वाईस चांसलर के पीए पर 50000 रुपये रिश्वत लेने का आरोप

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मदन तिवारी, सागर
डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय
डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय
– वेतन निर्धारण के लिए सालों से भटक रहे व्यक्ति का कहना 20 हजार लेने के बाद भी नहीं किया काम, प्रबंधन के साथ एसपी, कलेक्टर से शिकायत
सागर. डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने निर्णयों और नियुक्ति में फर्जीवाड़े को लेकर तो पहले ही बदनाम था, इसके बाद अब कुलपति के निज सचिव पर फाइल आगे बढ़ाने के नाम पर रिश्वतखोरी करने के आरोप लग रहे हैं। इस संबंध में विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त सहायक सांख्यिकी अधिकारी ने कुलपति से शिकायत की है। जिसमें उनका कहना है कि पीए प्रवीण राठौर ने कुलपति से काम कराने के नाम पर 50 हजार रुपए की मांग की थी, जिसमें से 20 हजार रुपए एडवांस भी ले चुके हैं और अब काम नहीं कर रहे हैं। शिकायत में निज सचिव प्रवीण पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग की गई है।
विश्वविद्यालय से जनवरी 2019 में सेवा निवृत्त हुए सहायक सांख्यिकी अधिकारी पीएल साहू ने कुलपति से की गई शिकायत में बताया कि 2018 में विश्वविद्यालय द्वारा मेरे वेतन सुधार के लिए आदेश प्रसारित किया गया था। इसके बाद वेतन निर्धारण के लिए विश्वविद्यालय को अनेक पत्रों व व्यक्तिगत रूप से निवेदन किया, लेकिन वेतन का निर्धारण नहीं हुआ। इसी बीच कोरोना महामारी व विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति व कुलसचिव के न होने से वेतन निर्धारण लंबित रहा। उन्होंने बताया कि वेतन निर्धारण न होने के कारण उन्हें पेंशन का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पीए बोला 50 हजार में करा दूंगा काम
पीएल साहू ने बताया कि सितंबर 2021 में नियमित कुलपति व उसके बाद नियमित कुलसचिव के जाइन करने के बाद अक्टूबर 2021 में कुलपति कार्यालय के लिपिक सह निज सचिव प्रवीण राठौर को मैंने अपनी समस्या बताई। जिसको लेकर प्रवीण ने कहा कि मैं कुलपति मेडम से कह कर आपका वेतन निर्धारण दो से चार माह में करा दूंगा, लेकिन इस काम के लिए आपाके 50 हजार रुपए देने होंगे, जिसमें 20 हजार एडवांस और बाकी 30 हजार रुपए काम होने के बाद। साहू ने बताया कि उन्होंने तीन नवंबर 2021 को पीए प्रवीण राठौर को एडवांस के 20 हजार रुपए दे दिए।
अब कुलपति से मिलने भी नहीं दे रहे
कुलपति के पीए प्रवीण राठौर पर आरोप है कि उन्होंने रुपए लेने के बाद बहानेबाजी शुरू कर दी और आज तक रिटायर्ड अधिकारी का वेतन निर्धारण नहीं कराया गया। पीए राठौर अब रुपए भी वापस नहीं कर रहे हैं। शिकायत में साहू ने बताया कि मैं रिश्वत के रूप में रुपए देना नहीं चाहता था, लेकिन अपना चाहा गया उल्लेखित काम कराने की मजबूरी में मैंने रुपए दे दिए। इस संबंध में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता से कई बार मुलाकात करने का प्रयास किया, लेकिन प्रवीण ने नहीं मिलने दिया।
 न फोन उठाया न मैसेज का जवाब
कुलपति के पीए प्रवीण राठौर पर लगे इन आरोपों को हमने उनसे बात करने का प्रयास। राठौर को दो बार फोन लगाया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। इसके बाद उन्हें मैसेज कर पक्ष जानना चाहा, लेकिन उन्होंने मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया।
प्रबंधन ने दिया यह जवाब
शिकायतकर्ता का वेतन निर्धारण प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में इस तरह के आरोप समझ से परे हैं। तथ्य एवं प्रामाणिकता स्पष्ट होने पर ही ज्यादा जानकारी दी जा सकेगी। हालांकि प्रवीण राठौर द्वारा भी एक शिकायती आवेदन प्रस्तुत किया गया है।
डॉ. विवेक जायसवाल, जनसंपर्क अधिकारी, विश्वविद्यालय

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