घरेलू हिंसा के खिलाफ पालमपुर में महिला मंडलों की रोष रैली, मलका देवी केस में मांगी स्वायत जाँच,

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घरेलू हिंसा के खिलाफ पालमपुर में महिला मंडलों की रोष रैली,
मलका देवी केस में मांगी स्वायत जाँच,

RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-Chief, 9418130904
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कांगड़ा में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बढ़ती वारदातों पर आज दिनांक 8 जून 2022 को 60 महिला मंडलों और सामाजिक सागठनों ने पालमपुर में रोष प्रदर्शन किया जिसमें लगभग 250 महिलाएं शामिल हुईं। महिलाओं ने एक स्वर में घरेलू हिंसा के खिलाफ जबरदस्त नारे देते हुए न्याय के लिए गुहार लगाई। गौर तलब है कि हिमाचल में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के आंकड़े दर्शाते हैं कि कांगडा जिला औरतों के लिए सबसे अधिक असुरक्षित है।

हाल ही में घटी एक ऐसी ही घटना ने महिला मंडलों को घरेलू हिंसा के खिलाफ लामबंद होने के लिए मजबूर कर दिया। 9 अप्रैल को बैजनाथ में मलका देवी नाम की 45 वर्षीय महिला का शव बिनवा खड्ड से बरामद हुआ। गौर तलब है कि मलका अपने ससुराल (देहन) से ठीक एक महीने पहले 9 मार्च को अचानक गायब हो गयी थी। मलका के मायके तथा गाँव के आस पास (पड़ोस) के अनुसार मलका अपनी 21 साल की शादी में घरेलू हिंसा तथा पति द्वारा प्रताड़ना का शिकार थी।

आज मलका देवी संदिग्ध परिस्थायों में गायब होने के चार महीने बाद मलका के परिवार न्याय के लिए गुहार लगा रहे हैं। महिला मंडलों का कहना है कि इस मामले में मलका के गुमशुदा होने के बाद भवारना पुलिस थाने द्वारा उचित जाँच पड़ताल नहीं की गयी और ना हिं आज तक मलका के परिवार वालों केगहराई से बयाँ लिए गए हैं।


महिला मंडलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ये बात रखी कि घरेलू हिंसा के मामलों में पुलिस और कोर्ट दोनों ही न्याय दिलाने से चूकते आये हैं और संज्ञान लेने के बजाए हिंसा करने वालों को शय देने वाले बन जाते हैं. “बेटी बचाओ” आज एक जुमला मात्र बन के रह गया है – तभी तो आज कांगड़ा में बच्चों में लिंग अनुपात घटता जा रहा है – लड़कियों को पैदा ही नहीं होने दिया जाता।
महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए 2005 में जारी महिला संरक्षण अधिनियम को 26 अक्तूबर, 2006 को कानून का रूप देकर लागू किया गया। इसमें महिलाओं से शारीरिक दुव्र्यवहार, उन्हें शारीरिक पीड़ा पहुंचाने, उनके जीवन या स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने या उनसे लैंगिक दुव्र्यवहार को अपराध माना गया है। कुछ समय पूर्व एक रिपोर्ट में बताया गया था कि विवाहित महिलाओं में लगभग 8 प्रतिशत महिलाएं यौन हिंसा तथा 41 प्रतिशत महिलाएं अन्य विभिन्न प्रकार की हिंसा तथा शारीरिक उत्पीडऩ की शिकार होती हैं। इन मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के साथ पुलिस कर्मियों को महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर संवेदन शील बनाने का कार्य अत्यंत आवश्यक है।
इसी संदर्भ में SDM पालमपुर के माध्यम से मुख्य मंत्री को ज्ञापन दिया गया। साथ ही महिला आयोग में भी शिकायत दर्ज की गयी है।
अधिक जानकारी के लिए
बिमला विश्व प्रेमी पर्वतीय महिला अधिकार मचं 9805601363
बिन्ता देवी 9418800813

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