कुलपति डॉ. डी.के.वत्स का टिकाऊ खेती के लिए मृदा बचाने का आह्वान
कुलपति डॉ. डी.के.वत्स का टिकाऊ खेती के लिए मृदा बचाने का आह्वान
DHEERAJ SOOD
पालमपुर, 28 मार्च । चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.के.वत्स ने कहा है कि कृषि मानवता के लिए बहुत बुनियादी आवश्यकता है जबकि अन्य सभी पेशे और व्यवसाय कृषि के बाद आते हैं। उन्होंने टिकाऊ खेती के लिए मृदा को बचाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
कुलपति ने कहा कि सही फसल प्रणाली अपनाकर सूक्ष्म सिंचाई और माइक्रोशेड प्रबंधन को अच्छी तरह से संभाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को सोचना चाहिए कि क्या गेहूं-धान प्रणाली हिमालय के लिए सही है। उन्होंने इस क्षेत्र में पोषक अनाज उगाने के महत्व की वकालत की। उन्होंने कहा कि किसान बहुत जानकार हैं लेकिन हमें उन्हें टिकाऊ कृषि विकास के लिए समग्र जानकारी प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने आपदाओं और जलवायु परिवर्तन जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में हमारी कृषि को बचाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसान और कृषि वैज्ञानिकों को मानवता को भोजन उपलब्ध कराने के लिए सराहना की आवश्यकता है।
एमजीएन विश्वविद्यालय, औरंगाबाद के एमेरिटस प्रोफेसर प्रोफेसर एच.एम.देसारदा ने विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और छात्रों के साथ ‘पारिस्थितिकी रूप से टिकाऊ और सामाजिक रूप से न्यायसंगत कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म वाटरशेड विकास की रणनीति और कृषि प्रणाली दृष्टिकोण को अपनाने’ विषय पर बात की।
इस अवसर पर अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के.उपाध्याय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में डॉक्टर जी सी नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. रवींद्र कुमार, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर डॉ. आर.के. कपिला, पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. राजेश उप्पल संकाय सदस्य और छात्र मौजूद रहे।