पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह को किया गया मैक्स हॉस्पिटल चंडीगढ़ में शिफ्ट

आईजीएमसी में नहीं हो पाया इलाज

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पालमपुर Rajesh Suryawanshi editor-in-chief तथा वीके सूद सीनियर एग्क्यूटिव एडिटर

हमारे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का कितना बुरा हाल है यह आप सहज ही अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जो बदकिस्मती से कोरोना पॉजिटिव आ गए हैं उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े और सबसे एडवांस हॉस्पिटल आईजीएमसी शिमला में दाखिल करवाया गया था l परन्तु दुखद पहलू यह है कि आज ही उन्हें आईजीएमसी से चंडीगढ़ के मैक्स हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया जिसका सीधा सा मतलब है कि आईजीएमसी वालों के पास पूर्व मुख्यमंत्री को संभालने या उनकी बीमारी को ठीक करने का कोई इंतजाम नहीं है  सुविधा नही है ।

 

जहां पर वीआईपी लोग भी जाने से डरते हैं जिनके इशारे पर पूरी डॉक्टरों की टीम, हेड ऑफ डिपार्टमेंटस प्रिंसिपल ,डायरेक्टर लाइन लगाकर खड़े हो जाएंगे , फिर भी वह डरते है घबराते हैं, तो वहां पर गरीब लोगों का क्या बनता होगा? वहां तो गरीब लोग लाइनों में खड़े खड़े ही दम तोड़ जाते हैं ।और यह कसूर नेताओं का नहीं हम वोटर्स का है विशेष रुप से पढ़े-लिखे वोटर्स का कसूर है क्योंकि वह लोग कभी भी सही प्रतिनिधि चुनने में अपना योगदान नहीं देते। अभी हाल ही में नगर निगमों चुनाव का हाल देख लो कितने पढ़े लिखे लोग चुनाव में मतदान करने के लिए आए ।
कोई भी मंत्री या नेता किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में जाते हैं तो उनका पूरा खर्च शायद सरकार वहन करती है ,चलिए छोड़िए सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं नहीं दी जा सकती है तो सरकार अधिक से अधिक प्राइवेट हॉस्पिटल क्यों नहीं खुलवा देती? और मरीजों का इलाज का खर्चा सरकार वहन करें उन्हें एक इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत लाएं ताकि सभी को मेडिकल कवर मिल सके और गरीब से गरीब तथा समाज के अंतिम छोर पर खड़ा व्यक्ति जीवन की इस सबसे मूल्यवान सुविधा को प्राप्त कर सके।
सड़क शिक्षा स्वास्थ्य बेरोजगारी पर इन इनका ध्यान नहीं ,केवल मात्र भवन बनाने या हथियार खरीदने पर जोर देते है.
हिमाचल प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों का राज्य से बाहर जाकर इलाज करवाना यह साबित करता है कि हिमाचल प्रदेश का सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज अक्षम है या वहां पर इतनी अधिक सुविधाएं नहींं है। IGMC शिमला के पूरे स्टाफ को मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि लोगों का उस पर विश्वास हो।
मैक्स या फॉर्टिस हॉस्पिटल मोहाली में ऐसी कौन सीी सुविधाएं उपलब्ध हैं जो IGMC शिमला को उपलब्ध नहीं कराई जा सकतीं?और अगर आप IGMC शिमला और मैक्स मोहाली के बजट की तुलना करेंगे तो आप पाएंगे कि शायद IGMC शिमला का बजट मैक्स मोहाली से कहीं अधिक है।
शांता जी भी कोविद के इलाज के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज से मोहाली अस्पताल पहुंचे थे। और अब श्री वीरभद्र सिंह को इसी तरह के उपचार के लिए हिमाचल से बाहर जाना पड़ा।
क्या इसका मतलब यह नहीं है कि ये दोनों पूर्व मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश के दो पुराने मेडिकल कॉलेजों की इतनी बुरी हालत के लिए भी कुछ जवाबदेही रखते हैं।
इन अक्षम अस्पतालों की दया पर केवल आम नागरिक ही बचे हैं। राजनीतिक नेता आम नागरिकों से शासन करने की शक्ति प्राप्त करते हैं, लेकिन उन्हें असंगत स्वास्थ्य उल्लंघन की दया पर छोड़ देते हैं.
और अगर आप IGMC शिमला और मैक्स मोहाली के बजट की तुलना करेंगे तो आप पाएंगे कि IGMC शिमला का बजट मैक्स मोहाली से कहीं अधिक है।
और ऐसी स्थिति के लिए केवल हम, आम नागरिक ही जिम्मेदार हैं जो चुनाव के वक्त घर मेंं बैठे फिल्में देखते रहते और सही प्रतिनिधियों का चुनाव करने से कतराते हैं वोट नहीं करते।
सोचिए उन गरीबों के बारे में जिनके ना कोई सिफारिश है ना जेब में पैसा है और जो बसों के धक्के खा कर आईजीएमसी या टांडा हॉस्पिटल 10 -10 ,12 -12 घंटे सफर करके आते हैं और फिर उन्हें दो-तीन घंटे लाइनों में लगकर किसी जूनियर डॉक्टर के पास जाकर खुद को दिखाना पड़ जाता है जबकि वह विशेषज्ञ सेवाओं के लिए 200- 300 किलोमीटर का सफर बस में तय करके आते हैं परंतु उन्हें वहां पर जाकर निराशा ही हाथ लगती है परंतु वह लाचार हैं कुछ बोल नहीं सकते जैसे पशु लाचार होते हैं उनका जैसे भी इलाज कर दो वह कुछ नहीं बोलेंगे।
सरकार को चाहिए कि वह सभी सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं को बढ़ाएं स्टाफ को बढ़ाएं और अन्य सुविधाएं त्वरित रूप से सभी को समान रूप से प्राप्त करवाएं ।
1 Comment
  1. India Reporter Today says

    स्वास्थ्य सुविधाओं का हिमाचल में बहुत आभाव है। स्वास्थ्य सेवाएं सुविधाएं अक्सर पंजाब में मिलती है जो कि हिमाचल के दूरदराज के इलाकों से काफी दूर है तथा मरीज उन हॉस्पिटल तक पहुंचते पहुंचते ही रास्ते में दम तोड़ जाते हैं

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