधार, औषधीय पौधों की उपलब्धता के लिए पहल की है। पिक्रोराइजा कुरो आ और फ्रिटिलारिया रॉयली के उत्कृष्ट पौधों को टिशू कल्चर तकनीक के माध्यम से बहुगुणित किया गया और संस्थान ने उनको प्राकृतिक वास में भी लगाया गया है।
डॉ. एस एस सामंत, निदेशक, हिमालय वन अनुसंधान संस्थान (एचएफआरआई), शिमला ने “भारतीय हिमालयी क्षेत्र के संदर्भ में जैव विविधता संरक्षण और प्रबंधन” विषय पर व्याख्यान दिय ।
अपने संबोधन में डॉ. सामंत ने भारतीय वानिकी शिक्षा एवं अनुसंधान परिषद एवं इसके संस्थानों के कार्यकलापों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आगे बताया कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र जैवविविधता, वनस्पति और जीवों से समृद्ध है। हिमालयी इकोसिस्टम का विकास समग्रता से ही किया जा सकता है। हिमालय की पादपसंपदा अत्यन्त विशेष है तथा जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब इस क्षेत्र में भी दिख रहा है जिससे वानस्पतिक और फसल पद्धति में परिवर्तन आया है। हिमालयी जैवसंपदा आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है अतः हमें इसके संरक्षण में अपनी सक्रिय योगदान करने की आवश्यकता है। उन्होने स्थान विशिष्ट • खतरे द्वारा पौधों का वर्गीकरण तथा एवं पादपों के संरक्षण एवं प्रवर्धन हेतु फील्ड सर्वेक्षण से प्राप्त डाटा पर निर्भरता पे विशिस्ट ज़ोर दिया। अपने प्रस्तुतिकरण में उन्होंने हिमालय के क्षेत्रवार विशेषताओं, विविधता, संरक्षण, सामाजिक •आर्थिक पहलुओं पर तथ्यात्मक विस्तृत जानकारी प्रदान की।
इस समारोह में, संस्थान के कर्मचारियों एवं छात्रों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। कार्यक्रम का समापन सीएसआईआर •आईएचबीटी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।