एशियाड और ओलंपिक में देश के लिए मेडल का रंगे बदलने की होगी कोशिशःविकास ठाकुर

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एशियाड और ओलंपिक में देश के लिए मेडल का रंगे बदलने की होगी कोशिशःविकास ठाकुर
हमीरपुर।

Naveen Singh

काॅमनवेल्थ गेम्स में लगातार तीन मेडल जीतने वाले वेटलिफटर विकास ठाकुर की नजर अब एशियाड गेम्स पर है। अगली दफा देश के मेडल का रंग बदले यही उनका प्रयास रहेगा।

मीडिया कर्मियों से विशेष बातचीत में विकास ठाकुर ने यह बयान दिया है। मेडल जीतने के बाद पहली दफा अपने पैतृक गांव पटनौण जाते हुए सर्किट हाउस हमीरपुर में उन्होंने मीडिया कर्मियों से बातचीत की।

यहां पर भाजपा हमीरपुर, युवा मोर्चा के पदाधिकारियों तथा हमीरपुर के विधायक नरेंद्र ठाकुर ने उनकोे उनको सम्मानित किया। भाजपा के साथ ही सुजानपुर विस क्षेत्र से कांग्रेस विधायक ने उनको यहां पर पहुंचकर सम्मानित किया।

विकास ठाकुर सुजानपुर विस क्षेत्र के पटनौण के रहने वाले हैं। विकास ने कहा कि वह एशियन गेम्स और ओलंपिक के लिए वह तैयारियों में जुटे हैं।

विकास ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र में टेलेंट की कमी नहीं है। देश के मेडल लगातार खेलों में बढ़ रहे हैं। आने वाले समय में खेलों में भारत और अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए कुछ अच्छा कर सके इसका वह भरसक प्रयास करेंगे। सभी खिलाड़ी मेहनत करते है कि लेकिन आपका भाग्य भी आपका साथ दे यह भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सफलता का पूरा श्रेय अपने माता पिता और विशेषकर पिता को देते है। विकास ठाकुर अपने पिता को पहला कोच मानते है।

गौरतलब है कि लुधियाना में जिस सरकारी स्पोटर्स क्लब में 14 साल की उम्र में बच्चों को खेल गतिविधियों को निखारने का मौका मिलता था वहां पर विकास सात साल की उम्र में वजन उठाने लग पड़े। नौ साल की उम्र में लुधियान में प्रैक्टिस करते हुए विकास स्कूली खेलों के बूते स्टेट चैंपियन बन गए। वह लगातार 20 वर्षों से वेटलिफटिंग कर रहे हैं।

वेटलिफटिंग के पुरूष वर्ग में लगातार तीन काॅमनवेल्थ पदक जीतने वाले देश के इकलौते गबरू
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के रहने वाले वेटलिफ्टर विकास ठाकुर ने इस दफा काॅमनवेल्थ गेम्स में 96 किलोग्राम भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीत कर इतिहास रचा है। विकास ने लगातार यह तीसरी बार काॅमनवेल्थ गेम्स में मेडल अपने नाम किया है। वह इससे पहले 2014 85 किग्रा भार वर्ग में सिल्वर और 2018 में 94 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीत चुके हैं। विकास ठाकुर भारतीय वायु सेना में सेवारत हैं। काॅमनवेल्थ गेम्स 2022 में देश के लिए हिमाचल के किसी खिलाड़ी का यह पहला मेडल है। वेटलिफ्टर विकास ठाकुर ने पुरुषों के 96 किलोग्राम भारव र्ग में सिल्वर मेडल जीता है। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में यह भारत का 12वां मेडल हैण् भारत को अब तक कॉमनवेल्थ गेम्स में 12 पदक मिल चुके हैं। भारत ने चार गोल्डए तीन सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल जीता है। विकास ठाकुर इससे पहले वेटलिफटिंग में कई रिकार्ड अपने नाम कर चुके है। वेटलिफटिंग में काॅमनवेल्थ गेम्स में पुरूष वर्ग में लगातार तीन पदक जीतने का रिकार्ड भी विकास के नाम है।वेटलिफटिंग पुरूष वर्ग में ऐसा कारनामा करने वाले वह इकलौते भारतीय हैं।

एलकेजी के बाद लुधियाना में पढ़ाई और स्पोटर्स कैरियर बनाया
विकास ठाकुर ने एलकेजी के बाद की पढ़ाई लुधियान से ही की है। स्कूलए काॅलेज और यूनिवर्सिटी में चैंपियन बनने के बाद नेशनल स्तर पर उनका जलवा नौ वर्षों से कायम है। वह नौ बार नेशनल चैंपियन बन चुके हैं। पिछले साल ही राष्ट्रीय भारोत्तोलन प्रतियोगिता में 102 किलोग्राम वर्ग के स्नैच वर्ग में 151 किग्रा भार उठाकर यह कीर्तिमान स्थापित करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। किया। इससे पूर्व भारतीय रेलवे के प्रदीप सिंह ने स्नैच में 150 किलोग्राम भार उठाकर नेशनल रिकॉर्ड बनाया था। इस नेशनल स्पर्धा में 102 किलोग्राम वर्ग में विकास ठाकुर ने इस चैंपियनशिप में कुल 331 किलोग्राम भार उठाकर नेशनल चैंपियन बने थे विकास ठाकुर हमीरपुर के टौणीदेवी के रहने वाले हैं। विकास ठाकुर आठवीं बार नेशनल चैंपियनए साउथ एशियन चैंपियनए राष्ट्रमंडल खेल चैंपियन और 96 किलोग्राम वर्ग में स्नैच 159 और क्लीन एंड जर्क में 200 किग्रा भार उठाने का रिकॉर्ड बना चुके हैं।

पिता बृज रेलवे में विकास वायुसेना में है कार्यरत
विकास के पिता बृजलाल ठाकुर रेलवे में नौकरी करते हैं। माता आशा ठाकुर गृहिणी है। उन्होंने कहा कि परिवार लंबे समय से लुधियाना रह रहा हैए हालांकि बीच बीच में विकास ठाकुर परिवार सहित अपने टौणीदेवी आते रहे है। विकास ने पढ़ाई लुधियाना से ही की है। विकास ठाकुर 2012 से वायु सेना में सेवारत है और वर्तमान में वह जूनियर वारंट अफसर के पद पर तैनात हैं। हमीरपुर में एलकेजी की पढ़ाई के बाद पिता बृज ठाकुर लुधियाना में नौकरी के चलते बेटे को वहीं ले गए। वह कहते हैं विकास बचपन से शरारती था ऐसे में वह व्यस्त रखना पड़ता था। लुधियाना में स्पोटर्स क्लब में दाखिले के बाद विकास ने पीछे नहीं देखा।

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